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Happy Father’s Day :पिता और पितृ दिवस

Happy Father’s Day :पिता इस धरती का वो योद्धा जिसने जंग जिताने के बाद कभी उस जीत का गुणगान नहीं किया, जिसने आप पर किए उपकारों की कभी सूची नहीं बनाई, जिसने सदा आप पर आए संकटों को अपना संकट समझा, जिसने आपकी उंगली पड़कर आपको चलना सिखाया,जिसने अपने कंधे पर बैठा आपको दुनिया दिखाई, आज उसी का दिन है अर्थात आज पितृ दिवस यानी पिता का दिन है।

Happy Father's Day :पिता और पितृ दिवस

वैसे तो पिता से प्यार किसी दिन का मोहताज नहीं, परंतु जिस प्रकार हर एक त्यौहार हर एक पर्व का एक खास दिन होता है, उसी प्रकार पिता के इस प्यार के खास दिन को पितृ दिवस कहते हैं, पिता के कार्यों पिता के कर्मों और पिता के व्याख्यान हेतु इस दुनिया में किसी भी किताब किसी भी लेखक के पास कोई विशेष शब्द नहीं है, सभी अपने-अपने अनुभवों के हिसाब से पिता को परिभाषित करते हैं, कोई पिता को भगवान बताता है, कोई पिता को रब बताता है, कोई पिता को अपना सब कुछ बताता है, कोई पिता को अपना नायक बताता है. सबकी अपनी अलग-अलग परिभाषाएं हैं सबके अलग-अलग नजरिए हैं।

प्रतिवर्ष 16 जून को पितृ दिवस मनाया जाता है,
इस दिन बच्चे अपने पिता की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हैं, उन पर लेख लिखते हैं, और केक काटकर पिता के इस दिन का सेलिब्रेशन भी करते हैं. पहले भारत में यह प्रथा नहीं थी. भारत में सदैव पिता और पुत्र का रिश्ता ऐसा रहा है, जिसमें प्रेम है,विश्वास है, स्नेह है परंतु वह दिखता नहीं है. पिता पुत्र से कितना प्रेम करते हैं वह कभी दिखलाते नहीं है, पुत्र की जिंदगी में पिता एक अनकहे योद्धा का किरदार निभाते हैं. वर्तमान समय में पिता और पुत्र का रिश्ता छिपा नहीं है, वह साफ-साफ दिखलाता है. आज पिता अपने पुत्र से खुलकर प्यार का इजहार करते हैं. आज पुत्र भी अपने पिता के लिए अपना प्रेम छिपाते नहीं.

मुझे याद है जब हम छोटे थे हम अपने पिता से खुलकर बातें करते थे, उनके प्रति प्रेम को दिखलाते थे, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई हम परिपक्व होते गए वैसे-वैसे हमारी हमारे पिता से दूरी बढ़ती गई, ऐसा नहीं है कि आज हमारे मन से पिता के प्रति प्रेम खत्म हो गया है. आज तो यह प्रेम और भी ज्यादा बढ़ गया है. आज भी हमारी हिम्मत नहीं पड़ती पिता को पितृ दिवस की शुभकामनाएं देने की आज भी हमारी हिम्मत नहीं है पितृ दिवस में पिता के साथ सेलिब्रेशन करने की, सेलिब्रेशन तो छोड़िए आज हम अपने पिता से अपने प्रेम का इजहार भी नहीं कर सकते।

आज हमारे समाज में दो तरीके की जेनरेशन हैं एक वह जेनरेशन जो पिता के साथ खुलकर बातें करती और उनके प्रति प्रेम को दिखलाती है है और एक हमारी जनरेशन है जो आज भी पिता जी के आगे उतना ही बोलती है जितना आवश्यक है, अब सवाल यह है की पिता वाली जनरेशन अच्छी है या पिताजी वाली जनरेशन अच्छी थी ?

देखिए किसी को अच्छा या किसी को बुरा नहीं कह सकते, क्योंकि आज के परिवेश और पुराने समय के परिवेश में बड़ा ही अंतर है. तरीके, भावनाएं यह सब अलग हो सकते है परंतु प्रेम नहीं. दोनों ही जेनरेशन के पिता और पुत्र एक दूसरे से प्रेम करते हैं बस फर्क इतना है कि पहले दिखाई नहीं देता था और आज दिखाई देता है।
इस प्रश्न का उत्तर आप अपने आप से भी पूंछिए? आपको क्या लगता है? अपने विचार जरूर रखिएगा. अंततः पिता जी से तो नही कह पाया पर आप सभी से कहता हूं पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

Rishi Raj Shukla

ऋषि राज शुक्ला (पत्रकार) - फिल्में अच्छी लगती है, राजनीति आकर्षित करती है, अपराधियों को छोड़ना नहीं चाहता, सवाल करना आदत है और पत्रकारिता के बिना जी नहीं सकता ।

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