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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार की विपक्षी दलों से बातचीत जारी

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार की विपक्षी दलों से बातचीत जारी: सूत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने बीते वर्ष प्रयागराज में आयोजित विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल के एक कार्यक्रम में कथित विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था, मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा.

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार की विपक्षी दलों से बातचीत जारी: सूत्र

जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया था.नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का मामला इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. सूत्रों के अनुसार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार की विपक्षी दलों से बातचीत जारी है. कई विपक्षी दलों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ सरकार के प्रस्ताव के समर्थन का भरोसा दिलाया है. जस्टिस वर्मा के दिल्ली हाई कोर्ट का जज रहते हुए उनके सरकारी घर से बड़ी मात्रा में जली हुई नगदी मिली थी. सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से उन्हें पद से हटाने को कहा था और उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया था.

जस्टिस यशवंत वर्मा

जस्टिस शेखर यादव मामला

वहीं एक दूसरे जज जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव अटका है. जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ विपक्ष द्वारा प्रस्तुत महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति के पास लंबित है. जस्टिस शेखर यादव पर कथित रूप से हेट स्पीच देने का आरोप है. हालांकि, यह प्रक्रिया अब अड़चनों में फंस गई है. राज्यसभा सचिवालय ने नियमों के अनुसार, याचिका के साथ प्रस्तुत किए गए सभी 55 हस्ताक्षरों की विस्तृत जांच शुरू कर दी है. यह जांच तब शुरू हुई जब यह शिकायत सामने आई कि एक सांसद का हस्ताक्षर दो बार दर्ज किया गया है.

 

संबंधित सांसद ने इस आरोप से इनकार किया है कि उन्होंने प्रस्ताव पर दो बार हस्ताक्षर किए हैं. आधिकारिक प्रक्रिया के तहत, सभी हस्ताक्षरों का एक निर्दिष्ट प्रारूप में सत्यापन आवश्यक है, तभी याचिका आगे बढ़ सकती है. अब तक कम से कम 19–21 सांसदों के हस्ताक्षरों का सत्यापन लंबित है. जब तक सभी हस्ताक्षर विधिवत सत्यापित नहीं हो जाते, तब तक प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता. अगर हस्ताक्षरों में कोई गड़बड़ी पाई गई तो तकनीकी आधार पर याचिका खारिज की जा सकती है.

 

यह मामला पहले ही विवाद का कारण बन चुका है, क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के एक राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया है कि बिना उनकी सहमति के उनके हस्ताक्षर की नकल की गई. वहीं लोकसभा में भी जस्टिस यादव को खिलाफ इसी तरह का नोटिस दिया गया था. लेकिन वह भी तकनीकी रूप से सही नहीं पाया गया.

Shweta Bharti

I am student of bachelor of art in journalism and communication in 1st year | I am doing my graduation in the central university of Indira Gandhi National Tribal University Amarkantak

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