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सैलरी के हिसाब से आपको कितना दहेज मिलना चाहिए? वेबसाइट ने बनाया कैलकुलेटर, लोग नाराज होने की बजाय हुए खुश, है खास वजह

जमाना चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए दहेज लेने की प्रथा कभी खत्म नहीं होती है, हां बस समय के साथ इसका तरीका जरूर बदल जाता है। जैसे पहले लड़के वाले लड़की के माता-पिता के सामने सीधे मुंह अपनी डिमांड रखते थे और कहा जाता था कि हमारे लड़के को ये सब चाहिए। लेकिन आज इसका तरीका बदल गया है और कहा जाता है कि हमें कुछ नहीं चाहिए पर अगर आप अपनी बेटी को कुछ देना चाहते हैं तो हमें कोई एतराज नहीं है।

इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए एक मैट्रिमोनियल साइट ने एक ऐसा कैलकुलेटर लॉन्च किया है, जिसमें अब लड़के अपनी सैलरी और नौकरी की जानकारी डालकर ये पता लगा सकते हैं कि उन्हें कितना दहेज मिल सकता है। आइए जानते हैं इस कैलकुलेटर और इसे इस्तेमाल करने के बारे में।

इस दहेज कैलकुलेटर को अनुपम मित्तल की साइट शादी,कॉम पर लॉन्च किया गया है। उन्होंने इस फीचर को अपने ऐप में एड किया है, जो दहेज के बारे में लोगों को जागरूक करता है। आप भी ये सोच रहे होंगे न कि दहेज का मात्रा बताना वाला ये फीचर आखिर जागरूक कैसे कर सकता है! चलिए आपको बताते हैं क्या है ये दहेज कैलकुलेटर और इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है।

आप को बता दें कि शादी.कॉम पर जिस दहेज कैल्कुलेटर फीचर को एड किया गया है वो दरसरल में दहेज का अमाउंट नहीं बल्कि स्टैटिक्स को कैल्कुलेट करता है जिसमें दहेज के कारण महिलाओं की हुई मौतों के आंकड़ों को दिखाया जाता है। ये एक ऐसा कदम में जिससे न जाने कितनी महिलाओं की जानों को बचाया जा सकता है।

इसे इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है। आपको बस दहेज कैलकुलेटर सर्च करना है, जिसके बाद आपके सामने ऊपर दी गई तस्वीर वाली विंडो खुल जाएगा। आपको अपनी शिक्षा और सैलरी जैसी कई सारी जानकारी भरनी है। इसके बाद जब आप इसे सबमिट करते हैं तो दहेज के पैसों की जगह ये आपके सामने उन आंकड़ों को रख देता है, जितनी महिलाओं की दहेज के कारण भारत में मौतें हुई हैं.

एक और जहां भारत में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीकों से दहेज मांगने की प्रथा को बढ़ावा मिलता जा रहा है, वहीं अनुपम मित्तल ने अपनी मैट्रिमोनियल साईट शादी.कॉम में एक फीचर को एड किया है। आप को बता दें कि इंटरनेट पर उप्लब्ध जानकारी के अनुसार 2022 में दहेज के कारण होने वाली मौतों के मामले 6.4 हजार थे। इस एक कदम से जिससे न सिर्फ दहेज लेने को रोका जा सकता है बल्कि इससे होने वाली कई मौतों और शोषण को रोकने में भी मदद मिल सकती है।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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