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Success Story: रेहड़ी लगाने वाले का बेटा बना वैज्ञानिक, बहुत कुछ सिखाती है इनकी कहानी

पवन के पिता महेंद्र पाल ने बताया कि पवन ने अपनी मेहनत से बीएससी की पढ़ाई सरकारी स्कूलों और सरकारी कॉलेजों से की, लेकिन आगे पढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. उन्होंने कई बार रक्तदान किया, जिससे उनकी जान-पहचान शहर के एक डॉक्टर से हो गई.

अगर मन में हौसला और लगन हो तो कोई भी मंजिल हासिल करना मुश्किल नहीं है, मंजिल हासिल करने की कमी उन लोगों के लिए बाधा है जिनमें कड़ी मेहनत करने की इच्छाशक्ति की कमी है.  जो लोग हमेशा अपनी मंजिल पर नजर रखते हैं उनके सामने कमी कभी आड़े नहीं आती. इस बात को साबित किया है गांव-गांव जाकर लोगों की जरूरत का सामान बेचने वाले अनपढ़ महेंद्र पाल के बेटे पवन कुमार ने.

सतना टाइम्स डॉट इन

नैनोटेक्नोलॉजी में की एमएससी और पीएचडी
गुरदासपुर के एक छोटे से गांव के रहने वाले और बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले पवन कुमार के नाम के साथ अब एक डॉक्टर भी जुड़ गया है. सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा और सरकारी कॉलेज में बीएससी नॉन-मेडिकल के बाद उन्होंने नैनोटेक्नोलॉजी में एमएससी और पीएचडी भी की है. वे कई देशों में शोध करने के बाद अब आयरलैंड में एक यूरोपीय कंपनी में विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हैं.

ऐसे मिला हायर एजुकेशन का मौका
पवन के पिता महेंद्र पाल ने बताया कि पवन ने अपनी मेहनत से बीएससी की पढ़ाई सरकारी स्कूलों और सरकारी कॉलेजों से की, लेकिन आगे पढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. उन्होंने कई बार रक्तदान किया, जिससे उनकी जान-पहचान शहर के एक डॉक्टर से हो गई, जिनकी मदद से वह प्रोफेसर खन्ना और रमन बहल, जो वर्तमान में पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन हैं, के संपर्क में आए और उनकी मदद से पवन ने एमए की पढ़ाई पूरी की. अच्छे ग्रेड के साथ एमएससी करने के कारण उन्हें छात्रवृत्ति मिली और उन्होंने अपने दम पर पीएचडी की.

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सतना टाइम्स न्यूज डेस्क

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