दिल्ली में आकर एक नौजवान इतना बेखौफ है कि इसी दिल्ली में पहले क़त्ल करता है फिर 18 दिनों तक लाश के टुकड़े लेकर पूरी दिल्ली में घूमता रहता है और फिर काम खत्म हो जाने के बावजूद वो दिल्ली से भागता नहीं बल्कि इसी दिल्ली में बेखौफ रहता है. ये कहानी है उस आफताब की, जिसने श्रद्धा का बेरहमी से कत्ल किया था!
देश की राजधानी दिल्ली है. यहां करीब दो करोड़ लोग रहते हैं. देश के सबसे ताक़तवर लोगों का बसेरा भी यहीं है. इन दो करोड़ लोगों की हिफाजत के लिए लगभग 90 हज़ार पुलिसवाले हैं. दिल्ली का ऐसा कोई कोना नहीं जो पुलिसवालों से खाली हो, मगर इन्हीं दो करोड़ लोगों और 90 हज़ार पुलिसवालों को अनदेखा कर एक शख्स बेखौफ दिल्ली भर में घूम-घूमकर पूरे 18 दिनों तक एक लाश के टुकड़ों को फेंकता रहा और किसी को भनक और बू तक नहीं लगी,
दिल्ली का न होकर भी मुंबई से हज़ार किलोमीटर दूर अनजान दिल्ली में आकर एक नौजवान इतना बेखौफ है कि इसी दिल्ली में पहले क़त्ल करता है फिर 18 दिनों तक लाश के टुकड़े लेकर पूरी दिल्ली में घूमता रहता है और फिर काम खत्म हो जाने के बावजूद वो दिल्ली से भागता नहीं बल्कि इसी दिल्ली में बेखौफ रहता है. ये कहानी है उस आफताब की, जिसने श्रद्धा का बेरहमी से कत्ल किया और उसकी लाश के 20 से अधिक टुकड़े किए.
कहानी शुरू होती है मुंबई से,
27 साल की श्रद्धा विकास वॉलकर नौकरी की तलाश में पहली बार मुंबई आती है. महाराष्ट्र के पालघर में अपनी मां और भाई को छोड़कर. श्रद्धा के पिता विकास मदन वॉलकर पालघर में इलेक्ट्रॉनिक सामान की एक दुकान और सर्विस का काम करते थे. मदन वॉलकर 2016 से ही अपने परिवार से अलग रह रहे थे. उनके परिवार में बेटी श्रद्धा के अलावा पत्नी सुमन और 23 साल का एक बेटा है. श्रद्धा को मलाड में एक मल्टीनेशनल कंपनी के कॉल सेंटर में नौकरी मिल जाती है.
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इसी कॉल सेंटर में 30 साल का आफताब अमीन पूनावाला भी नौकरी कर रहा था. यहीं श्रद्धा और आफताब की पहली बार मुलाकात होती है. करीब 8-9 महीने की मुलाकात के बाद दोनों में प्यार हो जाता है. 2019 की शुरुआत में श्रद्धा और आफताब फैसला करते हैं कि अब वो अलग अलग रहने की बजाए एक साथ लिव इन में रहेंगे. इसके बाद दोनों मलाड में किराए का एक घर ले लेते हैं. श्रद्धा की मां और पिता अब भी पालघर में हैं.
आफताब के साथ लिव इन में रहने लगी थी श्रद्धा,
लिवइन में रहने के कुछ दिन बाद ही श्रद्धा एक रोज अपनी मां को आफताब के बारे में सारा सच बता देती है. मां से होते हुए ये बात बाप तक पहुंचती है. दोनों आफताब के साथ श्रद्धा के रिश्ते का विरोध करते हैं. बातचीत के लिए श्रद्धा को पालघर बुलाते हैं. श्रद्धा पालघर आती है. मगर मां बाप के समझाने के बावजूद वो आफताब के साथ लिव इन में रहने और उसी से शादी करने की जिद पर अड़ी रहती है.
मां-बाप के गुस्सा करने पर आखिरकार श्रद्धा घर से अपना सारा सामान उठाती है और ये कहकर चली जाती है कि अब ये समझ लेना कि आज से आपकी कोई बेटी ही नहीं है. अब कुछ वक़्त तक श्रद्धा और उसके घरवाले एक दूसरे से दूरी बना लेते हैं. मगर श्रद्धा के दोस्तों श्रद्धा के फेसबुक और उसके वॉट्सएप स्टेटस से श्रद्धा के मां-बाप को लगातार उसके बारे में जानकारी मिल रही थी. इसी दौरान 23 जनवरी 2020 को श्रद्धा की मां सुमन की मौत हो जाती है.
श्रद्धा ने मां-बाप को बताई थी आफताब की सच्चाई,
मौत से पहले सुमन बीच बीच में अपनी बेटी से फोन पर बात किया करती है. मां की मौत की खबर सुनकर वो पालघर आती है, लेकिन फिर सारी रस्में निभाकर वापस मुंबई आफताब के पास पहुंच जाती है. मौत से पहले श्रद्धा की मां सुमन ने अपने पति को बताया था कि आफताब सुमन से मारपीट करता है, उससे झगड़ा करता है, मां ने समझाया भी था कि अब आफताब को छोड़ दे, लेकिन तब श्रद्धा ने कहा कि आफताब ने माफी मांग ली है और वो सुधर गया है.
मां की मौत के बाद श्रद्धा ने अगले 15-20 दिनों में अपने पिता से कुल दो बार फोन पर बात की थी. पिता ने बताया कि तब भी उसने ये कहा था कि आफताब उसे मारता पीटता है, तब पिता ने भी उससे रिश्ता तोड़ लेने की बात कही थी, लेकिन वो नहीं मानी. इसके बाद अगले करीब दो साल तक बाप बेटी में कोई बात नहीं हुई. अलबत्ता श्रद्धा के पिता उसके दोस्तों से बीच बीच में उसकी खैरियत लेते रहते थे.
मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो गए थे आफताब और श्रद्धा,
8 मई 2022 को श्रद्धा और आफताब अब मुंबई छोड़कर दिल्ली आ जाते हैं. दो वजहों से… एक श्रद्धा के साथ साथ आफताब का परिवार भी इस रिश्ते के खिलाफ था. दूसरा दिल्ली में बेहतर नौकरी की उम्मीद थी. दिल्ली आने के बाद दोनों पहली रात पहाड़गंज के एक होटल में गुजारते हैं. फिर अगले दिन सैजदुल्लाजाब के एक होटल में ठहरते हैं. फिर तीसरे रोज दोनों अपने कॉमन फ्रेंड के साथ उसके घर पर छतरपुर में रुकते हैं.
फिर कुछ दिन बाद ही छतरपुर मे ही एक घर किराए पर ले लेते हैं. इसका पता है D-93/1 छतरपुर. दिल्ली आने के बाद श्रद्धा नौकरी की तलाश शुरू करती है जबकि आफताब को एक कॉल सेंटर में काम मिल चुका था. श्रद्धा से उसके पिता या भाई की अरसे से बात नहीं हो रही थी, पर श्रद्धा के दोस्तों के जरिए उन्हें ये पता चल चुका था कि दोनों अब दिल्ली में हैं और छतरपुर में कहीं रह रहे हैं.
श्रद्धा का फोन बंद होने पर पिता को हुआ शक,
इसी दौरान 14 सितंबर को श्रद्धा के भाई श्रीजय को श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नाडर ने फोन कर बताया कि पिछले दो महीने से श्रद्धा का मोबाइल बंद है. क्या तुम्हारे पास उसका कोई फोन आया? ये सुनकर श्रद्धा के पिता ने लक्ष्मण को फोन मिलाया और उससे अपनी बेटी के बारे में पूछा. लक्ष्मण ने बताया कि अमूमन हर दो तीन दिन में श्रद्धा से उसकी बात होती रहती थी, लेकिन इधर पिछले दो ढाई महीने से कोई बात नहीं हुई है, उसका मोबाइल ही बंद है.
श्रद्धा के पिता ने ये सुनकर श्रद्धा के बाकी दोस्तों को फोन घुमाया. सभी ने यही कहा कि पिछले दो ढाई महीने से श्रद्धा से उनकी कोई बात नहीं हुई है. ये सुनकर श्रद्धा के पिता घबरा गए. सबसे पहले उन्होंने पालघर के मणिकपुर थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई, पर चूंकि श्रद्धा दिल्ली के छतरपुर से गायब हुई थी. लिहाजा महाराष्ट्र पुलिस ने रिपोर्ट दिल्ली की महरौली थाने को आगे बढ़ा दी.
9 नवंबर को महरौली पुलिस ने श्रद्धा के पिता विकास वॉलकर की शिकायत पर श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी. उन्होंने दिल्ली पुलिस को श्रद्धा और आफताब के रिश्ते और दोनों के दिल्ली के छतरपुर में लिव इन में रहने की बात भी बता दी. इसी के बाद अब महरौली पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. सबसे पहले उसने आफताब के फोन में झांकना शुरू किया.
19 मई को आफताब और श्रद्धा के बीच हुआ था झगड़ा,
पता चला कि आफताब की लोकेशन मई से ही दिल्ली में है, पर इस फोन से ये भी पता चला कि 19 मई के बाद से श्रद्धा का मोबाइल बंद है. ये बात हैरान करने वाली थी. इसके बाद महरौली पुलिस की टीम आफताब से पूछताछ शुरू करती है. शुरुआत में आफताब पुलिस को एक कहानी सुनाता है. वो कहता है कि श्रद्धा और उसका 19 मई को झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद उसी रोज श्रद्धा घर और उसे छोड़कर चली गई.
इस दौरान पुलिस ने छतरपुर में आफताब के इस घर की तलाशी भी ली थी, लेकिन तब ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे आफताब पर शक होता. पूछताछ और सवाल जवाब के दौरान कई बार आफताब अपने ही बयानों को काटता रहा. पुलिस को लग गया कि वो कुछ छुपा रहा है. इसके बाद जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ शुरू की तो फिर आफताब ने एक ऐसी कहानी सुनाई जो करोड़ की आबादी और 90 हज़ार पुलिस वाली इस दिल्ली में शायद ही इससे पहले सुनी या सुनाई गई हो.
आफताब ने गला दबाकर श्रद्धा को मार डाला,
वो 18 मई की रात थी…जब आफताब और श्रद्धा का झगड़ा हुआ. झगड़े की वजह वही पुरानी थी. श्रद्धा शादी करना चाहती थी और आफताब हमेशा की तरह टाल रहा था. मगर इस रात झगड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में आफताब ने श्रद्धा का गला जोर से पकड़ लिया और तब तक पकड़े रहा जब तक कि वो मर नहीं गई.क़त्ल के बाद अब उसने ठंडे दिमाग से लाश को ठिकाने लगाने की साज़िश रचनी शुरू की. पहली रात उसने लाश के साथ उसी घर में गुजारी.
अगले रोज यानी 19 मई को दिन में वो लोकल मार्केट की तिलक इलेक्ट्रॉनिक शॉप से एक बड़ा वाला फ्रिज खरीदकर लाता है. साथ ही एक बड़ी आरी. घर आने के बाद अब वो बाथरूम में बैठकर लाश के छोटे छोटे टुकड़े करना शुरू करता है. छोटे छोटे पॉलिथिन वो पहले ही ला चुका था. पर चूंकि मई का महीना था. गर्मी तेज़. लाश लगभग 24 घंटे पुरानी होने वाली थी लिहाजा बदबू आनी शुरू हो गई थी. अब वो लाश के टुकड़े करता. बाथरूम साफ करता और बीच बीच बीच में पूरे घर में परफ्यूम डालता जाता.
अमेरिकन क्राइम सीरिज से हत्या का आईडिया,
27 साल की श्रद्धा वालकर ने जिस लड़के के प्यार में अपनी फैमिली, अपना शहर छोड़ा, अपने दोस्तों को छोड़ा. उसी प्रेमी का उसकी सांसों से भी नाता खत्म कर दिया. मुंबई से सटे वसई की रहने वाली श्र्द्धा के प्रेमी और आरोपी आफताब ने दिल्ली में उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी. फिर 18 दिनों तक शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर महरौली के जंगल में फेंकता रहा ताकि वो किसी की पकड़ में ना आए.
शव के टुकड़े करने का आइडिया आरोपी को अमेरिकन क्राइम सीरिज Dexter से आया. उसने श्रद्धा के करीब 20 टुकड़े किए थे. श्रद्धा के दोस्तों ने ये भी बताया है कि एक बार श्रद्धा ने उन्हें मेसेज करके बोला था कि मुझे यहां से ले जाओ वर्ना आफताब मुझे मार डालेगा, तब दोस्तों ने श्रद्धा को रेस्क्यू किया और उससे कहा कि वो कभी आफताब के पास दोबारा ना जाए, लेकिन श्रद्ध ने उनकी बात नहीं सुनी और फिर आफताब के साथ रहने पहुंच गई!!