SATNA TIMES: चित्रकूट धाम चौरासी कोसीय परिक्रमा का हुआ शुभारम्भ

चित्रकूट।।परमहँस संत परम पूज्य रणछोड़दास जी महाराज के आश्रम श्री रघुवीर मन्दिर (बड़ी गुफा) जानकीकुण्ड-चित्रकूट में प्रतिवर्ष की भाँती इस वर्ष भी श्री चित्रकूट धाम चौरासी कोसीय परिक्रमा का हुआ शुभारम्भ | त्रेतायुग से ही भगवान श्रीराम, माता जानकी एवं भ्राता लक्ष्मण के वनवासकाल की विहार भूमि के कारण चित्रकूट को तीर्थधाम का दर्जा प्राप्त है । पुराण इस बात के साक्षी हैं कि, यहाँ के कण-कण में भगवान श्री राम का वास रहा है, हजारों वर्षों से चित्रकूट भगवान राम के ऐसे ही विचरण स्थानों पर जाने की परंपरा रही है, जो चित्रकूट से चौरासी कोस व्यास में फैला हुआ है | इसी चौरासी कोस की परिक्रमा कर लोग अपने जीवन को धन्य बनाते हैं ।

प्रतिवर्ष यह परिक्रमा फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से प्रारंभ होकर द्वादशी पर्यन्त कुल ग्यारह दिनों में पूर्ण होती है | प्रथम दिवस यह परिक्रमा श्री रघुवीर मंदिर से जयकारों एवं ध्वजा पताका के साथ साधु-संतों की अगुवाई में प्रारम्भ होती है जिसमें मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,बिहार,झारखंड और छतीसगढ़ राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, रात्रि विश्राम भगवान श्री राम से सम्बंधित किसी ना किसी पड़ाव पर ही होता है | यह यात्रा,बड़ी गुफा जानकीकुण्ड से ,स्फटिक शिला, सती अनुसुईया आश्रम, गुप्त गोदावरी, राम शैय्या, भरतकूप, कामदगिरी, अमरावती, हनुमानधारा, रामघाट होकर ग्यारह दिनों में पुनः श्री रघुवीर मंदिर में पूर्ण होगी, जहाँ सभी यात्रालुओं के लिए प्रतिवर्ष वस्त्र,कम्बल,दक्षिणा,भोजन आदि का विशेष प्रबंध होता है | यह यात्रा इस वर्ष 4 मार्च से प्रारंभ होकर 15 मार्च को पूर्ण होगी | श्री रघुबीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ.बी.के.जैन एवं उषा जैन ने यात्रा का ध्वज मुख्य कोतवाल को तिलक एवं पुष्प अर्पित कर सौंपा और यात्रा का आरम्भ किया |
डॉ.जैन ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि, परिक्रम के लिए पधारे साधू संतों की इस काल में ऐसी भीषण तपस्या देखकर अस्चर्य होता है | आपने जो भगवन श्री राम के सन्देश को प्रसारित करने के लिए बीड़ा उठाया है वो एक वन्दनीय है |इस साल 1500 से अधिक यात्रालु आये हैं यह इस बात का द्योतक है कि, हमारी भारतीय परम्परा और अध्यात्मिक मूल्यों को संजोय रखने में आप सभी संकल्पबद्ध हैं|इस अवसर पर चित्रकूट के विशिष्ट संतों ने उपस्थित होकर अपना आशीर्वाद सभी को दिया और इस पुरातन परंपरा को अद्यतन जीवन्त रखने के लिए ट्रस्टी डॉ.जैन को साधुवाद दिया |