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  • मीडिया आयोग की मांग को लेकर JCI ने सौंपा केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन

    पत्रकारों पर बढ़ते उत्पीड़न के मामले चिंता का विषय है बनते जा रहे हैं जो कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।उत्तर प्रदेश के बलिया का मामला हो जहां तीन पत्रकारों को अकारण जेल की सलाखों के पीछे महीनों के लिए डाल दिया गया मध्य प्रदेश के सीधी में पत्रकारों को अर्ध नग्न करके लॉक अप में डाल दिया गया इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के महाराजगंज थाने में एक पत्रकार चंदन जायसवाल को निर्वस्त्र करके रात के अंधेरे में टॉर्च दिखा दिखा कर के वीडियो बनाकर वायरल किया गया उक्त सभी बातें चौथे स्तंभ को घायल करने के लिए जहां एक तरफ पर्याप्त है वही पत्रकारों के प्रति नौकरशाहों के रवैया को प्रदर्शित करती हैं। वैसे नौकरशाहों माफियाओं एवं खाकी खादी का यूं विचलित होना बताता है कि यह लोग पत्रकारों से और अपनी काली सच्चाई से कितने भयभीत हैं। पत्रकार प्रोटक्शन कानून, पत्रकार आयोग एवं पत्रकारों के हित के लिए विभिन्न मांगो

    को लेकर एक ज्ञापन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (रजि.) के पदाधिकारियों ने फतेहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को एक ज्ञापन सौंपते हुए उनसे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तक पहुंचाने की मांग की जिस पर केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि आपका यह ज्ञापन मैं माननीय प्रधान मंत्री तक पहुंचा दूंगी और मुझसे जो सहयोग बन सकेगा मैं खुले दिल से आपके सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहूंगी ।इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजा अवस्थी जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया (रजि.) के राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य डॉ आर सी श्रीवास्तव, मोहित दुबे, तान्या उत्तम, रवि प्रजापति ,प्रिया सिंह, सरोज निषाद ,कलीम अहमद, सुजीत तिवारी, संदीप निषाद सनी सहित कई पत्रकार एवं पदाधिकारी मौजूद रहे।

  • गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को दिखाना होगा अपना अस्तित्व- JCI

    गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को शासन स्तर से कोई भी सुविधा न मिलना चिंतनीय है।न ही उन्हे किसी प्रकार की सुरक्षा की गारंटी है और न ही स्वास्थ्य संबंधी कोई सुविधा मिल पाती है।यहां तक कि इन पत्रकारों का जिले के सूचना विभाग में पर्याप्त रिकार्ड तक उपलब्ध होता है।ऐसे मे वेव मीडिया से जुड़े पत्रकारों का तो सूचना विभाग रिकार्ड तक रखना नहीं चाहता।जहां केन्द्र सरकार के श्रम विभाग ने इन्हे श्रमजीवी पत्रकार माना है इसके बावजूद इनकी किसी प्रकार की कोई जानकारी सूचना विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।


    जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया (रजि.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 19 अभिव्यक्त की आजादी का अधिकार आम नागरिक को भी प्राप्त है।और पूरी पत्रकारिता भी इसी पर आधारित है।आवश्यक होने पर या पड़ताल करने पर केवल शासन द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार व श्रमजीवी पत्रकारों को ही महत्व दिया जाता है।देखा जाए तो गैर मान्यताप्राप्त पत्रकार और शासन से मान्यताप्राप्त पत्रकारों में कोई फर्क नहीं है।हालाकि प्रेस काउंसिल द्वारा बनाए गये दिशा निर्देश व प्रेस कानून का पालन भी सभी करते है। उनको पालन करने को निर्देशित भी किया जाता है।
    ऐसे में गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारो को सबसे पहले अपने अस्तित्व को कायम करना होगा।गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों के अस्तित्व न होने के कारण ही इनकी सभी मांगो को सरकारें नजरअंदाज कर देती है।यदि कोई सुविधा सरकार की ओर से मिलती भी है तो उस पर अधिकार केवल शासन द्वारा मान्यताप्राप्त पत्रकारों का या श्रमजीवी पत्रकारों का ही होता है गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों का नहीं।
    इसलिए अब गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को पहले अपने अस्तित्व की लड़नी होगी। आज सबसे ज्यादा हमले और मुकदमें गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों पर ही होते है।उन्होने कहा कि सरकार को अब पत्रकारों के लिए नये दिशा निर्देश जारी करने चाहिए साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए शैक्षिक योग्यता का भी निर्धारण करना चाहिए।

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