Diwali Special Story : कागजों में गौशाला का संचालन करता है समूह,बुझ गए गोवर से बनने वाली दियों की लव,मुख्यमंत्री की मंशा पर फिर रहा है पानी

सतना,रविशंकर पाठक।।देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुखिया भी जहां अपने ही देश मे बने देशी उत्पाद को बढ़ावा देने वोकल फॉर लोकल का नारा बुलंद कर रहे है।जिससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ जरुरत मंद को सरकारी सहायता मिलने से वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाय।लेकिन प्रशासनिक ओहदे में बैठे के बीच कुछ चंद लोगो के कारण सरकार की मन्सा पर पलीता लगाया जा रहा है ।

ऐसा ही मामला सतना जिले के उचेहरा जनपद के ग्राम पंचायत बांधी मौहर का है।जहां पर एक महिला स्वसहायता समूह को बकायदे अनुबंध के तहत गौ शाला चलाने जनपद पंचायत के आजीविका मिशन विभाग द्वारा अनुमति दी गई है, लेकिन ग्राम पंचायत के ही पूर्व के चुने जन प्रतिनिधि और गांव के चंद लोगो की दबंगई का साथ पंचायत सरपंच, सचिव दे रहे है।

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जिसके कारण समूह को अब काम देना तो दूर, अपने ही समूह के अनुबंध की गौ शाला में प्रवेश करने तक की सख्त मनाही है।आखिर इस समूह के साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है।बहरहाल पंचायत के नव निर्वाचित सरपंच ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया , आखिर नव निर्वाचित सरपंच जानकर भी क्यो मूक दर्शक बने हुए है।

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यह अपने आप मे एक बड़ा सवाल है ?
जनपद पंचायत उंचेहरा के अंतर्गत संचालित अजीविका मिशन के द्वारा मछुआरा स्व सहायता समूह को बांधी मौहार पंचायत की गौ शाला के संचालन का अनुबंध किया गया था । शासन की मन्सा अनुरुप महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने आजीविका मिशन सतना द्वारा इस समूह की आय को बढ़ाने व 50 हजार रुपये की लागत से गोवर से मूर्तियां बनाने की मसीन के अलावा समूह के सदस्यों को गोबर से ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने का कुशल प्रशिक्षक उपरान्त समूह की मेहनत रंग लाई और इस मछुआ स्व सहायता समूह की बनी कलात्मक मूर्तिया , दीये जिला में काफी लोकप्रति हुये ।

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जिला के अधिकारियों द्वारा इनके बने उत्पाद को 10 हजार में खरीद प्रदर्शनी भी लगाई।इसी तरह सागर ज़िला के दमोह से भी इस कला की सीखने एक दल बांधी मौहार के गौ शाला आया।जहां से उसने भी 7 हजार का गोबर से बना समान खरीद ले गया ।इसी बीच बांधी मौहर के पूर्व सरपंच ,गांव के एक दबंग सहित पंचायत के सचिव तीनो की तिकड़ी को यह सब रास नही आया।उनकी गिद्ध निगाह मछुआरा स्व सहायता समूह के खाते में शासन द्वारा भेजी जाने वाली राशि पर थी।

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बस उसी को ठिकाने लगाने का पूरा षडयंत्र करने लगे और हुआ यूं कि पंचायत द्वारा अलग से बिना किसी आदेश के गौ शाला के संचालन हेतु दैनिक श्रमिक के रुप मे 200 रुपये रोज की दर से दो महिला श्रमिको को रख करीब एक वर्ष पूर्व से इस मछुआरा महिला समहू को गौ शाला में प्रवेश करने ही नही दिया जा रहा है।


इसका कारण क्या है वह अज्ञात बना हुआ है । किसी तरह आरजू मिन्नत करने के बाद समूह की इन महिला सदस्यो को अधूरे बने गणेश – लक्ष्मी ,दीये व अन्य धार्मिक आइटमो को पूरा करने की इजाजत पंचायत द्वारा मिली है । अब इनके सामने बड़ा संकट है कि दीपावली में बाजार न मिलने से इनकी लागत और समूह की मेहनत का क्या होगा ।

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काबिलेगौर है कि मछुआरा स्व सहायता समूह द्वारा उचेहरा के जनपद पंचायत कार्यालय के अधिकारी , एस डी एम सहित थाना प्रभारी के अलावा जिला पंचायत सी ई ओ , जिला में ही आजीविका मिशन कार्यालय में लिखित रुप से सारे घटना क्रम की जानकारी देने के बाद भी आखिर प्रशासन क्यो एक्शन नहीं ले रहा यह एक बड़ा सवाल है ?

मछुआ स्व सहायता समूह के जिम्मेदारो ने बताया कि भूसा और अन्य ब्यस्था के नाम से शासन द्वारा पैसा हमारे खाता में जरुर आता था लेकिन इन खर्चो के नाम पर मनमर्जी रकम समूह से ले ली जाती रही।कुछ इसी तरह से बांधी मौहार के नव निर्वाचित सरपंच ने अपना दुखड़ा बयां करते हुए कहा कि जिस राशि को समूह के खाते में जानी चाहिए।वह लाखो की राशि सचिव द्वारा एक निजी खाते में भेज दी गई । अगर पंचायत में विकास के नाम पर खर्च हुई लाखो की राशि की विस्तृत जांच हो जाय हकीकत से पर्दा उठते देर नही लगेगी ?

इनका कहना है

कई बार प्रशासन में शिकायत करने के बावजूद भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है।गौशाला का संचालन पहले हम कर रहे थे। लेकिन हमको अब गौशाला में घुसने ही नहीं दिया जा रहा है।इस मामले की शिकायत एसडीएम और जिला पंचायत सतना के अलावा उचेहरा में भी की गई है।लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है ।हम लोग काफी परेशान हैं।पुरानी मूर्तियों को घर में रखकर ही रंग रोगन कर रहे हैं।

राजरानी केवट
सदस्य
मछुआ स्व सहायता समूह

ग्राम पंचायत के सचिव बुद्धदेव मिश्रा के द्वारा मुझे जनपद पंचायत में ले जाकर बताया गया कि यह राशि गौशाला की है और शिबू सिंह को देना है ।गौशाला का संचालन अभी भी शिबू सिंह के द्वारा किया जा रहा है।

आर पी नागर
सरपंच बांधी मौहार

गौशाला का संचालन मछुआरा महिला स्व सहायता समूह के द्वारा किया जा रहा है और 50000 देकर वहां पर सामग्री भी मंगवाई गई है।मूर्ति और दीपक बनाने के लिए स्व सहायता समूह को प्रशिक्षित भी किया गया है।

अरुण कुमार साकेत विकास खण्ड प्रबंधक आजीविका मिशन उचेहरा

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