Cabinet Meet in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में मोहन कैबिनेट की बैठक… 9 साल से बंद सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन की राह खुलने की उम्मीद

भोपाल (Cabinet Meet in Madhya Pradesh): मध्य प्रदेश में नौ साल से बंद शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति (Promotion) की राह खुलने वाली है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए तैयारी कर ली है। नए नियम बनाए जा चुके हैं, जिन्हें अनुमति के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
- इसमें एक साथ दो साल के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक करके पात्रों की सूची तैयार करने, एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए 36 प्रतिशत पद सुरक्षित रखने, पहले एससी-एसटी के पदों पर पदोन्नति करने और अनारक्षित पदों पर सबको अवसर देने जैसे प्रावधान प्रस्तावित हैं।
हाई कोर्ट जबलपुर ने 2016 में मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को निरस्त कर दिया था। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। नियम नहीं होने के कारण इस अवधि में करीब एक लाख अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए।
शिवराज, कमल नाथ और फिर शिवराज सरकार ने नए नियम बनाने के प्रयास भी किए पर एक राय ही नहीं बनी, जिसके कारण मामला अटका हुआ था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई।
मुख्य सचिव अनुराग जैन की देखरेख में सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न न्यायालयों के दिशा-निर्देश की रोशनी में पुराने सभी परिपत्रों का अध्ययन करवाकर सामान्य और एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके नियम के प्रारूप तैयार किए।
इन्हें कैबिनेट की सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इसमें जो प्रविधान किए गए हैं, उससे दोनों वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी पूरी तरह संतुष्ट तो नहीं है लेकिन कोई और विकल्प भी नहीं है।
विधायकों को वाहन व आवास ऋण पर ब्याज अनुदान
बैठक में विधायक को वाहन और आवास ऋण पर ब्याज अनुदान की योजना को फिर प्रारंभ करने का निर्णय भी लिया जा सकता है। संसदीय कार्य विभाग ने इसका प्रस्ताव भेज दिया है। इसमें यह प्रावधान किया जा रहा है कि विधायक 50 लाख रुपये तक आवास और 25 लाख रुपये तक वाहन ऋण ले सकते हैं।
इस पर दो प्रतिशत ब्याज अनुदान सरकार देगी और शेष ब्याज विधायक को जमा करना होगा। यदि 25 लाख तक आवास और 15 लाख तक वाहन ऋण लिया जाता है तो चार प्रतिशत ब्याज विधायक को देना होगा और शेष सरकार देगी, चाहे वह कितना भी क्यों न हो।