सतना।विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसी बीच भाजपा ने भी अविभाजित सतना जिले की सात विधानसभाओं में अपने चेहरे तय कर दिए। नागौद विधानसभा से भाजपा ने परंपरागत प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह को चुनाव की टिकट दी है। जबकि अमरपाटन से राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल को ही रिपीट किया है। वहीं रैगांव सीट से उप चुनाव में हार का मुंह देख चुकी वंदना बागरी पर ही भरोसा जताया है। सूची सामने आने के बाद रैगांव में प्रत्याशी का भारी विरोध हो रहा है। प्रत्याशी के विरोध में पूर्व विधायक जुगुल किशोर बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज बागरी ने भाजपा छोडऩे का ऐलान कर दिया है। इसके अलावा महिला नेत्री रानी बागरी ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
चेहरे तय होते ही दावेदारों में खामोशी
रैगांव में प्रत्याशी के खिलाफ बगावत शुरू हो चुकी है। जबकि नागौद और अमरपाटन में फिलहाल दावेदारों ने खामोशी साध रखी है। कहा जाता है कि राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल को लेकर क्षेत्रीय लोगों में असंतोष को देखते हुए उनके टिकट काटने की चर्चाएं थी, लेकिन जब सूची जारी हुई तो उनका नाम ही सामने आया। माना जा रहा है कि यहां से टिकट का दावा कर रहे अन्य लोग मंत्री के खिलाफ प्रचार शुरू कर सकते हैं। यही हाल नागौद में भी है। नागौद सीट से नागेन्द्र सिंह ने चुनाव नहीं लडऩे की बात कही थी, लेकिन अब पार्टी ने उन्हें भी चुनाव लडऩे को कह दिया है। ऐसे में दावेदारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं।
प्रतिमा के टिकट का विरोध क्यों?
प्रतिमा बागरी को रैगांव के उप चुनाव में भाजपा ने कल्पना के सामने उतारा था। तब प्रतिमा को 60699 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा को 72989 वोट मिले थे। टिकट का विरोध करने वाले नेता पुष्पराज बागरी में अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर भाजपा के सर्वे को भी कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के सर्वे और वरिष्ठ नेताओं की बातें झूठी होने का भी आरोप लगाया। पुष्पराज बागरी ने उप चुनाव में भी टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए विरोध जताया था। तब सीएम के मनाने के बाद वे भाजपा के कार्यक्रम में गए थे। वहीं भाजपा नेत्री रानी बागरी ने भी इस्तीफा दे दिया है। रानी बागरी ने सांसद पर खुला आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सतना में सांसद जिसे चाहते हैं उसी को टिकट मिलती है। प्रतिमा बागरी जो कर सकती है वह मैं नही कर सकती हैं। मैं किसी की चरण वंदना नहीं कर सकती। साथ ही कहा कि भाजपा की टिकट वितरण का सिस्टम समझ नहीं आया। पहले बोला गया कि तीन हजार वोटों से अधिक से हारे लोगों को टिकट नहीं देने की बात कही थी। अब वे टिकट उन्हीं लोगों को टिकट दिए जो हार गए।
भाजपा ने एक भी ब्राम्हण-वैश्य चेहरा नहीं उतारा
भारतीय जनता पार्टी ने यूं तो तमाम समीकरणों को साधने की कोशिश की। लेकिन ब्राम्हण और वैश्य का समीकरण नहीं साध पाए। विभाजित सतना जिले में दो क्षत्रिय, दो ओबीसी और एक एसी वर्ग का उम्मीदवार मैदान में उतारा गया। सतना से पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी की टिकट काटकर बीजेपी ने सांसद गणेश सिंह को चुनावी समर में उतार दिया। वहीं कांग्रेस ने चित्रकूट, रामपुर बाघेलान के जरिए ब्राम्हण समीकरण साधा है। हालांकि वहां भी क्षत्रिय वर्ग का कोटा खाली रह गया है।
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गगनेन्द्र समर्थकों ने बीजेपी कार्यालय पर दिया धरना
नागौद सीट पर बीजेपी का प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह बनाए गए जिनका सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए बीजेपी कार्यालय परिसर पर धरना शुरू कर दिया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सर्वे में गगनेन्द्र सिंह का नाम था और पार्र्टी ने ऐसे नेता को टिकट दी जो खुद चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। ज्ञात हो कि गगनेन्द्र सिंह के समर्थकों ने 2018 के चुनाव में भी उन पर निर्दलीय चुनाव लडऩे का दबाव बनाया था। हालांकि तब संगठन उन्हें मनाने में कामयाब हो गया था। अब एक बार फिर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। गगनेन्द्र सिंह के कार्यालय पन्ना नाका में समर्थकों ने डेरा डाल रखा है जबकि कई कार्यकर्ता नाराज होकर नारेबाजी करते हुए बीजेपी कार्यालय पहुंच गए।