Happy Jagannath Rath Yatra :भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का त्यौहार. जगन्नाथ रथ यात्रा एक ऐसा त्यौहार है जिसे आज संपूर्ण भारत में लोग बड़ी ही खुशी एवम् उत्साह के साथ मानते है. इसी क्रम में रीवा में भी जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़े रीवा के किस्से को सुन आप भी दंग रह जाएंगे.
रीवा में बिछिया नदी के किनारे ऐतिहासिक लक्ष्मण बाग मंदिर स्थापित है, जहां स्वयं भगवान जगन्नाथ विराजे हैं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को हर साल भगवान लू की चपेट में आ जाते है. उन्हे तेज बुखार आता है, और राज्य वैद्य द्वारा दी गई दवाइयों से उनका उपचार किया जाता है.
जगन्नाथ भगवान का यह मंदिर 300 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है, जंहा पर पौराणिक परम्परा के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ लू लगने से बीमार पड़ जाते है, इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान 15 दिनों तक भोग में उन्हें खिचड़ी एवं ठंडाई दी जाती है और राज्य वैद्य आकर भगवान को दवा देकर इलाज करते हैं.
मंदिर के पुजारियों द्वारा 108 कलश औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया जाता है, ऐसी मान्यता है की ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान् लू की चपेट में आ जाते है और भगवान् को तेज बुखार आता है, जिसके बाद भगवान को आराम करने के लिए अलग स्थान दिया जाता है. भक्तों के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है. और वैद्य द्वारा दी गई दवाओं को भगवान को पिलाते है. जिससे भगवान जल्दी ठीक हो जाए और लोगों को दर्शन दे. भगवान की लू लगने से बीमार होने की यह परम्परा काफी लंबे समय से चली आ रही है.
इस दौरान उन्हें लगातार औषधीय दवाइयां दी जायेगी. 15 दिनों के बाद भगवान् ठीक होंगे और रथ यात्रा के दिन लोगों को दर्शन देंगे. यंहा पर रथ यात्रा की परंपरा रही है जिसमे निकलकर भगवान लोगों को दर्शन देते है.
भगवान जगन्नाथ मंदिर की यह परंपरा युगों से चली आ रही है और निरंतर चलती चली जाएगी. यह परंपरा भक्तों की आस्था का प्रतीक है,यह परंपरा भक्तों के विश्वास का प्रतीक है.बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक लोग रथ यात्रा में शामिल होते हैं और भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.