सिंगरौली(SINGRAULI TODAY NEWS)।। जिले में वर्ष 2022-23 धान उपार्जन में कई खरीदी केन्द्रों के द्वारा व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। तकरीबन एक दर्जन खरीदी केन्द्र शक के दायरे में आ गये हैं। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी इन पर मेहरबान भी हैं और दरियादिली दिखाने में पीछे नहीं हैं। समिति कुशाही में धान खरीदी में गड़बड़ घोटाला एक बानगी के रूप में माना जा रहा है।गौरतलब हो कि जिले में खरीफ धान उपार्जन वर्ष 2022-23 में पिछले साल खरीदी को पीछे छोड़ दिया। तकरीबन 14 लाख क्विंटल से अधिक धान खरीदी कर समितियों ने खूब वाहवाही ली थी। हालांकि इससे सरकार के खजाने पर मार पड़ती है। पिछले वर्ष बारिश भी अच्छी हुई थी और धान की पैदावार बेहतर थी। तब भी 13 लाख क्विंटल के करीब धान का उपार्जन समर्थन मूल्य के तहत हुआ था।
यहां बताते चलें कि इस वर्ष अल्प बारिश व मानसून के देरी से सक्रिय होने के कारण जिले में 50 फीसदी भी खरीफ फसल की बोनी नहीं हो पायी थी। अधिकांश अन्नदाता धान की खेती बाड़ी नहीं कर पाये। इसके बावजूद धान उपार्जन के लिए बनाये गये तकरीबन 5 दर्जन केन्द्रों में से अधिकांश में खूब खरीदी हुई। सवाल उठाया जा रहा है कि जब धान का पैदावार नहीं हुआ और भूमि के रकवे में खेती बाड़ी नहीं हुई फिर धान कहां से आयी? बैढऩ ब्लाक के उर्ती समिति के क्षेत्र में धान की सर्वाधिक खेती होती थी। लेकिन वर्ष 2022-23 में महज 19253 क्विंटल ही धान की खरीदी हो पायी। लोग बताते हैं कि यहां के अधिकांश खेत पड़ती रह गये थे। फिर भी खरीदी केन्द्रों में धान की खरीदी जमकर हो गयी।
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कहीं न कहीं धान खरीदी में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी करायी गयी है। यदि सूत्रों की बात मानें तो झारखण्ड एवं यूपी से धान सिंगरौली जिले में खपाई गयी। सीमा पर बनाये गये चेक पोस्ट शो-पीस बनकर रह गये थे। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि चेक पोस्ट पर तैनात किये गये कर्मचारी महज कागजों में ही ड्यूटी कर रहे थे। अब सवाल उठाया जा रहा है कि करीब एक दर्जन खरीदी केन्द्रों में गड़बड़झाला हुआ है। जहां शक के दायरे में है। तथाकथित केन्द्रों में दलाल भी सक्रिय थे उनका बकायदे कमीशन बना हुआ था। प्रबुद्धजनों का कहना है कि यदि धान खरीदी की निष्पक्ष जांच हो जाय तो कई चौकाने वाले मामले आ सकते हैं। फिलहाल धान खरीदी में कुशाही समिति का मामला उजागर होने के बाद अब कुछ अन्य समिति व खरीदी केन्द्र शक के घेरे में आ गयी हैं। कलेक्टर से धान खरीदी की जांच कराये जाने की मांग की गयी है।
तीन साल पहले कुशाही नहीं था खरीदी केन्द्र
चितरंगी ब्लाक के सेवा सहकारी समिति कुशाही तीन साल पूर्व तक खरीदी केन्द्र नहीं बनाया गया था। इसका मुख्य कारण यही बताया जा रहा है कि यहां धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या न के बराबर थी और पहले 5 हजार क्विंटल से ज्यादा धान की खरीदी होने का अनुमान नहीं रहता था। इसीलिए कुशाही समिति को सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़वा में शामिल किया गया था। चर्चाओं के मुताबिक राजनैतिक दबाव के चलते कुशाही को दो साल पूर्व नया धान एवं गेंहू खरीदी केन्द्र बनाया दिया गया और उसका फायदा समिति प्रबंधक लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा है और इस तरह के आरोप भी हैं और मौजूदा उदाहरण भी है।
फूड विभाग को नहीं दिखी इस साल कहीं गड़बड़ी
हैरानी की बात है कि पिछले वर्ष धान उपार्जन के दौरान यूपी से सिंगरौली आते समय कई पिकअप एवं टै्रक्टर सहित अन्य वाहन पकड़ लिये गये थे। सबसे ज्यादा कार्रवाई चितरंगी व बैढऩ इलाके में हुई थी। अधिकारियों की सक्रियता के चलते दूसरे प्रांतों से आने वाले धान व गेंहू पर शिकंजा कस दिया गया था। धान उपार्जन 2022-23 में संभवत: एक भी गड़बड़ी फूड विभाग को नहीं मिली। इसके पीछे कारण क्या है वह धीरे-धीरे जगजाहिर हो रहा है। खाद्य एवं नान विभाग की उदासीनता का फायदा दलाल व कई तथाकथित खरीदी केन्द्रों के कर्ताधर्ताओं ने जमकर लाभ उठाया है।