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  • Uttarpradesh : जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने की उत्तर प्रदेश संयोजक के साथ यूपी सलाहकार समिति की घोषणा

    Satna Times : बता दे कि पूर्व की घोषित की गई सलाहकार समिति का कार्यकाल पूर्ण होने पर उसे संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुराग सक्सेना द्वारा भंग कर दिया गया था । नव मनोनीत यूपी सलाहकार समिति के साथ ही उत्तर प्रदेश संयोजक को भी संस्था ने मनोनीत किया है।पत्रकारों की संस्था जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया (रजि0) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुराग सक्सेना जी के निर्देशानुसार और राष्ट्रीय कमेटी व राष्ट्रीय सलाहकार समिति की अनुशंसा पर फतेहपुर से श्री मती दिव्या जी (संपादक दैनिक भारती मंजरी) को उत्तर प्रदेश का संयोजक मनोनीत किया गया है। साथ ही उत्तर प्रदेश सलाहकार समिति मे निम्न को स्थान दिया गया है इसी के साथ प्रदेश सलाहकार समिति के प्रत्येक सदस्य को उनके मंडल का प्रभारी भी मनोनीत किया गया है।

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    संगठन के राष्ट्रीय संयोजक डा0 आर सी श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश सलाहकार समिति में संस्था ने विभिन्न जिलों से वरिष्ठ पत्रकारों का समावेश किया है।संस्था ने आशा की है कि वरिष्ठ पत्रकार प्रदेश के पत्रकारों की समस्याओ से भलीभांति परिचित है। यह समिति संगठन को मजबूती प्रदान करने का काम तो करेगी ही साथ ही पत्रकारों की समस्याओ के निराकरण में भी मील का पत्थर साबित होगी। इसी क्रम में समिति में लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार व अधिवक्ता श्री सचिन श्रीवास्तव जी (संपादक- आईबीसी ग्लोबल न्यूज) , प्रतापगढ से उदन्त मार्तण्ड के संपादक श्री सलमान खान जी ,

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    कानपुर से वरिष्ठ पत्रकार दैनिक बंगाल टाइगर के संपादक श्री नागेंद्र पाण्डेय जी, शाहजहांपुर से वरिष्ठ पत्रकार दैनिक लोक भारती के ब्यूरोचीफ श्री संजय कुमार जैन जी,बाराबंकी से वरिष्ठ पत्रकार श्री अतुल श्रीवास्तव जी, वाराणसी से दैनिक संसद वाणी के स्टेट हेड श्री महेश पाण्डेय जी,गोरखपुर से दैनिक ग्राम स्वराज्य के संपादक श्री राकेश सिंह श्रीनेत जी, गाजियाबाद से दैनिक स्टार सवेरा के ब्यूरो चीफ श्री सरताज खान जी को इस समिति मे स्थान दिया गया है।वहीं बांदा जनपद से दो वरिष्ठ पत्रकारो को स्थान मिला है जिसमे दैनिक सी टाइम्स के संवाददाता श्री सुनील सक्सेना जी व दैनिक अवधनामा से संवाददाता श्री राजेश पाण्डेय जी को स्थान मिला है।इस कमेटी का कार्यकाल भी एक वर्ष का रहेगा।संगठन ने सभी नव मनोनीत पदाधिकारियों से आशा की है कि वह संगठन हित में कार्य करेंगे और पत्रकारों के हितार्थ कार्यो में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढेंगें।

  • मीडिया आयोग की मांग को लेकर JCI ने सौंपा केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन

    पत्रकारों पर बढ़ते उत्पीड़न के मामले चिंता का विषय है बनते जा रहे हैं जो कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।उत्तर प्रदेश के बलिया का मामला हो जहां तीन पत्रकारों को अकारण जेल की सलाखों के पीछे महीनों के लिए डाल दिया गया मध्य प्रदेश के सीधी में पत्रकारों को अर्ध नग्न करके लॉक अप में डाल दिया गया इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के महाराजगंज थाने में एक पत्रकार चंदन जायसवाल को निर्वस्त्र करके रात के अंधेरे में टॉर्च दिखा दिखा कर के वीडियो बनाकर वायरल किया गया उक्त सभी बातें चौथे स्तंभ को घायल करने के लिए जहां एक तरफ पर्याप्त है वही पत्रकारों के प्रति नौकरशाहों के रवैया को प्रदर्शित करती हैं। वैसे नौकरशाहों माफियाओं एवं खाकी खादी का यूं विचलित होना बताता है कि यह लोग पत्रकारों से और अपनी काली सच्चाई से कितने भयभीत हैं। पत्रकार प्रोटक्शन कानून, पत्रकार आयोग एवं पत्रकारों के हित के लिए विभिन्न मांगो

    को लेकर एक ज्ञापन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (रजि.) के पदाधिकारियों ने फतेहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को एक ज्ञापन सौंपते हुए उनसे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तक पहुंचाने की मांग की जिस पर केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि आपका यह ज्ञापन मैं माननीय प्रधान मंत्री तक पहुंचा दूंगी और मुझसे जो सहयोग बन सकेगा मैं खुले दिल से आपके सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहूंगी ।इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजा अवस्थी जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया (रजि.) के राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य डॉ आर सी श्रीवास्तव, मोहित दुबे, तान्या उत्तम, रवि प्रजापति ,प्रिया सिंह, सरोज निषाद ,कलीम अहमद, सुजीत तिवारी, संदीप निषाद सनी सहित कई पत्रकार एवं पदाधिकारी मौजूद रहे।

  • गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को दिखाना होगा अपना अस्तित्व- JCI

    गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को शासन स्तर से कोई भी सुविधा न मिलना चिंतनीय है।न ही उन्हे किसी प्रकार की सुरक्षा की गारंटी है और न ही स्वास्थ्य संबंधी कोई सुविधा मिल पाती है।यहां तक कि इन पत्रकारों का जिले के सूचना विभाग में पर्याप्त रिकार्ड तक उपलब्ध होता है।ऐसे मे वेव मीडिया से जुड़े पत्रकारों का तो सूचना विभाग रिकार्ड तक रखना नहीं चाहता।जहां केन्द्र सरकार के श्रम विभाग ने इन्हे श्रमजीवी पत्रकार माना है इसके बावजूद इनकी किसी प्रकार की कोई जानकारी सूचना विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।


    जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया (रजि.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 19 अभिव्यक्त की आजादी का अधिकार आम नागरिक को भी प्राप्त है।और पूरी पत्रकारिता भी इसी पर आधारित है।आवश्यक होने पर या पड़ताल करने पर केवल शासन द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार व श्रमजीवी पत्रकारों को ही महत्व दिया जाता है।देखा जाए तो गैर मान्यताप्राप्त पत्रकार और शासन से मान्यताप्राप्त पत्रकारों में कोई फर्क नहीं है।हालाकि प्रेस काउंसिल द्वारा बनाए गये दिशा निर्देश व प्रेस कानून का पालन भी सभी करते है। उनको पालन करने को निर्देशित भी किया जाता है।
    ऐसे में गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारो को सबसे पहले अपने अस्तित्व को कायम करना होगा।गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों के अस्तित्व न होने के कारण ही इनकी सभी मांगो को सरकारें नजरअंदाज कर देती है।यदि कोई सुविधा सरकार की ओर से मिलती भी है तो उस पर अधिकार केवल शासन द्वारा मान्यताप्राप्त पत्रकारों का या श्रमजीवी पत्रकारों का ही होता है गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों का नहीं।
    इसलिए अब गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को पहले अपने अस्तित्व की लड़नी होगी। आज सबसे ज्यादा हमले और मुकदमें गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों पर ही होते है।उन्होने कहा कि सरकार को अब पत्रकारों के लिए नये दिशा निर्देश जारी करने चाहिए साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए शैक्षिक योग्यता का भी निर्धारण करना चाहिए।

  • SATNA TIMES : सभी पत्रकार साथी एकजुट होकर जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट लागू कराने का करे प्रयास

    SATNA TIMES : सभी पत्रकार साथी एकजुट होकर जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट लागू कराने का प्रयास करे।सभी के सहयोग से ही यह संभव हो सकता है।

    पत्रकारों पर हो रहे हमले और उनकी हत्याओं को सरकार नजर अंदाज कर रही है।अब इसके लिए सभी संगठनो को संयुक्त प्रयास करना होगा।यह विचार एक गोष्ठी के दौरान पत्रकारों की संस्था जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया( रजि.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने रखे।उन्होने कहा कि आज आवश्यता है कि पत्रकार जन सरोकार की पत्रकारिता करे जिससे उन्हे वह सम्मान प्राप्त हो जिसके वह अधिकारी है।चापलूसी और पीत पत्रकारिता से बचे।अनुराग सक्सेना ने कहा कि आज सभी लोग मीडिया बदलाव की बात तो करते हैं पर इनमें कोई भी बदलना नहीं चाहता। सभी एक ही नाव पर सवार हैं पर स्थिति तो डावाडोल और नाजुक है। जो आम जनमानस की आवाज़ है वही कराह रही है तो कौन खड़ा होगा समाज को आइना दिखाने के लिए? सरकार और सरकार के कार्यों पर कौन रखेगा नज़र? हमारी और आपकी परेशानियों को सरकार तक कौन पहुंचायेगा ? विद्यार्थियों, कामगारों  और आम जनता की आवाज कौन बनेगा? अब भी वक़्त है कि हम संभल जायें, चकाचौंध, टीआरपी की दौड़ और पैसों के पीछे न भाग कर हम निष्पक्ष पत्रकारिता पर ध्यान दें तो शायद लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ खोखला होने से बच जाये। और पत्रकारों को अपना खोया हुआ सम्मान बापस मिल जाये।आज चाटुकारिता ने हमे दलालों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।कोई भी कहीं भी हम पर आक्रामक हो जाता है क्यों। इस पर सरकारों का लगातार पत्रकारों की मांगो को नजरअंदाज करना यही दर्शाता है कि हम भी अपने रास्ते और लक्ष्य से भटक चुके है।पत्रकारिता और पत्रकारों को अपना खोया हुआ सम्मान बापस लाने के लिए जन सरोकार की पत्रकारिता से जुड़ना होगा। आज पत्रकार निष्पक्ष पत्रकारिता करने से डरता है उसे निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता करने के लिए जरूरी है कि देश में अब जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो।इसके लिए अब हमे अपनी एकता कलम के माध्यम से दिखानी होगी।

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