MP : नाई का बेटा खेलेगा IPL,फ़टे मोंजे की गेंद – मोग़री के बैट से खेलकर यहां तक पहुँचे कुलदीप,देखे कौन है कुलदीप ,जो रातो रात बने स्टार

रीवा।।न्यूजीलैंड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में रीवा के कुलदीप सेन का सलेक्शन होने से रीवा सहित पूरे विंध्य क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। हर कोई अपने लाल को मैदान पर बल्लेबाजों के छक्के छुड़ाते हुए देखना चाहता है। लेकिन रीवा के एक छोटे से गांव से लेकर इंटरनेशनल खिलााड़ी बनने का कुलदीप का सफर बड़ा ही मुश्किल रहा है। बचपन में फटे मोजे की गेंद और मोगरी के बैट से खेलने वाले कुलदीप को देखकर शायद ही किसी ने अंदाजा लगाया हो कि यह लड़का एक दिन देश के बड़े मैचों मे खेलेगा। आइये आपको कुलदीप के जीवन से जुड़े किस्से विस्तार से बताते हैं-

दरअसल न्यूजीलैंड दौरे के लिए टीम इंडिया का हिस्सा बने कुलदीप मध्यप्रदेश के रीवा जिला में हरिहरपुर गांव के रहने वाले हैं। कुलदीप सामान्य परिवार से आते हैं और उनके पिता रीवा के सिरमौर चौराहे पर सैलून शॉप चलाते हैं। कुलदीप सेन का जन्म 28 अक्टूबर 1996 को हुआ था। तीन भाइयों में कुलदीप सबसे बड़े हैं।

रीवांचल एक्सप्रेस के नाम से हैं मशहूर
कुलदीप सेन को उनकी गेंदबाजी की वजह से रीवांचल एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि कुलदीप 140-145 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने में माहिर हैं। माना जा रहा है कि न्यूजीलैंड की तेज पिचों पर कुलदीप की गेंदबाजी का जलवा देखने को मिल सकता है। इससे पहले कुलदीप आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए गेंदबाजी कर चुके हैं।

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स्टेट लेवेल सेलेक्शन के बाद पिता को पता चला
रीवा में सैलून चलाने वाले कुलदीप के पिता रामपाल ने बताया कि मुझे हमेशा लगता था कि बेटा घर से निकलकर पढ़ने स्कूल जाता था। फिर पता चला कि उसने सेलेक्शन स्टेट लेवेल क्रिकेट टीम में हो गया। फिर उसकी मां ने मुझसे बेटे को सिंगरौली भेजने की बात कही। तब जाकर मुझे पता चला कि कुलदीप क्रिकेट भी खेलता है। तब मैंने उसे डांट भी लगाई थी. तब उसने कहा था कि आप टेंशन मत लो, मुझे भी करियर की फिक्र है। फिर मैंने उसे कभी भी क्रिकेट के लिए नहीं रोका।

गेंद और बल्ला भी नहीं था नसीब
कुलदीप का बचपन बड़ा अभावों में बीता। उनके साथी राघवेंद्र सेन ने बताया, फटे मोजे की गेंद और मोगरी से क्रिकेट खेलने वाला मेरा यार आज इंडियन टीम का स्टार बनने वाला है। हम दोनों एक ही साथ पले-बढ़े हैं। बचपन में हमारे पास गेंद और बैट नहीं होता था। ऐसे में हम फटे मोजे की गेंद बनाकर और मोगरी के बैट से क्रिकेट खेला करते थे। क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता था। सिर्फ मनोरंजन का साधन था।

कोच ने फीस लेने से किया था मना
कुलदीप के कोच एरिल का कहना है कि 2008 में पहली बार उनकी कुलदीप से मुलाकात हुई थी। वह बैटिंग की कोचिंग के लिए आया था। फिर मैंने उसकी फीजिक देखकर उसे फास्ट बॉलर बनने की सलाह दी थी। फिर वह राइट हैंड से मिडियम फास्ट बॉलिंग करने लगा। धीरे-धीरे वह गेंदबाजी में माहिर होने लगा। कोच का कहना है कि कुलदीप सेन गरीब घर का बच्चा था। लेकिन बचपन से ही खेल के प्रति उसकी गहरी लगन थी। वह काफी मेहनती था. उसके डेडिकेशन को देखते हुए मैंने उससे फीस नहीं लेनी की ठान ली। उसने कई अच्छे क्रिकेटर से सीखा और आगे बढ़ते गए।

एशिया कप में हो चुका है चयन
न्यूजीलैंड दौरे पहले तेज गेंदबाज कुलदीप का दो महीने पहले 27 अगस्त से 11 सितंबर के बीच दुबई में खेले गए एशिया कप के लिए चयन हो चुका है। हालांकि, उनको खेलने का अवसर नहीं मिला था। तब इंडियन क्रिकेट में 18 सदस्यीय टीम में जगह दी गई थी। बैकअप खिलाड़ी स्टैंडबाय के रूप में श्रेयस अय्यर, दीपक चाहर और अक्षर पटेल का चयन हुआ था। चोट के कारण दीपक चाहर को ड्रॉप कर कुलदीप सेन को चुना गया था। लेकिन इस बार रीवावासी बेसब्री से कुलदीप को खेलते देखना चाह रहे हैंं।

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