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लोक आस्था का महापर्व छठ,नहाए खाए की परंपरा से प्रारंभ होता है छठ पर्व, 36 घंटे तक रखा जाता है निर्जला व्रत

Satna Times : हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि पर मनाया जाता है| यह हमेशा दिवाली पर्व के 6 दिन बाद पड़ता है जो नहाए खाए की परंपरा से प्रारंभ होता है।यह व्रत करने वाले व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं जिसके बाद छठी मैया की आराधना और सूर्य देव को अर्थ देने के बाद इस व्रत का समापन किया जाता है कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। यह महापर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड के साथ अब पूरा देश में मनाया जा रहा है यह व्रत संतान को सुख समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए इस दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।

Satna Times : इस व्रत में सुबह और शाम कोअर्थ देने की परंपरा है।नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला है इस पर्व में व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और फिर सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं ,


Satna Times : पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन है नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला छठ पूजा का पहला दिन 28 अक्टूबर को और छठ का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर को था, छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है इस दिन व्रत रखा जाता है।सतना में भी छठ पूजा की  धूम देखी जा रही है संतोषी माता तालाब में बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचकर इस पर्व को मना रही हैं।

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पूजा का पहला दिन नहाए खाए
4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं, व्रती के भोजन के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

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छठ पूजा का दूसरा दिन खरना
छठ पूजा का दूसरा दिन को खरना के नाम से जाना जाता है इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाते हैं महिलाओं को 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना के बाद ही छठी मैया का घर में आगमन हो जाता है।


छठ पूजा का तीसरा दिन निर्जला व्रत
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि यानी छठ पूजा के तीसरे दिन व्रत महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं साथ  छठ पूजा का प्रसाद तैयार करती हैं शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है।

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छठ पूजा का चौथा दिन दिया जाता है उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है  व्रती महिलाएं 7 या 11 बार परिक्रमा करती हैं इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है 36 घंटे का व्रत सूर्य को अर्घ देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह की अर्घ यानी दूसरे और अंतिम अर्घ देने के बाद संपन्न होता है।

सतना टाइम्स न्यूज डेस्क

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