Mahashivratri :ज्योतिषविद् पं. डॉ. एन पी मिश्रा महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर बैढऩ के अनुसार महाशिवरात्रि परमब्रह्मा निराकार शिव का लिंग रूप में साकार होकर प्रकटीकरण का पर्व है।विश्व भर में फैले हुए शिव भक्त इसको अतिश्रद्धा एवं विश्वास के साथ जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक, रुद्राभिषेक इत्यादि विविध प्रकार से पूजा आराधना कर मनाते। भूत भावन भोलेनाथ देवाधिदेव महामृत्युंजय भगवान की आराधना से लोगों में भाव भक्ति एक अतुलनीय वातावरण एवं सकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है।
शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि आज के दिन बाबा भोले का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और अपने भक्तों से खुश होते हैं। वहीं इस दिन महाशिवरात्रि भी पड़ रही है । ऐसे में भक्तों को इस शुभ संयोग से विशेष लाभ मिलेगा । भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि सबसे बड़ा पर्व है । मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भक्त महादेव के लिए उपवास रखते हैं। महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है ।
ज्योतिषविद् पं. डॉ. एन पी मिश्रा महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर बैढऩ के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं तथा केसर जल चढ़ाएं । उस दिन पूरी रात का दीपक जलाएं, चंदन का तिलक लगाएं, बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफाल, कमल गट्टे, फ ल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं, सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें, नमो भगवते रूद्राय नम: शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नम: मंत्रों का जाप करें।
महाशिवरात्रि पर बन रहा है ये दुर्लभ संयोग
इस दिन सच्ची भक्ति और निष्ठा के साथ व्रत करने वालों से महादेव अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि का यह पावन दिन हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास भी मानी जा रही है।
महाशिवरात्रि पर्व का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान भोलेनाथ का पूजन अभिषेक प्रात: काल से ही शुरू हो जाएगा। जो दिन एवं रात्रि पर्यंत चलता रहेगा । रात्रि कालीन विशेष पूजा समय प्रथम पहर पूजन समय 8 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और समापन रात 9 बजकर 28 मिनट को होगा। दूसरा पहर पूजन समय 8 मार्च को रात 9 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा और समापन 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट पर होगा। तीसरे पहर पूजन समय मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा और समापन सुबह 3 बजकर 34 मिनट पर होगा। चौथा पहर पूजन समय सुबह 3 बजकर 34 मिनट पर से लेकर सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक।