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भगवान राम की कर्मस्थली चित्रकूट में दीपावली पर 12 लाख भक्तों ने मंदाकिनी में लगाई डुबकी, कामदगिरि की परिक्रमा कर किया दीपदान

Chitrakoot Diwali 2025 :दीपावली के पावन अवसर पर, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन कर्मस्थली चित्रकूट धाम आस्था के महासागर में ...

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| सतना टाइम्स

Chitrakoot Diwali 2025 :दीपावली के पावन अवसर पर, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन कर्मस्थली चित्रकूट धाम आस्था के महासागर में सराबोर हो गया है। सोमवार को यहां लगभग 12 लाख श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगाई और भगवान कामदगिरि की परिक्रमा कर दीपदान किया है।चित्रकूट के 5 किलोमीटर लंबे कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर ऐसा नजारा था, मानो आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हों।

घाटों से लेकर गुफाओं तक, हर तरफ आस्था का उजास

सोमवार को मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित रामघाट, भरत घाट और राघव प्रयाग घाट पर भक्तों की इतनी भारी भीड़ उमड़ी कि तिल रखने तक की जगह नहीं बची। इसके अतिरिक्त, हनुमानधारा, स्फटिक शिला, सती अनुसुइया, गुप्त गोदावरी और भरतकूप जैसे सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर अपनी मनोकामनाएं मांगीं है।प्रशासन के मुताबिक, इस बार मध्य प्रदेश के हिस्से में आने वाले भरत घाट पर पहली बार दीपदान के लिए इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे, जिससे वहां की छटा देखते ही बन रही थी।

कलेक्टर-एसपी ने संभाला मोर्चा

आस्था के इस जनसैलाब को देखते हुए कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस और पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह खुद चित्रकूट में मौजूद रहे और लगातार व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे। प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए किए गए व्यापक इंतजामों के चलते, लाखों भक्तों ने सुगमता से स्नान, परिक्रमा और दीपदान संपन्न किया।

जहां माता जानकी ने जलाए थे पहले दीये

चित्रकूट में दीपदान का विशेष पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि वनवास काल के दौरान, जब भगवान श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण जी ने चित्रकूट में साढ़े ग्यारह साल बिताए थे, तब अमावस्या की घनी अंधेरी रात देखकर माता जानकी ने स्वयं यहां सर्वत्र दीप प्रज्वलित कर अंधकार को दूर किया था।

40 लाख पहुचने का अनुमान

तभी से यहां दीपदान की यह अनूठी परंपरा चली आ रही है।प्रशासन का अनुमान है कि पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व के दौरान इस बार 40 लाख से अधिक श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचेंगे।

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