Israeli anti drones will protect Ram Janmabhoomi temple

  • इजरायली एंटी ड्रोन करेंगे राम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा, जानिए क्या है एंटी ड्रोन सिस्टम?

    ANTI-DRONE SYSTEMS TO GUARD AYODHYA : दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्थल के विकसित होने जा रहे श्री अयोध्याधाम की सुरक्षा अब और पुख्ता की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा के लिए इजरायल में बनाए गए एंटी-ड्रोन सिस्टम को लगाने का आदेश जारी किया है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने एंट्री ड्रोन सिस्टम की खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली है।

    सतना टाइम्स डॉट इन

    उत्तर प्रदेश में पहली बार एंटी ड्रोन सिस्टम को राम जन्मभूमि मंदिर में तैनात किया जाएगा। यह सिस्टम कई चरणों में परीक्षण के बाद लिया जा रहा है। यह करीब पांच किलोमीटर तक दुश्मन ड्रोन का पता लगाकर उसे निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस तरह के दस सिस्टम खरीदे हैं।

    गौरतलब है कि 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, विशेष सुरक्षा समूह और अन्य सुरक्षाबलों से विशेष समन्वय के माध्यम से मंगाया था। इससे पहले दिल्ली में हुए G-20 सम्मेलन की सुरक्षा के लिए भी एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था

    यहां लगाए जाएंगे…
    उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अयोध्या, लखनऊ, वाराणसी और मथुरा सहित अन्य जिलों में संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर तैनात किया जाएगा। उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों का कहना है इससे पुलिस को निगरानी तंत्र मजबूत होगा। नए जमाने में ड्रोन का खतरा भी बढ़ा है। इस एंटी सिस्टम से लेजर तकनीक का इस्तेमाल कर दुश्मन ड्रोन को हैक कर उसे सुरक्षित लैंड कराया जा सकता है।

    स्नाइपर्स भी होंगे तैनात
    एंटी ड्रोन सिस्टम के साथ स्नाइपर्स भी तैनात किए जाएंगे। इन्हें ड्रोन को मार गिराने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह ऐसे ड्रोन को मारने का काम करेगा कि लेजर और तकनीक का उपयोग संभव नहीं है।

    ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे सतना टाइम्स एपको डाऊनलोड कर सकते हैं। यूट्यूब पर सतना टाइम्स के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

    क्या होता है एंटी-ड्रोन सिस्टम?
    एंटीड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल मानवरहित हवाई उपकरणों को रोकने के लिए किया जाता है। यह विशेष रेडियो प्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन की पहचान करती है। इसके बाद संदिग्ध गतिविधि की जानकारी सुरक्षाकर्मियों तक पहुंच जाती हैं। इसके बाद इसे मार गिराया जा सकता है।

Back to top button