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सेवा, संवेदना और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल बना “सानिध्य केयर फाउंडेशन” हर दिल में जगा रहा मानवता की लौ

कभी-कभी एक छोटी सी भावना, एक छोटी सी करुणा—एक बड़ी क्रांति का जन्म देती है। ऐसा ही एक भाव बना ‘सानिध्य केयर फाउंडेशन’ की नींव का आधार, जिसने सतना (म.प्र.) से अपनी यात्रा शुरू की और आज मध्यप्रदेश से लेकर पंजाब तक समाज सेवा की नई मिसाल बन गया है।

इस फाउंडेशन की शुरुआत एक युवा सोच से हुई—एक ऐसी सोच जो समाज के सबसे उपेक्षित वर्गों तक पहुंचकर, न सिर्फ उन्हें सहायता दे सके, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और अपनापन का अहसास भी करा सके। शुरुआत छोटी थी जैसे कुछ भूखे बच्चों को खाना, कुछ बुजुर्गों को कंबल और कुछ बेसहारा जानवरों को पानी भोजन की व्यवस्था देना। लेकिन यही छोटे-छोटे कार्य जब एक आंदोलन का रूप लेने लगे, तो जन्म हुआ सानिध्य केयर फाउंडेशन का।

फाउंडेशन का उद्देश्य केवल सेवा करना नहीं, बल्कि सेवा में संवेदना और सम्मान को जोड़ना है। आज फाउंडेशन विभिन्न शहरों—जबलपुर, सतना, छतरपुर, पंजाब के पठानकोट सहित कई अन्य स्थानों में सक्रिय है और यह लगातार बढ़ती एक प्रेरणादायक टीम के रूप में काम कर रहा है।

*सानिध्य टीम की लगन और सेवा से किये जा रहे कार्य :*
*निराश्रित बुजुर्गों की सेवा* — वृद्धाश्रमों में जाकर भोजन, फल, कंबल और स्नेह बांटना। सिर्फ ज़रूरत नहीं, सम्मान देना इस सेवा का मूल उद्देश्य रहा है।

*भोजन सेवा* — शहर की झुग्गी बस्तियों, पुनर्वास केंद्रों और अनाथालयों में जाकर गर्म भोजन वितरित करना। “कोई भूखा न सोए” इस विचार को लेकर निरंतर भोजन वितरण किया जाता है।

*शिक्षा के क्षेत्र में योगदान* — बालिका अनाथाश्रम में स्कूल बैग, स्टेशनरी और किताबें बांटी गईं ताकि कोई बच्चा अपनी गरीबी के कारण अपने सपने अधूरे न छोड़ दे।

*विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए सहयोग* — “आंचल विकलांग पुनर्वास केंद्र” में हर महीने सहायता राशि, पोषण युक्त आहार, मिठाइयाँ और अपनापन लेकर जाना सानिध्य की नियमित सेवा बन गई है।

*बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए जल पात्र अभियान* — गर्मी के दिनों में शहर भर में जल पात्र रखकर पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने का अभियान लोगों के दिल को छू गया।

*नवजात शिशु पोषण* — विभिन्न शिशु गृहों में जाकर नेस्टोजन जैसे पोषण युक्त आहार देना ताकि इन नन्ही जानों को भी सही शुरुआत मिल सके।

फाउंडेशन के संस्थापक लवलेश गर्ग कहते हैं, “हम सिर्फ मदद नहीं करते, हम एक भावना देते हैं कि ‘आप अकेले नहीं हैं’। हमारे लिए सेवा कोई दान नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है।”

फाउंडेशन की सचिव पूनम हलदर ने समझाया की “सानिध्य” का मतलब है – साथ यानि अपनापन, नजदीकी। यह संस्था समाज के हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी होती है, जो खुद को अकेला समझता है।

*एक सोच जो युवा भारत को जोड़ रही है:*
फाउंडेशन का मकसद है हर राज्य में वालंटियर्स तैयार करना, ताकि सेवा की लौ केवल शहरों में नहीं, गांवों, कस्बों और हर कोने तक पहुंचे। जब युवा पीढ़ी अपने समय और संसाधनों का उपयोग दूसरों की मदद के लिए करने लगे, तो वही असली परिवर्तन होता है। हमें खुशी है कि हमारे साथ लगातार युवा वॉलंटियर्स जुड़ रहे हैं और सेवा कार्यों को न सिर्फ दिल से कर रहे हैं, बल्कि समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं। उनके उत्साह, समर्पण और ऊर्जा से हमारी मुहिम को नई गति और गहराई मिल रही है।

सानिध्य केयर फाउंडेशन केवल एक संस्था नहीं, एक सोच है—जो हर दिल में मानवता की लौ जलाए रखना चाहती है। आइए, हम सब साथ मिलकर इस सेवा पथ पर कदम बढ़ाएं और एक संवेदनशील, समर्पित और सहृदय भारत की नींव रखें।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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