MP : चंदेरी गांव, जहां बनती हैं साड़ियां जिनकी कीमत जान उड़ जाएंगे आपके होश…

Image credit by google

राजधानी रायपुर के पंडरी के छत्तीसगढ़ हाट में इन दिनों बड़ी रौनक देखने को मिल रही है। लोग बड़ी संख्या में हैंडमैड वस्तुएं खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम की ओर से छत्तीसगढ़ हाट में 10 दिवसीय मृगनयनी प्रदर्शनी की शुरुआत 26 मई हाे चुकी है। प्रदर्शनी में चंदेरी, महेश्वरी साड़ियों के अलावा बाघ प्रिंट की साड़ियां भी सजी हुई हैं।

Image credit by google

एग्जीबिशन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कारीगरों ने अपनी लोक कलाकृतियां प्रदर्शित की हैं। यहां भगवान गणेश, राधा-कृष्ण और माता दुर्गा की पंचधातु की मूर्तियां, फैशन एसेसरीज, लाइफस्टाइल प्रोडक्ट भी उपलब्ध हैं। आर्टिफिशियल फूल और मिट्टी के बने होम डेकोरेटिव के कई समान प्रदर्शनी में सजी हुई है। यह प्रदर्शनी छह जून तक चलेगी।


ईसे भी पढ़े – Mukesh Ambani ने रामचरण की लाड़ली को गिफ्ट किया सोने का पालना, कीमत जान पैरो तले खसक जायेगी जमीन


प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश की खास चंदेरी ग्राहकों को आकर्षित कर रही है। चंदेरी साड़ी के बुनकर मोहम्मद यूनिस ने बताया कि चंदेरी की साड़ियों के धागे को प्राकृतिक रंगों से ही रंगा जाता है। चंदेरी की असली साड़ियां थोड़ी महंगी जरूर पड़ती हैं लेकिन उनसे शरीर सुंदर और त्वचा सुरक्षित रहती हैं। प्रदर्शनी में चंदेरी, माहेश्वरी और बाघ प्रिंट की साड़ियां हैं।यह साड़ी केवल मध्यप्रदेश के अशोक नगर जिले के चंदेरी गांव में बनाई जाती है। इसलिए इस साड़ी को जगह के नाम से चंदेरी साड़ी कहा जाता है।


इसे भी पढ़े – ये है दुनिया का सबसे अनोखा अस्पताल, यहां इंसानों का नहीं बल्कि ऊंटों का होता है इलाज!


उन्‍होंने बताया कि साड़ी को बनाने में केले के छाल का उपयोग किया जाता है। छाल से रेशे निकालकर बुनाई की जाती है। वर्क के हिसाब से एक साड़ी को बनाने में दो महीने तक का समय भी लग जाता है। साड़ियों पर प्रिंट भी हाथ से ही की जाती है। बुनकर मोहम्मद यूनिस ने बताया कि देश के साथ विदेशों में साड़ी की काफी डिमांड है। साड़ी डिजाइन के अनुसार पांच हजार से लेकर 70 हजार रुपये के रेंज में उपलब्ध है।

Image credit by google

मेले में मध्यप्रदेश की जूट, धागे, कौड़ियों, काटन के धागे से बनी ज्वेलरी लोगों को लुभा रही है। ये सभी हाथ से बनी हैं। जूट से बने चौकोर और विभिन्न आकार के कपड़ों पर टेराकोटा की कलात्मक मूर्तियां, फेस आर्ट के साथ कौडियों, सीप लगाकर उसे ज्वेलरी का रूप दिया गया। देखते ही एक नजर में यह भा जाती है। इसकी कीमत 150 से लेकर 1000 रुपये तक है।


यह भी पढ़े – Bridal Blouse Designs :दुल्हन के लिए ये ब्लाउज डिजाइन रहेंगे बेस्ट, जरूर ट्राई करें।


हथकरघा विकास निगम के एमएल शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले से रामजी सोनी पंचधातु की मूर्तियों को लेकर आए हैं। पंचधातु में राधा-कृष्ण एवं बुद्ध के साथ ही अनेक देवी-देवताओं को पौराणिक कथा से अलंकृत किया है। उन्हें इस कला के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिला है।


इसे भी पढ़े – ये हैं विजय माल्या के सबसे रंगीन शौक, जानकर चौंक जाएंगे आप, पड़ोसी के साथ…


मृगनयनी में आई चादरें खास गुणों की वजह से लोगों की पसंद बनी हैं। इस चादर के धागे छिंदवाड़ा जिले के सौसर में बनते हैं और उसे चादर के रूप में मंदसौर जिले के खिरचीपुर गांव के कारीगर हथकरघे में आकार देते हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे सतना टाइम्स एप को डाऊनलोड कर सकते हैं। यूट्यूब पर सतना टाइम्स के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here