होम देश/विदेश मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ उत्तरप्रदेश जॉब/वेकैंसी एंटरटेनमेंट खेल लाइफस्टाइल टेक/गैजेट फैशन धर्म

मध्य प्रदेश पुलिस बल पर भारी बोझ: 873 लोगों पर 1 पुलिसकर्मी, 25 हजार पद खाली; सिंहस्थ 2028 की सुरक्षा बनी बड़ी चुनौती

भोपाल: मध्य प्रदेश में पुलिस बल की भारी कमी कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रदेश में औसतन 873 ...

विज्ञापन

Published on:

| सतना टाइम्स

भोपाल: मध्य प्रदेश में पुलिस बल की भारी कमी कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रदेश में औसतन 873 नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक पुलिसकर्मी पर है। मुख्यमंत्री ने आगामी तीन वर्षों में 22,500 पुलिस आरक्षकों की भर्ती का लक्ष्य रखा है, जिसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रतिवर्ष दो से ढाई हजार पुलिस आरक्षक सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं।

खाली पदों की संख्या और चुनौती

  • प्रदेश में पुलिस आरक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक के कुल 1 लाख 25 हजार 489 स्वीकृत पद हैं।
  • इनमें से वर्तमान में लगभग 25 हजार पद खाली हैं।
  • पुलिस बल की कमी के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने, आरोपियों की धरपकड़ और जांच कार्यों में देरी हो रही है।
  • सबसे बड़ी चुनौती वर्ष 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की सुरक्षा को लेकर होगी, जिसके लिए अनुमानित तौर पर 60 हजार पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी।

 

 

उत्तर प्रदेश से तुलना: भर्ती में मध्य प्रदेश पीछे

पुलिस भर्ती के मामले में मध्य प्रदेश पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से काफी पीछे है। उत्तर प्रदेश ने जहां वर्ष 2024 में 60 हजार पुलिस आरक्षकों की भर्ती की है, वहीं इस वर्ष भी वहां आरक्षक और उप निरीक्षकों के लगभग 30 हजार पदों पर भर्ती होने वाली है।

जरूरत के हिसाब से नहीं बढ़े थाने

प्रदेश में पुलिस बल न बढ़ने का एक मुख्य कारण जरूरत के अनुसार थानों का स्वीकृत न होना है।

  • सरकार के अपने मापदंड के अनुसार, 50 हजार की आबादी पर जिला पुलिस बल का एक थाना होना चाहिए।
  • प्रदेश की अनुमानित 8 करोड़ 90 लाख की जनसंख्या के हिसाब से 1700 से अधिक थानों की आवश्यकता है।
  • लेकिन, वर्तमान में केवल 968 थाने ही कार्यरत हैं।

एक साथ बड़ी भर्ती में चुनौतियां

सरकार के सामने एक साथ बड़ी भर्ती करने में कई व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं:

  1. प्रशिक्षण क्षमता: प्रदेश के आठ पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में केवल 7850 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की सुविधा है। नौ माह के प्रशिक्षण के चलते इससे अधिक पदों पर भर्ती होने पर प्रशिक्षण के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
  2. भर्ती प्रक्रिया में समय: ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्रों की कमी के कारण कर्मचारी चयन मंडल को परीक्षा कराने में दो से तीन माह लगते हैं। इसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी दो से तीन माह लग जाते हैं। इस तरह 6 से 7 हजार पद भरने में ही लगभग डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है।
  3. बजट का अभाव: एक साथ बड़ी संख्या में भर्ती करने पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ के कारण भी सरकार एक साथ बड़ी भर्ती करने से बचती रही है।

पूर्व डीजी की राय: खुफिया तंत्र को मजबूत करना जरूरी

पूर्व डीजी, विशेष पुलिस स्थापना (लोकायुक्त), अरुण गुर्टू ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “जिस तरह से अपराध बढ़े हैं, पुलिस बल की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उसे ताकतवर बनाना होगा। विशेष रूप से खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। सरकार भले ही आंकड़े कुछ भी दिखाए, पर स्थिति ठीक नहीं है। जितने पुलिसकर्मी रिटायर हो रहे हैं, सरकार उतने भी भर्ती नहीं कर पा रही है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि बेरोजगारी बढ़ने के साथ ही युवा अपराध की ओर जा रहे हैं, जो एक गंभीर समस्या है।

 

प्रांशु विश्वकर्मा, ग्राफिक डिजाइनर, वीडियो एडिटर और कंटेंट राइटर है।जो बिजनेश और नौकरी राजनीति जैसे तमाम खबरे लिखते है।... और पढ़ें