जाने कैसे करना है अक्षय तृतीया का पूजन एवम् व्रत नियम विधि जानें शुभ मुहूर्त

पूजा विधि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया होती है जोकि 3 मई मंगलवार के दिन है
सनातन हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को एक विशिष्ट मुहूर्त और बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है {अक्षय तृतीया का मतलब ही होता है जिसका कभी क्षय ना हो } जैसे इस दिन किया गया जप तप नियम दान आदि धार्मिक कार्यों का कभी नाश नही होता है हमसे वह पुण्य अक्षयपुण्य के रूप में सदैव रहता है कई जगह आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य को बिना पंचांग देखे ही किया जा सकता है अक्षय तृतीया को अद्भुत मुहूर्त माना जाता है अक्षय तृतीया

के दिन खरीदारी को बहुत ही शुभ माना गया है ( अक्षय तृतीया की पूजन )अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखने की परंपरा है अगर आपने व्रत रखा है तो सूर्योदय से पहले स्नान कर लें इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें अपने घर के मंदिर में भगवान श्री विष्णुजीकी प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर पंचामृत से स्नान करवायें पुनः गंगाजल से स्नान करावें इसके बाद उन्हें पीले फूल तुलसी और पीले फूलों की माला अर्पित करें अब दीप और धूपबत्ती जलाकर पीले आसन पर बैठ जाएं और श्री विष्णुसहस्त्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करें जिसमें भगवान के दिव्य1008 नाम है या विष्णु चालीसा का पाठ करें. पाठ के बाद आखिर में भगवान विष्णु जी की आरती करें
अक्षय तृतीया पर महालक्ष्मी पूजा मंत्र
‘ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी महत्व माना गया है इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी जैसे कार्य किए जा सकते हैं. पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान बेहद फलदायक होती है इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते है अक्षय तृतीया के दिन करें ये कामअक्षय तृतीया पर दान और पूजा करने से इसका फल कई गुना होने के साथ अक्षय भी रहता है.अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है.
अक्षय तृतीया पर दान करने का महत्व काफी होता है अक्षय तृतीया पर 14 तरह के दान करने से सभी तरह के सुख और संपन्नता की प्राप्ति होती है अक्षय तृतीया के दिन ज्वार, सत्तू, तिल और चावल का दान महत्वपूर्ण है शास्त्रों में गेहूं को सोने के समान महत्वपूर्ण माना गया है इसलिए अन्न दान महत्वपूर्ण है अक्षय तृतीया के दिन वस्‍त्रों का दान करना भी बेहद शुभफलदायी माना गया है क्या है कलश पूजन का महत्व अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का महत्व व इस पर्व से जुड़ी 5 पौराणिक कहानियां
अक्षय तृतीया के दिन दान के साथ साथ कलश पूजन का बहुत महत्व है अक्षय तृतीया पर किस प्रकार कलश स्थापना कर विधि से पूजन करें यहां पढ़ें साथ ही इस दिन कलश स्थापना से जुड़ी 5 पौराणिक कहानियां भी जानें
अक्षय तृतीया पर दान का अपना एक विशेष महत्व है इस दिन सभी अपने- अपने घरों में कलश पूजन भी करते हैं ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन कलश पूजन करने से वर्ष भर संकट आपसे दूर रहते हैं। भारतीय ज्योतिष में कलश का मुख प्रथम भाव व तल मृतिका सप्तम भाव का माना जाता है। इस दिन कलश पूजन का महत्व और इसे करना क्यों जरुरी है, यहां जानें
क्या है कलश पूजन का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन करने का विशेष महत्व हो इसलिए है क्योंकि सूर्य मेष राशि पर और चंद्र वृष राशि पर होता है अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का महत्व व इस पर्व से जुड़ी 5 पौराणिक कहानियां
आइए जानें अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का महत्व व इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कहानियां
अक्षय तृतीया के दिन दान का विशेष महत्व है लोग इस दिन गहना खरीदना शुभ मानते हैं। अक्षय तृतीया पर किस प्रकार कलश स्थापना कर विधि से पूजन करें यहां पढ़ें। साथ ही इस दिन कलश स्थापना से जुड़ी पौराणिक कहानियां भी जानें
अक्षय तृतीया पर दान का अपना एक विशेष महत्व है इस दिन लोग गहनों की खरीदारी करना शुभ मानते हैं इस दिन सभी अपने- अपने घरों में कलश पूजन भी करते हैं शास्त्रों का मानना है कि इस दिन कलश पूजन करने से वर्ष भर संकट आपसे दूर रहते हैं भारतीय ज्योतिष में कलश का मुख प्रथम भाव व तल मृतिका सप्तम भाव का माना जाता है इस दिन कलश पूजन का महत्व और इसे करना क्यों जरुरी है, यहां जानें।
क्या है कलश पूजन का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन करने का विशेष महत्व हो इसलिए है क्योंकि सूर्य मेष राशि पर और चंद्र वृष राशि पर होता है इस बार चार ग्रह उच्च के हो रहे हैं तो इस बार का कलश पूजन अत्यंत प्रभावशाली होगा और कष्टों को दूर करेगा अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि तिथि के अनुसार पुराणों में इस दिन से कलश को जोड़ा गया है बिना कलश के इस दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है।
कलश स्थापना के पीछे हैं ये 5 पौराणिक कहानियां
इस विधि से पूजा करने पर मिलता है उत्‍तम फल
कलश अक्षय तृतीया पर संकल्प का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी। मान्यता है कि भगवन कृष्ण के पदचिन्हों में कलश की आकृति उभरती थी। इसलिए आज भी वृंदावन में इस तिथि पर वहां पादुका के दर्शन होते हैं। इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी। उसमें में निकलने वाला अमृत कलश पात्र में ही भरा था। कहते हैं कि एक कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है। राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं। यह भी अक्षय तृतीया तिथि को ही हुआ था।

इस प्रकार करें कलश स्थापना
कलश में पानी भरें फिर उसे आम के पत्तों से सजाएं। आम का हरा पत्ता प्रसन्नता का प्रतीक माना गया है। इसी तरह इसके ऊपर रखे ढक्कन में भरा हुआ अनाज धन- धान्य का प्रतीक होता है इसमें सजा हुआ स्वास्तिक कल्याण व ऊर्जा का संदेश देता है तो इस तरह घर पर कलश स्थापना कर विधि- विधान से करें पूजन हैं तो इस बार का कलश पूजन अत्यंत प्रभावशाली होगा और कष्टों को दूर करेगा अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि तिथि के अनुसार पुराणों में इस दिन से कलश को जोड़ा गया है बिना कलश के इस दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है।

पौराणिक कहानियां
आज अक्षय तृतीया पर करना चाहिए दान, इस विधि से पूजा करने पर मिलता है उत्‍तम फल

कलश अक्षय तृतीया पर संकल्प का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी मान्यता है कि भगवन कृष्ण के पदचिन्हों में कलश की आकृति उभरती थी इसलिए आज भी वृंदावन में इस तिथि पर वहां पादुका के दर्शन होते हैं इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी उसमें में निकलने वाला अमृत कलश पात्र में ही भरा था कहते हैं कि एक कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है जो कि विशेष रूप से { कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता:

मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:।

कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा,

ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामगानां अथर्वणा:

अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता: } कलश के मुख में भगवान विष्णु का वास होता है कंठ में भगवान रुद्र का और मूल में ब्रह्मा जी का वास होता है और कुक्ष में सागर और सप्तद्वीपों का वसुंधरा वास होता है इस प्रकार से कलश में सभी देवताओं का वास होता है ( पौणणिक कथायें ) राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं यह भी अक्षय तृतीया तिथि को ही हुआ था

इस प्रकार करें कलश स्थापना
कलश में पानी भरें फिर उसे आम के पत्तों से सजाएं आम का हरा पत्ता प्रसन्नता का प्रतीक माना गया है इसी तरह इसके ऊपर रखे ढक्कन में भरा हुआ अनाज धन धान्य का प्रतीक होता है इसमें सजा हुआ स्वास्तिक कल्याण व ऊर्जा का संदेश देता है तो इस तरह घर पर कलश स्थापना कर विधि- विधान से करें पूजन .

{वाराणसी एवम् अयोध्या} के ख्यातिलब्ध ज्योतिष मर्मज्ञ श्री नाथ प्रपन्नाचार्य दूरभाष 7905652610

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