IPS Preeti Chandra Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करना कोई बच्चों का खेल नहीं है. यह भारत की सबसे कठिन परीक्षा है, जिसे पास करने के लिए अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. हर साल करीब 10 लाख अभ्यर्थी इस परीक्षा के लिए आवेदन करने हैं, लेकिन केवल 1 हजार अभ्यर्थी ही इस परीक्षा को पास कर ऑफिसर का पद हासिल कर पाते हैं. आज हम इस परीक्षा को पास कर बनी आईपीएस ऑफिसर प्रीति चंद्रा (IPS Officer Preeti Chandra) के बारे में बात करेंगे, जिनका नाम सुनते ही वहां के बड़े से बड़े डकैत भी सरेंडर कर देते थे. इनके नाम का इनता खौफ था कि अपराधी इन पोस्टिंग की खबर सुनते ही थर-थर कांपने लगते थे. MP में सबसे तेज और भरोसेमंद खबरों के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स ऐप, इस लिंक पर करें क्लिक
आईपीएस से पगले थीं टीचर
बता दें प्रीति राजस्थान के सीकर जिले की रहने वाली हैं. उनका जन्म साल 1979 में सीकर जिले के कुंदन नामक गांव में हुआ था. प्रीति का शुरू से ही सपना था कि वो जिंदगी में कुछ बड़ा करे. इसलिए वो पहले पत्रकार बनना चाहती थी, लेकिन M.Phil की डिग्री हासिल करने के बाद प्रीति ने स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. हालांकि, उनके मन में हमेशा कुछ बड़ा करने का जुनून सवार रहता था, जिसको देखते हुए उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देने का निर्णय लिया.
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बिना कोचिंग पहले अटेंप्ट में क्रैक किया UPSC
प्रीति ने इस परीक्षा के लिए इतनी तैयारी करी कि उनका पहले ही अटेंप्ट में आईपीएस (IPS) के पद के लिए सेलेक्शन हो गया. बता दें कि प्रीति ने साल 2008 में बिना किसी कोचिंग के ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर डाली थी.
प्रीति का नाम सुन डकैतों ने किया सरेंडर
आईपीएस बनने के कुछ समय बाद जब प्रीति की पोस्टिंग करौली में हुई, तो उन्होंने वहां के अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कई बडे़ काम किए. एसपी के तौर पर काम करते हुए उन्होंने वहां अपराधियों के बीच ऐसा डर बैठाया कि वहां के बड़े से बड़े डकैतों ने खुद ही सरेंडर कर दिया. बता दें कि इन डकैतों से लोहा लेने के लिए प्रीति अपनी टीम के साथ चंबल के बीहड़ों में भी उतर जाती थीं.
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ऐसे बनी लेडी सिंघम
इसके बाद उन्होंने राजस्थान के बूंदी जिले में कई ऐसे गिरोह का खुलासा किया था, जो छोटी बच्चियों को देह व्यापार के धंधे में धकेला करते थे. प्रीति ने उन सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया था. इसके अलावा उन्होंने कई नाबालिग बच्चियों को देह व्यपार के धंधे से बाहर निकाला था, जिसके बाद लोग उन्हें लेडी सिंघम के नाम से भी बुलाने लगे.
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