मानो या ना मानो : 2009 मे भी ओवीसी के दो दिग्गज आमने सामने थे

मानो या ना मानो : 2009 मे भी ओवीसी के दो दिग्गज आमने सामने थे जबकि इन दोनो के बीच समाजवादी पार्टी से राजाराम त्रिपाठी जी किस्मत आजमा रहे थे
कोई पंद्रह साल पहले सांसद गणेश सिंह और सुखलाल कुशवाहा जी के बीच कांटे की जंग थी
मतगणना के दौरान शुरूआती बढत बनाने के बावजूद सुखलाल जी च्वालिस सौ मतों के मामूली अंतर से चुनाव हार गये थे.

जबकि राजाराम त्रिपाठी जी एक लाख तीस हजार मतों के साथ तीसरे नंबर पर थे और कांग्रेस के सुधीर सिंह तोमर जमानत तक नही बचा पाये थे।
अब दो हजार चौविस मे भी हालात दो हजार नौ के जैसे ही है
ओवीसी के दो दिग्गजों गणेश सिंह व सिद्धार्थ कुशवाहा के वीच बसपा से नारायण त्रिपाठी किस्मत आजमा रहें हैं
बहरहाल देखना यह है कि जातियों मे बंटी जिले की राजनीति मे ब्राम्हण दलित गठजोड़ क्या गुल खिलाता है
यद्यपि इससे पूर्व एक बार धर्मेंद्र सिंह तिवारी बसपा से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन तब वे कुछ खास नही कर पाये थे
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मण प्रत्याशी की मौजूदगी कांग्रेस के लिये नुकसान देह और बीजेपी प्रत्याशी के लिये फायदेमंद साबित हो सकती लेकिन यदि कांग्रेस प्रत्याशी ने नारायण त्रिपाठी का सहयोग करने का मन बना लिया तो मोदी फैक्टर के बावजूद बीजेपी के लिये मुश्किलें बढ जायेंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here