Chitrakoot News : जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का व्रत बंधन जरूरी – विधानसभा अध्यक्ष

सतना ।।दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ परिसर में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों पर शुक्रवार से चल रहे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन एसडीजी-6 के बिंदु “साफ पानी और स्वच्छता“ पर आयोजित तकनीकी सत्र में मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम, यूएनडीपी के डॉ रमेश जालान, अटारी जबलपुर के निदेशक डॉ एस.आर.के सिंह, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन, इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनोमिक्स के अध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार मरोठिया, स्कॉलर वाटर टेस्टिंग अजय कुमार अनुरागी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

अपने उद्बोधन में विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि आज जल की स्वच्छता पर चर्चा हो रही है, वह नई नहीं है, हमारे ऋषि-मुनियों ने भी इस पर चर्चा की है। रहीम दास जी ने अपने दोहे में लिखा है रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून। हमारे पूर्वज हर गांव में तालाब, कुआ, बावड़ी आदि बनवाने के पक्षधर थे। हिंदू विवाह में सात फेरे होते हैं, जिसमें पांचवें फेरे का पांचवा वचन जल पर है। रीवा राज्य के अंदर 2100 तालाब थे, जो अब 700 बचे हैं। ऐसा रीवा रियासत के कानून में जिक्र है। मेघालय की उमंगगोट नदी दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी है। इस नदी के किनारे खासी जनजाति बसी है, अनपढ़ होने के बावजूद उन्हें नदी स्वच्छता की अच्छी समझ है। पानी के दुरुपयोग को रोकना जरूरी है, पानी प्रकृति की संरचना के भीतर से ही आएगा। केवल 1ः पानी दुनिया का 7.5 अरब आबादी का पोषण कर रहा है। हमने पानी बचाने के लिए ज्यादा कार्य नहीं किया है। पहले हम बगीचा लगाते थे, अब हम पेड़ लगाते हैं, जिसका व्रत बंधन भी ठीक ढंग से नहीं करते हैं। जो कि जल संरक्षण का आधार है।
इस अवसर पर डॉ रमेश कुमार जालान ने कहा कि स्वच्छ जल की कल्पना से पहले पानी की उपलब्धता के बारे में सोचना होगा। वर्ष 2015 में एसडीजी-6 की अंतिम रूपरेखा तय हुई थी, 2030 तक स्वच्छ जल सभी को प्राप्त होगा। स्वच्छ पानी की कमी महसूस की जा रही है, इससे फसल उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ेगा। किसानों की आर्थिक विकास की स्थिति तभी सुधरेगी जब पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। एसडीजी-6 का उद्देश्य पानी की उपलब्धता से बढ़कर है यह पानी की स्वच्छता को बढ़ाने का एजेंडा है। पानी शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी और रोजगार से जुड़ा विषय है। पानी की उपलब्धता और स्वच्छता समाज जीवन का आधार है। जलवायु परिवर्तन के कारण अनेक समस्याएं बढ़ी है, जिनमें पानी की समस्या एक है। अफॉर्डेबल टेंपल वाटर आज की जरूरत है। जल के प्रयोग को बढ़ाना होगा, गुड वाटर गवर्नेंस पर ध्यान देना होगा। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत पानी की कमी हो जाएगी, जिससे विकास दर में 6 प्रतिशत कमी आएगी। इसके लिए हर क्षेत्र में पानी के उपयोग को भी कम करना होगा। पानी गरीबी हटाने का एक महत्वपूर्ण आधार है और यह एसडीजी में महत्वपूर्ण है।अटारी के निदेशक डॉ एस आर के सिंह ने कहा कि जल है तो कल है। दुनिया में 97 प्रतिशत जल खारा जल है, जबकि 3 प्रतिशत मीठा उपयोग योग्य जल है। एक तिहाई ग्राउंड वाटर है शेष नदियों एवं ग्लेशियर में है।डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि हर जगह का टीडीएस अलग होता है। न्यूयॉर्क से पैरामीटर तय होकर आ जाते हैं, लेकिन उसे अपने देश के हिसाब से देखना चाहिए। नानाजी देशमुख एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे। लोक परंपराओं में और लोकगीतों में पानी बचाने का सूत्र रहता है।