Ips Success Story

  • IAS Success Story: किसान की बेटी ने रचा इतिहास, सिर्फ 24 साल की उम्र में पास किया UPSC एग्जाम और बनीं IAS अफसर!

    IAS Success Story: UPSC देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें हर साल लाखों युवा शामिल होते हैं, लेकिन कुछ ही सफलता प्राप्त कर पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी प्रतिभाशाली लड़की की कहानी बताएंगे, जिसने बेहद कम उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास कर अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल की। आइए, जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी…
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    महज 24 की उम्र में बनीं IAS

    दरअसल, हम बात कर रहे हैं IAS अधिकारी ईश्वर्या रामनाथन की, जिन्होंने मजह 24 साल की उम्र में दो बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्लियर की। ईश्वर्या रामनाथन भारत के सबसे युवा IAS अधिकारियों में से एक हैं। जब वह सिर्फ 24 साल की थीं, तब उन्होंने 2019 यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 47वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की थी। वर्तमान में वह तमिलनाडु के तिरुवल्लूर में सब-कलेक्टर, एसडीएम के पद पर तैनात हैं।

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    कलेक्टर गगनदीप सिंह बेदी से हुई प्रभावित

    तमिलनाडु के तटीय जिले कुड्डालोर से ताल्लुक रखने वाली ईश्वर्या ने बचपन से ही बाढ़, चक्रवात और भारी बारिश जैसी कई प्राकृतिक आपदाएं देखी हैं। खासतौर पर 2004 की सुनामी का उन पर गहरा असर पड़ा। उस महत्वपूर्ण समय के दौरान कलेक्टर गगनदीप सिंह बेदी की भूमिका का अवलोकन करने से उन पर गंभीर प्रभाव पड़ा।

    पिता करते हैं खेती

    ईश्वर्या अपनी वित्तीय स्थिति से भी प्रेरित थी। उनके पिता आर। रामनाथन एक काजू उगाने वाले किसान हैं। जबकि उनकी मां, जिनकी कम उम्र में ही शादी हो गई थी और बाद में उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई, उन्होंने भी ईश्वर्या को कलेक्टर बनने के लिए प्रेरित किया।

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    पहले प्रयास में आई 630 रैंक

    अपने दिमाग में बड़े सपने लिए ईश्वर्या ने 2017 में अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में यूपीएससी की कोचिंग लेकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। अपने पहले प्रयास में उनकी ऑल इंडिया रैंक 630 थी और वह रेलवे अकाउंट्स सर्विस के लिए चुनी गई। हालांकि, वह IAS अधिकारी बनने के अपने सपने से प्रेरित थीं।

    दूसरे प्रयास में पूरा किया IAS बनने का सपना

    इसलिए 2019 में अपने दूसरे प्रयास में, ईश्वर्या ने IAS अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करते हुए, ऑल इंडिया 47वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया। रिजल्ट के बाद एक इंटरव्यू में ईश्वर्या ने बताया कि IAS अधिकारी बनना उनका बचपन का सपना था, जो उनकी मां से प्रेरित था।

    दोनों बहने IAS-IPS

    अपने पेशे के अलावा, ईश्वर्या सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर काफी एक्टिव रहती हैं, जहां उनके एक लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। दिलचस्प बात यह है कि ईश्वर्या की बहन सुष्मिता रामनाथन ने भी यूपीएससी में सफलता हासिल की और वर्तमान में एक आईपीएस अधिकारी हैं।

  • Ias Success Story :एक्टर का बेटा फिल्मी ग्लैमर छोड़ बना IAS ऑफिसर, हासिल की ऑल इंडिया 75वीं रैंक

    IAS Shrutanjay Narayanan Succes Story: फिल्मों की चकाचौंध भरी दुनिया में, जहां स्टार किड्स अक्सर अपने मशहूर माता-पिता के नक्शेकदम पर चलते हैं, वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो अपने लिए एक अलग राह चुनते हैं. ऐसा ही एक असाधारण रास्ता प्रसिद्ध तमिल अभिनेता चिन्नी जयंत के बेटे श्रुतंजय नारायणन ने चुना है. श्रुतंजय ने अपने पिता की तरह फिल्म जगत में करियर बनाने के बजाय यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनकर एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है. आइये आज हम आपको श्रुतंजय नारायणन की प्रेरणा भरी सफलता की कहानी के बारे में बताते हैं.

    IAS Shrutanjay Narayanan Success story

    इसी समय ठान लिया कि बनना है ऑफिसर
    जहां श्रुतंजय के पिता चिन्नी जयंत ने फिल्म उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी है, वहीं श्रुतंजय की आज एक अलग ही पहचान है. अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में नाटकों और अन्य कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने के बावजूद, वह जानते थे कि वह एक अलग क्षेत्र में सार्थक प्रभाव डालना चाहते है.

    हासिल की ऑल इंडिया 75वीं रैंक
    साल 2015 में, श्रुतंजय नारायणन की कड़ी मेहनत और समर्पण रंग लाई, जब उन्होंने देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की. उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें ऑल इंडिया 75वीं रैंक दिलाई, जो अपने आप में ही एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो उन्हें अलग बनाता है.

    ये था उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट
    नॉलेज के प्रति श्रुतंजय नारायणन के जुनून ने ही उन्हें यूपीएससी मेंस परीक्षा के लिए ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में समाजशास्त्र (Sociology) का चयन करने के लिए प्रेरित किया. हालांकि भूगोल (Geography) में भी उनकी काफी रुचि थी, उन्होंने इंटरव्यू के पहले 20 मिनटों के दौरान इंटरव्यू पैनल पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया, एक मजबूत प्रारंभिक प्रभाव बनाने के महत्व को समझा.

    रोजाना इतने घंटे की तैयारी
    सफलता के लिए प्रयास करते हुए, श्रुतंजय ने रात की शिफ्ट के दौरान एक स्टार्टअप में काम करते हुए गहन अध्ययन का नियम बनाए रखा. शुरुआत में अपनी पढ़ाई के लिए प्रतिदिन चार से पांच घंटे समर्पित करते हुए, बाद में उन्होंने अपने प्रयासों को तेज कर दिया और अपनी तैयारी के अंतिम चरण में अपनी पढ़ाई के समय को 10 से 12 घंटे तक बढ़ा दिया.

    फिल्म जगत के बजाय सिविल सेवा में बनाया करियर
    श्रुतंजय नारायणन का फिल्म जगत की चकाचौंध और ग्लैमर में जाने के बजाय सिविल सेवा में अपना करियर बनाने का निर्णय उनके असाधारण दृढ़ संकल्प और अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. एक स्टार किड से लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक की उनकी प्रेरक यात्रा इस बात की याद दिलाती है कि कड़ी मेहनत, जुनून और खुद के प्रति सच्चे रहकर किसी भी क्षेत्र में महानता हासिल की जा सकती है.

  • IPS Manzil सैनी वापस आईं यूपी, फिलहाल वेटिंग में, IG के पद पर मिलेगी तैनाती

    Ips manzil saini :वर्ष 2005 बैच की आईपीएस मंजिल सैनी यूपी में वापस आ गईं हैं। मंगलवार को उन्होंने डीजीपी मुख्यालय में ज्वाॅइनिंग दी, जिसके बाद उनको प्रतीक्षारत रखा गया है।

    जल्द ही उनको आईजी के पद पर तैनात किया जाएगा।बता दें कि मंजिल सैनी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स में डीआईजी के पद पर तैनात थीं। इससे पहले वह लखनऊ, इटावा, मेरठ समेत कई शहरों में एसएसपी रह चुकी हैं।

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  • IPS MANZIL SAINI Success Story :कॉरपोरेट फर्म से इस्तीफा देकर मंजिल ने चुनी UPSC की राह, पहले ही प्रयास में बनीं IPS, अब मिला वीरता पुरस्कार

    IPS Manzil Saini Success Story: गणतंत्र दिवस 2024 के अवसर पर उत्तर प्रदेश के दो आईपीएस ऑफिसर्स डीजी प्रशांत कुमार और DIG मंजिल सैनी को गैलेंट्री अवॉर्ड (Gallantry Award) से अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. आईपीएस मंजिल सैनी को ‘लेडी सिंघम’ के तौर पर जाना जाता है. आईपीएस मंजिल सैनी अभी एनएसजी की डीआईजी हैं. यहां पढ़िए उनकी सफलता की कहानी…

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    2005 बैच की आईपीएस ऑफिसर
    मंजिल सैनी साल 2005 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. वह लखनऊ और रामपुर की एसएसपी रही हैं, जहां उनके द्वारा किए गए शानदार काम के लिए उन्हें याद किया जाता है. इतना ही नहीं खास बात यह है कि वह मंजिल सैनी लखनऊ के एसएसपी का पद संभालने वाली पहली महिला अफसर रही हैं.उन्होंने इटावा में भी बेहतरीन काम किया है. इतना ही महीं मशहूर अमित कुमार किडनी रैकेट मामले की जांच में भी उनकी अहम भूमिका रही है.

    मंजिल सैनी की शिक्षा
    दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने वाली मंजिल सैनी, गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं. कॉलेज की पढ़ाई के बाद उन्होंने तीन साल तक एक कॉर्पोरेट फर्म में नौकरी की, लेकिन वह यहीं तक ठहरने के लिए नहीं जन्मी थीं, उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इस तरह मंजिल ने जॉब छोड़कर यूपीएससी की राह चुनी.

    वह सिविल सर्विस एग्जाम क्रैक करने में कामयाब रहीं. इस तरह एक साधारण सी नौकरी को छोड़ उन्होंने टफ डिसिजन लिया और अपनी मेहनत की बदौलत अपने पहले ही अटैम्प्ट में सफल होकर आईएएस ऑफिसर बन गईं. उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में बिना कोचिंग के सफलता हासिल की थी. मंजिल की पहली पोस्टिंग मुराबाद में बतौर एसएसपी हुई थी.

    पर्सनल लाइफ
    जानकारी के मुताबिक ऑफिसर मंजिल सैनी आईपीएस बनने से पहले साल 2000 में जसपाल देहल से शादी के बंधन में बंध गई थीं. उनके पति जसपाल दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में उनके क्लासमेट रह चुके हैं. मंजिल सैनी और जसपाल देहल की एक बेटी और एक बेटा है.

    ऐसे आई थीं चर्चा में
    करियर के शुरुआत में ही आईपीएस मंजिल सैनी किडनी चोरी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश कर सुर्खियों में आ गई थीं. एक रात उन्होंने साहस दिखाते हुए मेरठ और नोएडा के अस्पतालों में छापा मारा था.

    मंजिल का ये साहसिक कारनामा भी हुआ मशहूर
    जुलाई 2017 में दिल्ली के स्थित प्रीत विहार के मेट्रो हार्ट एवं कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर श्रीकांत गौड़ को किडनैप कर 5 करोड़ की फिरौती की मांग की गई थी. दिनदहाड़े हुई इस किडनैपिंग की जानकारी दिल्ली पुलिस द्वारा तत्कालीन एडीजी मेरठ प्रशांत कुमार और एसएसपी मेरठ मंजिल सैनी के मिली, तो इनपुट के आधार पर अपराधियों की लोकेशन ट्रेस की गई. उस दौरान मेरठ में कांवड़ मेला शिखर पर था, ऐसे में एक साहसिक मुठभेड़ के बाद डॉक्टर श्रीकांत को सकुशल बरामद किया गया था, जिसके लिए ऑफिसर प्रशांत कुमार और पुलिस ऑफिसर मंजिल सैनी को गैलेंट्री अवॉर्ड मिला.

    तेजतर्रार पुलिस अफसर
    कामयाबी की बुलंदी छूने वाली यूपी कैडर की तेजतर्रार पुलिस अफसर मंजिल सैनी ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं, जब भारत सरकार की ओर से उन्हें उनके शौर्य और विशिष्ट सेवा के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित करने का फैसला किया गया.

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  • IPS Neena Singh – जानिए CISF की पहली महिला महानिदेशक (DG) की सफलता की कहानी

    IPS NEENA SINGH :एक समय था जब भारत के अधिकतर क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर थी। जहाँ 1970 में भारत में 9% महिलाएं ही IAS बनी थीं, वहीं आज यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।आज UPSC सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में भी बड़ी संख्या में इजाफा हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1969 में गठित हुई CISF को अपने गठन के 54 साल बाद पहली महिला महानिदेशक (Director General) मिल पायी हैं।

    सतना टाइम्स डॉट इन

    हम बात कर रहे हैं 1989 बैच की IPS अधिकारी नीना सिंह की, जो अब CISF की महिला DG बन चुकी हैं।

    जानिये IPS नीना सिंह की सफलता की कहानी –

    कौन है IPS नीना सिंह?

    नीना सिंह का जन्म 11 जुलाई 1964 को बिहार के पटना में हुआ था। नीना बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं। उनकी स्कूली शिक्षा स्थानीय स्कूल से हुई। वे पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स एक्टिविटी में भी हिस्सा लेती थीं। उन्होंने पटना के महिला कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।

    नीना सिंह इससे पहले राजस्थान की पहली महिला Director General भी बन चुकी हैं।

    आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

    CBI में रहकर किया हाई प्रोफाइल cases पर काम

    अपनी लगन और कड़ी मेहनत के द्वारा नीना सिंह ने 1989 में UPSC की परीक्षा पास की और IPS चुना। IPS बनने के बाद उन्हें राजस्थान कैडर दिया गया, जहाँ वे प्रदेश की पहली महिला महानिदेशक (DG) बनीं। 2013 पर उन्हें भारत की इन्वेस्टिगेशन एजेंसी CBI में संयुक्त महानिदेशक चुना गया। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, बैंक फ्रॉड जैसे हाई प्रोफाइल केस को सॉल्व किया। इन cases में पीएनबी घोटाला और नीरव मोदी जैसे केसेस शामिल हैं।

    अब नीना सिंह को CISF का प्रमुख बनाया गया है। आपको बता दें कि एयरपोर्ट, दिल्ली मेट्रो, ऐतिहासिक इमारतों आदि में सुरक्षा का जिम्मा CISF के पास होता है। इसके अलावा विशिष्ठ व्यक्तियों को मिली जेड प्लस, जेड, एक्स, वाई कैटेगरी की सुरक्षा भी CISF करती है। अब इसकी कमान नीना सिंह के हाथों में है और वे इस पद पर इस 31 जुलाई 2024 तक रहेंगी। इसके अलावा नीना सिंह ने नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के शोध पत्र में सह लेखन भी किया है।

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  • IPS Anshika Success Story: ये IPS अफसर है बला सी खूबसूरत, अंशिका वर्मा का सुन्दर रूप देख दीवाने हो जाते है लोग

    IPS Anshika Success Story: ये IPS अफसर है बला सी खूबसूरत, अंशिका वर्मा का सुन्दर रूप देख दीवाने हो जाते है लोग बात की जाये IPS का मुकाम हासिल करने की तो ये कोई मामूली बात नहीं है हलाकि पहले प्रयाश में ये अफसर भी मुकाम हासिल नहीं कर पायी थी पुनः प्रयास करने के बाद में मुकाम हासिल कर नाम रोशन किया है.

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    यूपी के प्रयागराज की रहने वाली अंशिका वर्मा (Anshika Verma) अपने दूसरे प्रयास में बिना कोचिंग के आईपीएस अधिकारी (IPS Officer) बन गई. आइए आपको बताते हैं अंशिका की सफलता की कहानी.


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    उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज की रहने वाली अंशिका वर्मा को सच साबित कर दिखाया. इन्होंने अपने दूसरे प्रयास में अपनी लगन और मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की है. इनका चयन आईपीएस के पद पर हुआ है.

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    प्रयागराज में की तैयारी

    अंशिका वर्मा यूपी के प्रयागराज से ताल्लुक रखती हैं. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे ज्यादातर युवा दिल्ली जाकर कोचिंग करते हैं और तैयारी करते हैं, मगर अंशिका ने बिना दिल्ली जाए प्रयागराज में रहकर ही प्रिपेयरेशन की और बिना कोचिंग के परीक्षा पास की. उन्होंने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है.


    आपको बता दें अंशिका एक इंजीनियर हैं. उन्होंने प्राथमिक शिक्षा नोएडा से पूरी की. इसके बाद उन्होंने साल 2014-18 में गलगोटिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस में बीटेक की डिग्री हासिल की. अंशिका के पिता यूपी के बिजली विभाग से रिटायर हैं और मां हाउस वाइफ हैं.

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    दूसरे प्रयास में पास की परीक्षा

    अंशिका का मन सिविल सेवा में जाने का था इसलिए बीटेक करने के बाद वे प्रयागराज आ गई. यहीं उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और पहली बार साल 2019 में परीक्षा दी. हालांकि, तब उन्हें सफलता नहीं मिली. निराश होने के बजाए अंशिका ने मेहनत जारी रखी.


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    उन्होंने अपनी गलतियों को सुधारा और दूसरी बार परीक्षा साल 2020 में दी. इसमें उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा पास की और इंटरव्यू में भी अच्छे नंबर हासिल किए. अंशिका ने देशभर में 136 वां रैंक हासिल किया. उनका चयन आईपीएस के पद पर हुआ और उन्हें उत्तर प्रदेश काडर दिया गया.

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  • Success Story: हिंदी मीडियम UPSC Topper कृतिका मिश्रा ने बताई बहुत आसान Strategy, ​हिंदी मिडियम से हासिल की 1st रैंक

    UPSC Topper Kratika Mishra Success Story: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करना यूपीएससी के प्रत्येक अभ्यर्थी की इच्छा होती है, जिसके लिए युवा दिन-रात एक कर देते हैं। हालांकि कड़ी मेहनत के बाद भी इस परीक्षा में सफलता पाना सभी के लिए संभव नहीं है, क्योंकि इसकी सफलता दर बहुत कम है।MP में सबसे तेज और भरोसेमंद खबरों के लिए  सतना टाइम्स ऐप को डाऊनलोड करें, इस लिंक पर करें क्लिक

    कुछ पहले ही प्रयास में झंडा गाड़ लेते हैं तो कुछ वर्षों की मेहनत के बाद सफलता पाते हैं। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 66वीं रैंक हासिल करने वाली कृतिका मिश्रा की सफलता की कहानी आज हम आपको बताएंगे कि कैसे वह हिंदी माध्यम से इसकी तैयारी कर पाई हैं।

    तैयारी हिंदी मीडियम से की गई थी

    कृतिका मिश्रा उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने यूपीएससी सीएसई 2022 में ऑल इंडिया 66वीं रैंक हासिल की है। सबसे बड़ी बात यह है कि कृतिका ने हिंदी मीडियम से पहली रैंक हासिल की है। यानी कृतिका ने यूपीएससी सीएसई की परीक्षा और इंटरव्यू हिंदी में दिया।

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    कृतिका पीएचडी कर रही हैं

    कृतिका के पिता दिवाकर मिश्रा इंटर कॉलेज में पढ़ाते हैं और मां एलआईसी में कार्यरत हैं. बताया जाता है कि कृतिका बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी रही हैं. वर्तमान में वह कानपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी की छात्रा हैं। बचपन से ही उनका उद्देश्य आईएएस अधिकारी बनकर समाज की सेवा करना था।

    Success Story: पहले UPSC पास किया, फिर PCS का रिजल्ट आया, फिर बने SDM

    ये कृतिका द्वारा दिए गए सफलता मंत्र हैं

    सबसे पहले परीक्षा के सिलेबस को समझना जरूरी है, ताकि आप भटक न जाएं।
    तैयारी के लिए पिछले 10 वर्षों के प्रश्न पत्रों का अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है।
    प्रीलिम्स के दौरान धैर्य रखें।
    मॉक टेस्ट देते समय उसका विश्लेषण और रिवीजन जरूर करें।
    मेन्स के लिए प्रीलिम्स देने से पहले तैयारी करनी चाहिए।
    उत्तर लेखन का अभ्यास पहले से शुरू करना भी बहुत फायदेमंद होता है।
    परीक्षा की तैयारी में एनसीईआरटी की किताबें बहुत मददगार होती हैं। NCERT की किताबों से अपने शॉर्ट नोट्स तैयार करना चाहिए.
    इंटरव्यू के दौरान नर्वस ना हों. इसके लिए पहले से ही ज्यादा से ज्यादा मॉक इंटरव्यू की प्रैक्टिस करें.

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  • IPS Success Story: Social मीडिया Star ने पहली बार में पास किया UPSC और बन गईं IPS अफसर

    Ips Success Story : UPSC सिविल सेवा परीक्षा निस्संदेह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. IAS, IPS और IFS अधिकारी बनने के लिए हर साल लाखों उम्मीदवारों ने UPSC CSE के लिए आवेदन किया. हालांकि, कुछ ही उम्मीदवार कड़ी मेहनत करके इस हाई-प्रोफाइल परीक्षा को पास करने में सफल होते हैं.

    कुछ उम्मीदवार परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाते हैं, हालांकि, ऐसे कई लोगों के उदाहरण हैं, जिन्होंने कोचिंग लिए बिना सेल्फ स्टडी करके परीक्षा में सफलता प्राप्त की. उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने जीवन में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचते हैं.

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    ऐसी ही एक शख्सियत हैं आईपीएस दिव्या तंवर. कौन हैं आईपीएस दिव्या तंवर? वह 2021 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने 2021 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 438 के साथ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास की. उन्होंने अपने पहले अटेंप्ट में 21 साल की उम्र में परीक्षा पास की. वह यूपीएससी परीक्षा के कई उम्मीदवारों के लिए एक मोटिवेशन हैं और उनके वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं.

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    आईपीएस दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली हैं. आईपीएस दिव्या तंवर ने शुरुआत में अपने होम टाउन के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, लेकिन बाद में उनका चयन नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ के लिए हो गया. उनके पास विज्ञान (बीएससी) में स्नातक की डिग्री है. ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. उन्होंने 1.5 साल की तैयारी के साथ अपना पहला यूपीएससी अटेंप्ट दिया.

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    उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. 2011 में पिता की मौत के बाद परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दिव्या पढ़ाई में होशियार थीं और इसीलिए उनकी मां बबिता तंवर उनका साथ देती हैं. दिव्या ने कोई कोचिंग नहीं ली और यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली. बाद में, उन्होंने अपनी यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए टेस्ट सीरीज समेत अलग अलग ऑनलाइन सोर्सेज से मदद ली. प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद वह यूपीएससी कोचिंग मेंटरशिप प्रोग्राम में शामिल हुईं.

    उसके पास उचित वित्तीय सहायता नहीं थी, लेकिन उनकी मां ने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाई करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. दिव्या जब परीक्षा की तैयारी कर रही थीं तब उनकी मां बबिता ने भी उन्हें आर्थिक मदद की थी.

     

  • फुल टाइम Job के साथ की UPSC की तैयारी, हासिल की तीसरी रैंक, बैंक PO से बनी IAS

    IAS Stuti Charan Success Story: आज हम एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बात करेंगे, जो हमेशा से ही समाज की भलाई के लिए काम करना चाहती थीं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर स्तुति चरण की, जिन्होंने फुल टाइम जॉब से साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की थी. यूपीएससी की राह इतनी आसान नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद स्तुति ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर तीसरी रैंक हासिल की और IAS ऑफिसर का पद प्राप्त किया. स्तुति अपना यह सपना साल 2012 में साकार किया था. वहीं, सबसे दिलचस्प बात यह है कि स्तुति चरण आईएएस अधिकारी बनने से पहले यूको बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में काम करती थीं और काम करते-करते ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की थी.अपने जिले की लोकल खबरे देखने के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स (Satna Times)ऐप

    स्तुति ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि “मैं बचपन से ही खुद को एक आईएएस के रूप में देखने की उम्मीद के साथ बड़ी हुई हूं, जिस कारण मैंने आईएएस बनने के लक्ष्य से ही खुद को तैयार किया है और कभी भी खुद को नीचे नहीं आने दिया है. सक्सेस की हर कहानी एक प्रेरणा होती है और मुझे उन सभी टॉपर्स से प्रेरणा मिली जिनके बारे में मैंने पढ़ा है.”

    बता दें कि स्तुति चरण राजस्थान के जोधपुर में खारी कल्ला नाम के गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता राम करण बरेठ राजस्थान राज्य भण्डारण निगम में उप निदेशक के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी माता सुमन हिन्दी लेक्चरर हैं. वहीं, स्तुति की छोटी बहन नीति डेंटिस्ट हैं.

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    स्तुति चरण ने अपनी स्कूली शिक्षा विवेकानंद केंद्र विद्यालय (हुरदा), भीलवाड़ा से पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन किया और फिर आईआईपीएम, नई दिल्ली से पर्सनल और मार्केटिंग मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा हासिल किया है.

    IPS SUCCESS STORY : मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, तो बेटी 21 की उम्र में ही बन गई IPS

    स्तुति चरण ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी और हमेशा आईएएस अधिकारी बनने पर ध्यान केंद्रित किया था.

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  • IPS SUCCESS STORY : मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, तो बेटी 21 की उम्र में ही बन गई IPS

    IPS Divya Tanwar Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा 2023 में करीब एक महीने का समय ही बच गया है. इस परीक्षा में शामिल होने के इच्छुक उम्मीदवार प्रीलिम्स परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने आप को मोटिवेट रखने के लिए उम्मीदवार पूर्व आईएएस और आईपीएस ऑफिसर्स की सक्सेस स्टोरी पढ़ते हैं, जिससे उन्हें काफी प्रेरणा मिलती है. इसी कड़ी में आज हम आपके लिए एक ऐसी ही आईपीएस ऑफिसर दिव्या तंवर की सक्सेस स्टोरी लेकर आए हैं, जिनके सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था, लेकिन उनकी मां ने उन्हें जैसे-तैसे मजदूरी करके उन्हें पढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप बेटी दिव्या ने भी महज 21 साल की उम्र में ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर डाली और आईपीएस ऑफिसर बन गईं.  अपने जिले की लोकल खबरे देखने के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स (Satna Times)ऐप

    बता दें कि आईपीएस दिव्या तंवर ने तमाम मुश्किलों को पार करने के बाद अपने इस लक्ष्य को हासिल किया था. जब दिव्या B.Sc की पढ़ाई कर रही थी, तभी उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देगी और परीक्षा क्रैक कर ऑफिसर बनेंगी.

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    बचपन में ही सिर से उठा पिता का साया
    आईपीएस दिव्या तंवर का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था. वह एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं. लेकिन जब दिव्या अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, उसी दौरान दिव्या और उनके परिवार पर मुश्किलों का पहाड़ तब टूट पड़ा, क्योंकि दिव्या के पिता की मृत्यु हो गई और वह उन्हें काफी छोटी उम्र में ही अकेला छोड़ गए. इसके चलते पहले से ही घर के खराब आर्थिक हालात और भी खस्ताहाल हो गए. हालांकि, दिव्या की मां ने बबीता तंवर ने कभी भी अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी.

    मां ने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया
    बता दें कि दिव्या की स्कूलिंग नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ से हुई है. वह कुल तीन भाई बहन हैं. उनकी मां ने अपने तीनों बच्चों को सिलाई-कढ़ाई का काम करके सभी को अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया. दिव्या तंवर ने भी अपनी ग्रेजुएशन खत्म होते ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.

    बिना कोचिंग महज 21 साल की उम्र में क्रैक की UPSC परीक्षा
    दिव्या की तैयारी कुछ ऐसी थी कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में और वो भी महज 21 साल की उम्र में ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर डाली और ऑल इंडिया में 438वीं रैंक हासिल कर आईपीएस ऑफिसर बन गईं. इसके अलावा एक खास बात बता दें कि दिव्या ने इस परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी, उन्होंने महज सेल्फ स्टडी के जरिए ही यह परीक्षा क्रैक कर डाली थी.

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