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Chaitra Navratri 2024 :मनोकामनाओं की देवी हैं मैहर की मां शारदा भवानी, यहां पूरी होती है हर मनोकामना

Chaitra Navratri: मंगलवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है।मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा के शक्तिपीठों के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां हम आपको मध्यप्रदेश (madhyapradesh ) के मैहर (maihar) जिले के एक ऐसे शक्तिपीठ बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर देवी सती का हार गिरा था‌। यह मैहर माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है‌।

मनोकामनाओं की देवी हैं मैहर की मां शारदा भवानी, यहां पूरी होती है हर मनोकामना
फोटो – सतना टाइम्स

मैहर में स्थित मां शारदा शक्तिपीठ मंदिर में भी चैत्र नवरात्रि के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यहां प्रति दिन लाखों भक्तों के आने का अनुमान है। इसलिए वहां सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम कर लिए गए हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर मां के गर्भगृह तक करीब एक हजार पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे।

मां शारदा मंदिर के गर्भ ग्रह में बैठे पुजारी नितिन पांडे मां शारदा शक्तिपीठ के रहस्य के बारे में जानकारी दी है। पुजारी नितिन पांडे ने बताया कि मैहर का मतलब मां का हार है। मां शारदा देवी का मंदिर विंध्य की पर्वत श्रंखलाओं में से एक शिखर के मध्य में स्थित है। माता शारदा मां सरस्वती का साक्षात स्वरूप हैं। देश भर में माता शारदा का अकेला मंदिर मैहर में ही है। यहां मां शारदा की सबसे पहले पूजा आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी।

विध्य के त्रिकुट पर्वक का उलल्लेख पुराणों में भी मिलता है। नवरात्रि के समय में हर दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पुजारी के अनुसार, मां शारदा ने अपने परम भक्त आल्हा को अमरता का वरदान दिया था। आज भी मां की प्रथम पूजा आल्हा ही करते हैं। इतना ही नहीं, नवरात्रि के दिनों में आल्हा के द्वारा विशेष पूजा की जाती है।

प्रतिदिन होता है भव्य श्रृंगार

मैहर मां शारदा देवी का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है, जिसमें सोमवार को माई का सफेद रंग के वस्त्र से श्रृंगार होता है। मंगलवार को नारंगी रंग के वस्त्र, बुधवार को हरे रंग के वस्त्र, गुरुवार को पीले रंग के वस्त्र, शुक्रवार को नीले रंग के वस्त्र, शनिवार को काले रंग के वस्त्र और रविवार को लाल रंग के वस्त्र से माई का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है।

खंड ज्योति में विश्राम कर रहे मां शारदा के पुजारी पांडे ने जानकारी दी की मैहर मां शारदा देवी ने भक्त आल्हा को अमर होने का वरदान दिया है। आल्हा उदल दो सगे भाई थे। जो मां शारदा के अनन्य उपासक थे। आल्हा उदल ने ही सबसे पहले जंगल के बीच मां शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 साल तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें प्रसन्न होकर अमर होने का वरदान दिया था।

पुजारी जी ने आगे बताया आल्हा ब्रह्म मुहूर्त में मां की विशेष पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण आज भी मां के पट खोलने पर सुबह मिलता है। कभी मां की प्रतिमा पर फूल, कभी श्रृंगार, कभी जल चढ़ा हुआ मिलता है।

आल्हा का अखाड़ा के पुजारी राम लखन तिवारी जी ने जानकारी देते हुए बताया मैहर मंदिर परिक्षेत्र में आल्हा देव के मंदिर के साथ आल्हा का अखाड़ा भी है। यहां आज भी भक्तों को उनकी अनुभूति होती है। आल्हा माता के परम भक्त माने जाते हैं। मैहर मां शारदा के मंदिर में जो भी भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं, वह भक्त आल्हा की पूजा-अर्चना अवश्य करते हैं‌। आल्हा के दर्शन के बिना मां शारदा के दर्शन अधूरे हैं।

मेले में लाखों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर के पट सुबह 03:30 बजे खोल दिए जाएंगे। दोपहर एक बजे अल्प समय के लिए पट बंद होंगे और अल्प समय के बाद पट खुलने से रात्रि 10:30 तक श्रद्धालु माता रानी के दर्शन भक्त कर सकेंगे। वहीं मंदिर के गर्भगृह में वीआईपी दर्शन पर इस दौरान रोक रहेगी।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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