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Maihar News :श्री रामार्चा महायज्ञ,हनुमतगाथा के साथ हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम

मैहर, पौराणिक तपोस्थली श्रीमानसपीठ खजुरीताल पाटोत्सव के द्वितीय दिवस प्रभात बेला में श्रीरामार्चा महायज्ञ संपन्न हुआ। जिसके मुख्य यजमान श्री श्री 1008 खजुरीताल पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीरामलालचार्य जी महाराज रहे। महाराज जी ने आगे बताते हुए कहा की ये महायज्ञ विंध्य की धारा में पहली बार हुआ है। त्रेता युग में भगवान इसका प्रसाद पाने के लिए माता पार्वती से झूठ बोला था, तब माता पार्वती ने भगवान शंकर को श्राप दिया था।

श्रीरामार्चा महायज्ञ,हनुमतगाथा के साथ हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम
Photo credit by satna times

इसका महाप्रसाद पाने से दुनिया के सारे दुख दूर हो जाते हैं, इसमें 108 महाव्यंजन से भगवान राम को भोग लगता है।द्वितीय दिवस हनुमतगाथा के शुभारंभ अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक जगद्गुरू श्रीरामललाचार्य जी महाराज ने कहा की हनुमान जी को प्रभु श्रीराम जी का चलता फिरता घर कहते हैं। हनुमत गाथा का पूरे विश्व में अगर कोई प्रवक्ता है तो बेदांती जी महाराज हैं, हम सभी एक ऐसे संत महापुरुष का दर्शन कर रहे हैं जिन्हें जीवन में अहंकार नहीं है, वही वास्तविक संत हैं।



द्वितीय दिवस की हनुमतगाथा प्रारंभ करते हुए कथाव्यास ब्रह्मर्षि डाॅ. रामविलास दास बेदांती जी महराज ने कहा की हजारों की वानर सेना जब समुद्र के उस पार जाने में असमर्थ थी, तब उस समय जामवन्त जी ने उनके पराक्रम को याद दिलाया। तब हनुमान जी ने वो शौर्य दिखाया जो आज तक दुनिया में नहीं देखा गया। जगत जगदंबा जानकी का दर्शन भी किया, उनसे वार्ता भी किए और इसके बाद लंका नगरी को जलाकर पुनः वापस आ गए। रावण की सेना में से 7 करोड़ राक्षसी का वध किया था, कोई कल्पना नहीं कर सकता। सेना के मंत्री का वध किया, राजा रावण के बेटे का वध किया और इसके बाद रावण का बेटा मेघनाथ हनुमान जी को बाध कर ले गया तो रावण ने पूछा कैसे बध गए तो हनुमान जी ने कहा, मैं बधा नहीं हूँ, मुझे ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था की दुनिया का कोई ब्रह्मदंड तुम्हारा स्पर्श नहीं कर सकता। मैं तो केवल तुमसे वार्ता के लिए आया हूँ, तुम्हें मैं समझाने आया हूँ अगर ज़िंदा रहना चाहते हो तो प्रभु श्रीराम की शरण में चले जाओ। जिसमें कोई विकार नहीं है वो विकार भगवान है,जिसमें चारो गुण परिक्रमा करते हैं उसे अवगुण कहते हैं। माता जानकी ने हनुमान को राम तत्व का उपदेश दिया जिससे जन्म और मरण का चक्कर समाप्त हो जाता है। वेदों पुराणों का सार ही राम है, हनुमान ने इसको ह्रदय में बसा लिया। आगे डाॅ. बेदांती महराज ने बताया कि संगीतग्रंथ की रचना हनुमान जी ने ही किया है। हनुमान जी ने ही संगीत को सारे संसार में फैलाया। श्रीराम का नाम लेकर संगीत रूप में श्रीराम को पहली बार कीर्तन सुनाया। भगवान श्रीराम की प्रसन्नता के लिए संगीत सुनाया, कोई ऐसा पुराण नहीं मिलेगा जिसमें प्रभु श्रीराम के साथ हनुमान जी का वर्णन ना हो।

संकट ते हनुमान छुडावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
इस तथ्य में सारे संसार की गीता, वेद,पुराण सब निहित हैं। आज के कार्यक्रम में पुरुषोत्तम शर्मा व्यवस्थापक खजुरीताल,यदुनाथ द्विवेदी आश्रम सहयोगी,सुजीत परौहा,अमरपाटन थाना प्रभारी केपी त्रिपाठी, सूर्यप्रकाश द्विवेदी,अमर पासी,रणछोर प्रसाद द्विवेदी, आरके मिश्रा,रजनीश पयासी,जेपी शर्मा,डाॅ. अमित पाण्डेय,विष्णु शर्मा,अविनाश तिवारी समेत अन्य भक्तगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी पंडित सचिन शर्मा सूर्या ने भक्तगणों व श्रद्धालुओं से तृतीय दिवस के कार्यक्रम में खजुरीताल धाम पहुंचकर कार्यक्रम को सफल बनाने का आग्रह किया है।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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