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SATNA NEWS : ‘खाली थप्पड़… हाथ-पैर तोड़ना था!’: सांसद के थप्पड़ विवाद पर भाजपा महिला नेता का भड़काऊ पोस्ट, विपक्ष हमलावर

सतना, मध्य प्रदेश। भाजपा सांसद गणेश सिंह द्वारा नगर निगम के एक कर्मचारी को थप्पड़ मारने की घटना अभी शांत भी नहीं ...

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| सतना टाइम्स

सतना, मध्य प्रदेश। भाजपा सांसद गणेश सिंह द्वारा नगर निगम के एक कर्मचारी को थप्पड़ मारने की घटना अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब उनकी ही पार्टी की एक महिला नेता के सोशल मीडिया पोस्ट ने विवाद को और ज़्यादा भड़का दिया है। भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व जिला अध्यक्ष नीता सोनी के बयान ने न सिर्फ हंगामा खड़ा कर दिया है, बल्कि भाजपा की ‘हिंसक मानसिकता’ को लेकर विपक्ष को हमला करने का नया मौका दे दिया है।

‘हाथ-पैर तोड़ देना चाहिए था’: महिला नेता का समर्थन

यह विवाद सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के दिन की है, जब सतना सांसद गणेश सिंह सेमरिया चौक पर अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए क्रेन के हाइड्रोलिक बॉक्स में चढ़े थे। मशीन के अचानक झटके से रुकने और सांसद के हवा में असंतुलित होने के बाद, उन्होंने नीचे उतरते ही नगर निगम कर्मचारी गणेश कुशवाहा को थप्पड़ जड़ दिया था।

'हाथ-पैर तोड़ना था', भाजपा महिला नेता के पोस्‍ट पर बवाल, सतना सांसद चुप

सांसद के इस कृत्य पर अब भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व जिला अध्यक्ष नीता सोनी ने सोशल मीडिया पर उनका समर्थन करते हुए एक चौंकाने वाला पोस्ट किया। उन्होंने लिखा: “हम सब वहां मौजूद थे। सांसद जी ने तो खाली थप्पड़ मारा है। उसके हाथ-पैर तोड़ देना चाहिए था जिस तरह उसने मशीन को झटका मारा। अगर सांसद जी गिर जाते और लंबी घटना हो जाती तो कौन जिम्मेदार था।”

कांग्रेस ने बताया ‘हिंसक मानसिकता’

नीता सोनी का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया है। कांग्रेस ने इसे भाजपा नेताओं की “हिंसक मानसिकता” और ‘मानवता को शर्मसार करने वाली घटना’ करार दिया है। विपक्ष ने तीखा तंज कसते हुए कहा है कि जब सत्ताधारी दल के नेता खुलेआम हिंसा का समर्थन करने लगें, तो वे जनता के प्रति क्या रवैया रखते होंगे, यह समझा जा सकता है।

सांसद गणेश सिंह की चुप्पी बरकरार

नगर निगम अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा था कि हाइड्रोलिक मशीन की क्षमता केवल दो लोगों की थी, लेकिन उस पर चार नेता चढ़ गए थे, जिसके कारण वह झटके से रुक गई थी।इस पूरे विवाद पर, सांसद गणेश सिंह ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे कांग्रेस नेता और सामान्य सोशल मीडिया यूज़र्स लगातार सवाल उठा रहे हैं कि सार्वजनिक कार्यक्रम में हिंसा करना और फिर उसका खुलेआम समर्थन करना क्या भाजपा की नीति का हिस्सा है? यह विवाद अब सिर्फ थप्पड़ तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि भाजपा के भीतर अनुशासन और ज़िम्मेदारी को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

 

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