मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र से रीवा सिरमौर के रहने वाले उत्कर्ष मिश्रा की कहानी इतनी प्रेरणा दाई है जिसे सुन आप भी गर्व महसूस करेंगे, सिरमौर के रहने वले उत्कर्ष किसी बड़े घराने से नहीं हैं वो भी एक एक मध्यम वर्गीय परिवार के है. उत्कर्ष के घर में एक छोटा भाई और माता पिता हैं , उत्कर्ष की शुरुआती जिंदगी तो एक दम सामान्य थी, परन्तु आजसे 9 शाल पहले वर्ष 2015 में जब उत्कर्ष अपने किसी रिश्तेदार के घर से वापस लौट रहे थे, उत्कर्ष परिवार संग ऑटो में सवार थे तब इन्नोवा गाड़ी से उनकी ऑटो का एक्सीडेंट हो गया और तबसे उनकी जिंदगी ही बदल गई.
इस एक्सीडेंट में परिवार के बांकी लोगों को तो ज्यादा चोंट नही आई पर उत्कर्ष को स्पाइनल काट इंजरी हो गयी, उत्कर्ष अपने इलाज के लिए रीवा से नागपुर तक गए, लेकिन हर डॉक्टर ने यही कहा की अब आप कभी चल नही पाओगे. डॉक्टरों के मुँह से यह सुनकर उत्कर्ष के परिवार वालों ने हार मानली, परन्तु उत्कर्ष इतनी जल्दी कहाँ हार मानने वाले थे. वो कहते हैं न लम्बी रेस के घोड़े इतनी आसानी से हार नही मानते. करीब दो वर्ष घर में लेटने के बाद उत्कर्ष ने डॉ. गीता मिश्रा के सानिध्य में फिजयोथेरिपी कराइ, जिससे उनकी हालत में थोडा सुधार हुआ.
लेकिन उत्कर्ष सिर्फ इतने से कहाँ मानने वाले थे, उत्कर्ष तो लम्बी रेस के घोड़े हैं. व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही उत्कर्ष ने मार्शालार्ट खेलना और वर्कआउट कारण भी शुरू कर दिया. उत्कर्ष को ऐसा करते देख उनके माता-पिता बोले की इतना सब होगया ऐशा मत करो फिर कोई इंजरी हो सकती है पर उत्कर्ष ने जो जवाब दिया उसे सुन आप उत्कर्ष के मनोबल और हौसले को समझ पाएंगे, उत्कर्ष ने कहा की “मेरे साथ जितना बुरा होना था होगया अब जो होगा अच्छा ही होगा “, अपने इसी जज्बे और हौसले के साथ उत्कर्ष ने मार्शलार्ट में स्टेट और नेशनल लेवल पर स्वर्ण पदक जीता. उत्कर्ष का चयन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हो चुका है. उत्कर्ष पैरा कैटेगरी से मार्शलार्ट खलते हैं.
उत्कर्ष कहते हैं “की आप लाखों करोड़ों भी कमालो लेकिन अगर आप खुद को फिट नही रख पा रहे तो सब व्यर्थ है” उत्कर्ष मानते हैं की अगर आप फिट हैं आपका शरीर स्वस्थ है तो आप दुनिया के सबसे धनि इंसान हैं. उत्कर्ष ने हमारी टीम से बात करते हुए बताया की जब उनका एक्सीडेंट हुआ था तो उन्होंने खुद को ये कह प्रेरित किया था की जिंदगी हमको एक मिली है उसको अच्छे से जीना है, हो सकता है मैं कभी ठीक न हो पाऊ पर मैं कोशिस नहीं करूंगा तो मुझे बुरा लगेगा. उत्कर्ष पर्तिदिन चार से पांच घंटे वर्कआउट करते हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से वह युवाओं को फिटनेस और वर्कआउट के लिए प्रेरित भी करते हैं. अपने साथ हुए इतने बड़े हादसे के बाद भी उत्कर्ष ने हार नही मानि और अपने हौसले से एक नई पहचान बनाई. अपने इसी हौसले के दम पर आज उत्कर्ष देशभर के युवाओं के लिए हौसले एवं प्रेरणा के स्त्रोत बन गए हैं.