सतना।। बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है कि गुनाह अंतिम सांस के निकलने तक पीछा नहीं छोड़ते। बेशक गुनाहगार गुनाह भरी जिंदगी से तौबा कर ले लेकि न पुराने जुर्म साए की तरह चलते हैं। तराई के कुख्यात ददुआ दस्यु गिरोह कÞ कभी मास्टरमाइंड रहे डाकू राधे उर्फ सूबेदार सिंह पर बुजुर्गों की यह बात सटीक उतरती है। वर्ष 2009 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण के बाद वह जनवरी 2023 में रिहा हुआ।
उस दौरान अपने परिजनों से उसने कहा था कि वह अब अपनी बाकी जिंदगी परिवार के साथ शांति व अमन के बीच बिताना चाहता है। इन दिनों वह अपने परिवार के साथ गांव में सामान्य जीवन व्यतीत भी कर रहा था, लेकिन पुराने जुर्म ने उसे एक बार पुन: कानून के शिकंजे में फंसा दिया। शुक्रवार को उच्चाधिकारियों से निर्देश् मिलते ही रैपुरा थाना प्रभारी शैलेंद्ग पांडेय ने पुलिस टीम के साथ उसके गांव शीतलपुर व सपहा पहुंची। उस दौरान राधे गांव के बाहर ही एक खेत के पास कृषि कार्य देख रहा था। राधे पर नजर पड़ते ही रैपुरा थाना पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
33 साल पुराना है मामला, आज अदालत में होगा पेश
दो सैकड़ा से अधिक हत्याएं, डकैती व अपहरण की वारदातों को अंजाम देकर 90 के दशक में एमपी-यूपी बार्डर पर आतंक का पर्याय रहे दुर्दांत डकैत ददुआ का राइट हैंड माना जाने वाला राधे जिस प्रकरण में पकड़ा गया है वह 33 साल पुराना है। जब रैपुरा पुलिस ने उसे पकड़ा तो अफवाह उड़ी कि राधे को बहिलपुरवा क्षेत्र में आकार ले रहे एक नवोदित गिरोह को खड़ा करने के मामले में पकड़ा गया है, लेकिन पुलिस से जानकारी लेने पर स्पष्ट हुआ कि राधे को 33 साल पुराने एक हत्या के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के कारण पकड़ा गया है।
इस संबध में एएसपी अरूण कुमार सिंह ने बताया कि एक हत्या के पुराने मामले में उसे अदातल के आदेश पर पकड़ा गया है। सन 1990 में रैपुरा थाना क्षेत्र में एक हत्या हुई थी। इसमें डाकू राधे समेत गैंग के कई सदस्य नामजद थे। इस मामले में अदालत में अदालत ने उसके गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। अदालती आदेश की तामील पर उसे पकड़ागया है। शनिवार को उसे अदालत में पेश किया जाएगा।
कभी माना जाता था ददुआ गिरोह का छोटा सरदार, आवास के निकट से दबोचा
कुख्यात डाकू ददुआ के कभी दाहिने हाथ रहे डाकू राधे उर्फ सूबेदार सिंह को चित्रकूट धाम कर्वी जिले की रैपुरा थाना पुलिस ने आवास के पास से ही पकड़ा है। उसे रैपुरा थाने में बैठाया गया है। ये कभी यूपी एमपी के कई जिलों में आतंक का पर्याय रहे डाकू ददुआ गैंग के छोटे सरदार के रूप में पहचाने जाने वाले डाकू राधे उर्फ सूबेदार सिंह ने सन 2007 में ददुआ के मारे जाने के बाद 2009 में सतना जिले पुलिस कÞ सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, तब से वह लगातार जेल में रहा और कई मामले में सजा हुई। इसमें जमानत मिलने के बाद सन 2023 में वह अदालत के आदेश पर बरी भी हो गया।
2016 में राधे को सुनाई गई फांसी की सजा
बांदा जेल में बंद रहने हुए राधे को मई 2016 में फांसी की सजा हुई था। मामला मानिकपुर के मऊ गुरदरी गांव का था। 12 अगस्त 2006 को बाप-बेटे को गोली मारकर जिंदा जला दिया गया था। इस अपराध में उसे चित्रकूट जिला न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी, मगर बाद में इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। इस दौरान उसके पुत्र अरिमर्दन सिंह व अन्य परिजनो ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने इनामी डकैत को 9 जनवरी 2023 को रिहा करने का आदेश दे दिया। रिहाई के दौरान राधे ने कहा था कि बची हुई जिंदगी परिवार के साथ बिताना चाहता हूं।
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इनका कहना है
हत्या के एक पुराने प्रकरण में न्यायालय द्बारा जारी हुए वारंट के कारण पकड़ा गया है। शनिवार को राधे को अदालत में पेश किया जाएगा।
शैलेंद्ग पांडेय, थाना रैपुरा चित्रकूट कर्बी