Khajuraho temple

  • खजुराहो आने वाले पर्यटकों के धूप में नहीं जलेंगे पांव, मंदिरों की सीढ़ियों में बिछाई गई जूट की कारपेट

    Khajuraho Temple :मध्य प्रदेश का खजुराहो न सिर्फ देश के बल्कि विदेशी पर्यटकों के भी लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशनों में से एक है। यहां के हजारों साल से भी ज्यादा पुराने मंदिरों की शानदार नक्काशी और कारीगरी देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। नवविवाहित जोड़ो के लिए तो यह पसंदीदा हनीमून डेस्टिनेशन है। यहां की हसीन वादियों में ऐसी कई अद्भुत और मनमोहक जगहें मौजूद हैं, जहां गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं।

    खजुराहो आने वाले पर्यटकों के धूप में नहीं जलेंगे पांव, मंदिरों की सीढ़ियों में बिछाई गई जूट की कारपेट
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    भारतीय पुरातत्व विभाग ने खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह में पर्यटकों के भ्रमण के दौरान पैरों को जलन से बचाने मंदिरों की तपती सीढ़ियों तथा चबूतरो पर जूट की मेट बिछा दी है।दरअसल इन दोनों मंदिरों के गर्भ ग्रह में हिंदू देवी देवताओं के स्वरूप स्थापित है। जिसके करण अधिकांश पर्यटक श्रद्धा भाव रखते हैं और वह नंगे पांव ही इन मंदिरों का भ्रमण करते हैं। साथ ही विभाग के जूते चप्पल उतार कर चलने के निर्देश के पालन के लिए गर्म पत्थरों की जलन से पैरों को बचाने के लिए विभाग द्वारा जूट की मेट बिछाई गई है।खजुराहों के मंदिर अपनी हजार साल पुरानी स्थापत्य कला की वजह से पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र हैं और उन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर में स्थान दिया है। इतिहास में यहां 85 मंदिरों के मौजूद होने के प्रमाण हैं।



    हर मौसम में खुजराहो हो रहा गुलजार

    खजुराहो में ज्यादातर सिर्फ सर्दियों के मौसम में भीड़ होती थी, अब लगभग हर मौसम में बड़ी संख्या में टूरिस्ट यहां आने लगे हैं। इससे खजुराहो में ना सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि यहां के होटल व्यवसायी भी इससे खुश नजर आ रहे हैं। साथ ही, टैक्सी, ऑटो और ई-रिक्शा चालकों को भी अच्छा रोजगार मिल रहा है। पर्यटकों की खरीदारी से स्थानीय व्यापारियों को भी मुनाफा हो रहा है।

    खजुराहो आने वाले पर्यटक पन्ना टाइगर रिजर्व की ओर भी रूख कर रहे हैं। घना जंगल होने से ठंडा वातावरण मिल जाता है।गर्मी में कुछ झाड़िया सूख जाती है जिससे एनिमल्स दिख जाते हैं। पर्यटन विभाग ने यहां विशेष इंतजाम कर रखे हैं।छुट्टियों में लोग हेरिटेज को भी पसंद कर रहे हैं। ओरछा, खजुराहो, बुंदेला महल, मांडू, महेश्वर, ग्वालियर किला जैसी ऐतिहासिक जगहों की बुकिंग व एन्क्वायरी की जा रही है।

  • Khajuraho में है मतंगेश्वर महादेव का अनोखा मंदिर, एक इंच हर साल बढ़ रही शिवलिंग की लंबाई

    Khajuraho News :मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित एक शिव मंदिर(shiv temple khajuraho) के बारे में एक मान्यता है। जिसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन साइंस भी इस बात से अचम्भित है।इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग (shivling) को जिंदा कहा जाता है। यूं तो लोग शिवलिंग की पूजा आस्था के साथ करते हैं। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस मंदिर का शिवलिंग काफी अनोखा है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग की लंबाई हर साल बढ़ जाती है।

    खजुराहो में है मतंगेश्वर महादेव का अनोखा मंदिर, एक इंच हर साल बढ़ रही शिवलिंग लंबाई
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    हर साल एक इंच तक इसकी लम्बाई बढ़ती है और कोई भी इसके पीछे का कारण नहीं जानता। यहां तक कि साइंटिस्ट्स ने भी इसका पता लगाने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब हो गए।खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक चमत्कारिक मणि रत्न के ऊपर कराया गया है। मान्यता अनुसार यह मणि स्वयं भगवान शिव ने सम्राट युधिष्ठिर को प्रदान की थी, जो हर मनोकामना पूरी करती थी।

    बाद में संन्यास धारण करते समय युधिष्ठिर ने इसे मतंग ऋषि को दान में दे दिया था। मतंग ऋषि के पास से यह मणि राजा हर्षवर्मन के पास आई। जिन्होंने इस मणि को धरती के नीचे दबाकर उसके उपर इस मंदिर का निर्माण कराया। कहते हैं कि आज भी मणि विशाल शिवलिंग के नीचे है।इस शिवलिंग की सबसे ज्यादा चर्चा इसके बढ़ते आकार के कारण होती है। हर साल इसकी लंबाई मापी जाती है। और हर साल ही इसे मापने वाले हैरान रह जाते हैं।

    पुजारी जी के मुताबिक़, हर साल इसका आकार एक तिल के बराबर बढ़ जाता है. कहा जाता है कि ये शिवलिंग जितना ऊपर नजर आता है, उतना ही ये जमीन के नीचे भी दबा है। अब इस शिवलिंग की आस्था इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर साल विदेशों से भी कई शिव भक्त इसके दर्शन के लिए आते हैं। खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां सबसे ज्यादा भीड़ नजर आती है।

  • Khajuraho : मस्तानी की प्रेम कहानी से धुबेला महल का खास कनेक्शन, खजुराहो नृत्य महोत्सव के दौरान घूमने के लिए बेस्ट है ये जगह

    Khajuraho :खजुराहो नृत्य समारोह में शामिल होने वाले पर्यटकों के लिए धुबेला महल घूमने के लिए खूबसूरत जगह है। छत्रसाल द्वारा 18 वी शदी ई का वना है 12 सितम्बर 1955 में प्रथम प्रधान मंत्री ने इस संग्रहालय धुबेला का उद्घाटन किया , संग्रहालय झील के तट पर निर्मित खजुराहो में सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह 62 किमी की दूरी पर स्थित है और आप कार द्वारा एक घंटे में वहां पहुंच सकते हैं। यह संग्रहालय आपको छत्रसाल महाराजा और उनकी विरासत और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाता है।

    सतना टाइम्स डॉट इन
    संचालनालय

    पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय, भोपाल राज्य के समृद्धि ऐतिहासिक धुबेला महल में समाधियों स्थल का संरक्षण और तकनीकी नवाचार में उत्कृष्ट के प्रतीक के रूप में उभरा है आयुक्त श्रीमती उर्मिला शुक्ला के नेतृत्व में संग्रहालय में रखी ऐतिहासिक पेंटिंग बुंदेला राजाओं के वस्त्र और विभिन्न प्रकार के हथियारों के संरक्षण क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया गया है। धुबेला महल के साथ-साथ ओरछा राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी सराहनी कम हुए हैं‌।


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    धुबेला महल, प्रभारी संग्रहाध्यक्ष श्री सुल्तान आनंद के जानकारी मुताबिक महाराजा छत्रसाल संग्रहालय को धुबेला संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इस संग्रहालय में उनकी जीवन शैली और भव्यता के सभी प्रदर्शन हैं और इसमें राजा से संबंधित विभिन्न कलाओं और संस्कृति की कलाकृतियां भी हैं। यदि आप एक कला प्रेमी हैं, तो आप कुछ ऐसे चित्रों को पहचानेंगे जो चंदेल और कलचुरी कला सहित दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय हैं। संग्रहालय का बाहरी भाग ही सुशोभित होने वाला दृश्य है। यह न केवल स्थापत्य रूप से सुंदर है, बल्कि आसपास भी काफी प्रभावशाली है।

    यहां बुंदेला राजाओं के वस्त्र के साथ रीवा चरखारी छतरपुर एवं छत्रसाल ही विभिन्न प्रकार के हथियार बंदूक ढाल तलवार तोप कटार खुकरी कई अस्त्र शस्त्र भी देखने को मिलते हैं। पाश्र्वनाथ, ऋषभनाथ और नेमीनाथ की मूर्तियां एवं अभिलेख शाक्त प्रतिमाऐ भी यहां मौजूद हैं। म्यूजियम में अलग-अलग आठ दीर्घाएं हैं। जिनमें म्यूजियम की ओपन गैलरी पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होती है।

    मध्य भारत के परम प्रतापी और शूरवीर यौद्धा महाराजा छत्रसाल के जीवन की कहानी के साथ उनके समय में करवाए गए ऐतिहासिक इमारते जैसे, मस्तानी का महल, हृदयाशाह का महल, महेबा द्वार, शीतल गढ़ी, रानीकमला पति की समाधी, बादल महल, महाराज छत्रसाल की समाधी, भले भाई की समाधी, महाबली तेली की समाधी आदि कई ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं। इन पर्यटन स्थलों और धुबेला के इतिहास से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय निदेशालय द्वारा यह पहल शुरू की है।

    सरकार ने हेरिटेज सर्किट के तहत खजुराहो के आसपास के अन्य स्थित अन्य पर्यटन स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया है। ओरछा-खजुराहो हेरिटेज सर्किट में धुबेला महल को भी ऐतिहासिक किलों को शामिल कर इनकी भव्यता बढ़ाई जाएगी।

    झांसी-खजुराहो फोरलेन बन जाने के बाद ओरछा से खजुराहो तक का पर्यटन सर्किट शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों में शामिल होने के ओरछा के समुचित विकास के लिए नया मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें सैलानियों की सुविधाओं और भविष्य की आबादी को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य कराया जाएगा।

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