Former Success Story :राज्य सरकार प्रदेश में खेती को लाभकारी बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. इसका उदाहरण अलीराजपुर के किसान युवराज सिंह ने पेश किया है. जिले के छोटा उंडवा गांव के किसान युवराज ने अपने पुश्तैनी बगीचे का विस्तार कर आम का बगीचा तैयार किया है. उनके बगीचे की खास बात यह है कि उनके बगीचे में लंगड़ा, केसर, चौसा, सिंदुरी, राजापुरी, हापुस आदि 26 किस्म के आम के पेड़ लगे हैं।
आम के स्वाद से मिली खास पहचान
युवराज सिंह का कहना है कि अलीराजपुर जिले की मिट्टी में नमी होने के कारण यह आम की खेती के लिए उपयुक्त है. यहां पैदा होने वाले आम का स्वाद पूरे देश में खास पहचान रखता है। युवराज कहते हैं कि हर साल मैं सीधे अपने खेत से अलग-अलग किस्म के आम बेचता हूं। अलीराजपुर के आम की खासियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोग सीजन से पहले ही आम की बुकिंग कर एडवांस पेमेंट कर देते हैं.
नूरजहाँ एक विशेष आम का पेड़
युवराज बताते हैं कि कुछ साल पहले मैं जिले के कट्ठीवाड़ा से ग्राफ्टिंग कर नूरजहां आम का पौधा लाया था. मैंने इसे अपने बगीचे में लगाया और आज एक छोटा सा पौधा आम का पेड़ बन गया है। इसकी खासियत यह है कि एक आम का वजन करीब तीन किलो होता है, जिसकी कीमत एक हजार रुपये प्रति किलो है. युवराज सिंह कहते हैं कि मैंने हमेशा अपने दादा और पिता को आम के बगीचे में काम करते देखा है। उनसे प्रेरणा लेकर मैंने 7 साल पहले बगीचे में 500 आम के पौधे लगाए। इसमें केसर और अन्य आम की किस्मों के कुल 2 हजार से ज्यादा पेड़ हैं. पिछले 10 वर्षों में देश के विभिन्न शहरों में आयोजित मैंगो फेस्टिवल में मुझे कई बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
ऑनलाइन बिक्री के लिए मंच तैयार किया
पिछले साल मैंने ऑनलाइन मार्केट के जरिए सीजन में 4 से 5 लाख रुपये के आम बेचे हैं. इसके अलावा मैंने 5 किलो की पेटियां तैयार कर सीधे बाजार और अन्य लोगों को आम बेचे हैं. अलीराजपुर एक आदिवासी क्षेत्र है, यहाँ के लोगों की आय का मुख्य स्रोत आम है। अलीराजपुर में बड़ा बाजार होने के कारण लोगों को आम बेचने के लिए शहर से बाहर नहीं जाना पड़ता है।