सिंगरौली।। जिले में संचालित सहकारिता विभाग की सभी 39 समितियां डिफाल्टर हैं। इन पर 1 अरब की कर्जदार हैं। डिफाल्टर सेवा सहकारी मर्यादित समितियों को उबारने के लिए शासन स्तर से कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। लिहाजा दिन-प्रतिदिन सेवा सहकारी समितियां कर्ज के तले डुबती जा रही हैं।गौरतलब हो कि जिले में सेवा सहकारी समितियों की संख्या 39 है। इन सभी सेवा सहकारी समितियों में किसानों को खाद-बीज के लिए ऋण दिया था, लेकिन वसूली नहीं कर पायी हैं। जिसके कारण समितियां डिफाल्टर हो चुकी हैं। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि ये समितियां 1 अरब की कर्जदार हैं। सबसे ज्यादा कर्जा कांगे्रस कमलनाथ सरकार के ऋण माफी के दौरान हुई हैं।
कांग्रेस कर्जमाफी के दौरान चर्चाएं थीं की डिफाल्टर समितियों को उबारने के लिए सरकार सहयोग देगी, किन्तु ऐसा नहीं हुआ और किसानों की कर्जमाफ करने वाली समितियां और कर्जदार हो गयीं। जिसके चलते यह रकम 1 अरब को पार कर गया है। बताया जा रहा है कि ऋण वसूली भी ठप है। जिसके कारण समितियों की आर्थिक हालत काफी दयनीय हो चुकी है। यहां तक की समय-समय पर सहकारी समितियों से जुड़े कर्मचारियों को पगार भी नहीं मिल पाता है। ऋण वसूली के लिए सरकार दबाव भी नहीं बना रही है, लिहाजा अभियान चलाकर कर्जदार किसानों से खाद-बीज ऋण की वसूली नहीं हो पायी है। इसके पीछे राजनैतिक कारण भी माना जा रहा है। ऋण वसूली से अन्नदाता नाराज न हों इसीलिए वसूली अभियान की तरह नहीं की जा रही है।
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प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि यदि राजनीति आड़े न आये तो ऋण वसूली की जा सकती है। वर्ष 2015-16 में व्यापक पैमाने पर ऋण वसूली के लिए अभियान चलाया गया था और काफी हद तक सहकारिता विभाग को सफलताएं भी मिली थी। लेकिन वर्ष 2017 से ही ऋण वसूली धीरे-धीरे शिथिल होने लगी। लिहाजा समितियों से अन्नदाता खाद-बीज उधार लेते रहे। भुगतान अदा नहीं किये। हालांकि समितियों ने भी ऐसे बकायादारों को चिन्हित कर धान एवं गेंहू उपार्जन करने वाले किसानों के भुगतान से कटौती कर कुछ हद तक वसूली कर पा रहे हैं। फिलहाल 39 सेवा सहकारी समितियों के डिफाल्टर होने एवं ऋण वसूली प्रक्रिया को लचीलापन कार्यप्रणाली सहकारिता के लिए भारी पड़ रहा है।
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ये हैं डिफाल्टर समितियां
जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक में जिन समितियों के द्वारा पैसे नहीं जमा किये गये हैं। उनमें बैढऩ जोन में नवानगर, तियरा, उर्ती, परसौना, बैढऩ, गहिलरा, रजमिलान जोन में खुटार, सखौहा, कोयलखूथ, कर्सुआराजा, माड़ा, मकरोहर, सरई जोन में सरई, बरका, लंघाडोल, जमगड़ी,बिंदूल, निवास जोन में झारा, निवास, महुआगांव, बरगवां जोन में बरगवां, चतरी, मझौली, रामगढ़, दुधमनिया, चितरंगी जोन में चितरंगी, गढ़वा, कुशाही, घोघरा, बरहट, देवसर जोन में सहुआर, जगहत, ईटार, देवगवां, पराई, गीर, बगदरा जोन में खम्हारडीह एवं गोरबी क्षेत्र में मेढ़ौली व चिनगी टोला शामिल हैं। जिन पर बैंक का 100 करोड़ रूपये कर्ज बाकी है।
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समितियों में हो चुका है व्यापक फर्जीवाड़ा
केन्द्र की यूपीए सरकार के कार्यकाल में ऋण माफी के दौरान सिंगरौली जिले में भी व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। उस दौरान आरोप लगाये जा रहे थे कि कई सेवा सहकारी समितियां ऐसे किसानों के नाम पर फर्जी ऋण मंजूर किया था जिनके बारे में किसानों को दूर-दूर तक जानकारी नहीं थी। जब नोटिस पहुंचने लगी तब उन्हें पता चला। तत्कालीन जिला प्रशासन के द्वारा जांच भी किया गया था। जिसमें कई किसानों के नाम फर्जी ऋण मंजूर कराया गया था। कर्थुआ सीसीबी बैंक उदाहरण भी है। इस फर्जीवाड़े में कई सहकारिता कर्मचारियों पर अपराध भी पंजीबद्ध हुआ था।