MP : आदिवासी विभाग के छात्रावासों की मरम्मत के नाम पर गड़बड़झाला, जिम्मेदार मौन

सिंगरौली(SINGRAULI NEWS)।। आदिवासी विभाग के छात्रावासों मेें छत मरम्मत, पुताई, बाउन्ड्रीवाल, शौंचालय, टाइल्स, गेट सहित अन्य कार्यों को लेकर जनजातीय विभाग ने 101.41 करोड़ की लागत से 9 छात्रावासों का मरम्मत कार्य किया जा रहा है। जहां संविदा एजेंसी पीडब्ल्यूडी के द्वारा हुए टेण्डर के बाद संविदाकार कार्यों में लीपापोती कर खानापूर्ति कर रहे हैं। लेकिन संविदा एजेंसी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, कर्मचारियों को इसकी मानीटरिंग करने तक का समय नहीं मिल रहा है।


दरअसल जिले के जनजातीय विभाग के 9 छात्रावासों में मरम्मत कार्य के लिए 101.41 करोड़ की लागत से टेण्डर कार्य जारी किये गये थे। जिसमें अलग-अलग छात्रावासों में अलग-अलग कार्य कराये जाने हैं। जिनमें सिंगरौली मुख्यालय के तीन छात्रावासों जनजातीय सीनियर उत्कृष्ट बालक छात्रावास चन्द्रमा टोला बैढऩ, जनजातीय जूनियर बालक छात्रावास बलियरी एवं जनजातीय महाविद्यालयीन बालक छात्रावास बैढऩ में हो रहे मरम्मत कार्यों का नवभारत की टीम ने जायजा के दौरान मिला की मरम्मत कार्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है।

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आलम यह है कि छात्रावासों के छतों के मरम्मत के बाद भी छतों से पानी का सिपेज अभी भी बंद नहीं हुआ है। वहीं जगह-जगह क्रेक दिवालों में सीमेंट, बालू चुपड़कर पुताई करायी जा रही है। छात्रावास मेें मौजूद छात्रों से पूछने पर छात्रों ने बताया कि कार्य को लेकर शुरू में ही अधिकारी काम बताने के लिए आये थे। लेकिन इसके बाद आज तक सत्यापन करने के लिए कोई जिम्मेदार अमला नहीं आया है। लिहाजा संविदाकार के द्वारा छात्रावासों के मरम्मत कार्य को घटिया तरीके से कराया जा रहा है।

डिस्टेम्पर से छतों में करायी जा रही पुताई

मीडिया की टीम ने जब छात्रावासों में चल रहे मरम्मत कार्यों का जायजा लेने पहुंची तो देखा गया कि छत मरम्मत कार्य में भी गड़बड़झाला करने की बू आ रही है। हालांकि इस पर कुछ कह पाना अभी जल्दबाजी होगी। बारिश के सीजन में लाखों रूपये खर्च का पोल खुल सकता है। वहीं छत मरम्मत कार्य के दौरान संविदाकार ने छतों से पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। लिहाजा छतों में अभी भी पानी रमा हुआ है। जिससे स्पष्ट रूप से अभी भी दीवालों में सिपेज जारी है।

ग्राउण्ड के लेवलिंग में भी गड़बड़झाला

जनजातीय जूनियर बालक छात्रावास बैढऩ में ग्राउण्ड के लेवलिंग को लेकर 4.96 लाख की लागत से कार्य कराया जाना था। लेकिन संविदाकार ने महज मिट्टी पटवाकर लेवलिंग का कार्य पूरा कर दिया है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि संविदाकार के द्वारा पानी निकलने तक की व्यवस्था नहीं की गयी है। लिहाजा बारिश के दिनों में ग्राउण्ड में पानी भरे रहने की पूरी संभावना है या फिर ग्राउण्ड के अंदर का पूरा पानी छात्रावासों में प्रवेश कर सकता है। जिसको लेकर छात्रावास के अधीक्षक ने भी संविदाकार पर सवाल खड़े किये हैं।

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