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  • जानिए IAS ऑफिसर पद के लिए क्या है जरूरी, क्या 10वीं पास कर सकते हैं ये जॉब करियर?

    जानिए आईएएस (ias) अफसर के पद में क्या है जरूरी,क्या 10th पास इस जॉब करियर में जा सकते है आईएएस अधिकारी बनना लाखों युवा उम्मीदवारों का सपना होता है। इसे भारत में सबसे प्रतिष्ठित करियर में से एक माना जाता है। एक आईएएस अधिकारी के रूप में करियर विभिन्न चुनौतियों और जिम्मेदारियों के साथ आता है। उसके पास कानून और व्यवस्था बनाए रखने की प्रमुख जिम्मेदारी है.

    सतना टाइम्स डॉट इन

    10वीं के बाद आईएएस अधिकारी कैसे बनें और भारत में आईएएस अधिकारी का वेतन क्या है। कोई व्यक्ति पुरुष हो, महिला हो या किसी अन्य लिंग का हो, वह आईएएस अधिकारी के रूप में करियर चुन सकता है।आईएएस अधिकारी के रूप में करियर कुछ विकलांग व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है। डी बालगेंद्रम दृष्टिबाधित आईएएस अधिकारी हैं।

    आईपीएस अधिकारी बनने के लिए आपको औपचारिक प्रशिक्षण या कोई कार्यक्रम करना होगा। आपको भारत में किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में न्यूनतम 60 प्रतिशत कुल अंकों के साथ 10+2 उत्तीर्ण करना होगा।

    आईएएस अफसर

    UPSC सिविल सर्विस परीक्षा सिर्फ देश की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. यूपीएससी परीक्षा पास करके आईएएस यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा में अफसर बन सकते हैं. आईएएस अफसर को कई स्तरों पर प्रमोशन मिलता है. उनकी नौकरी सिर्फ डीएम के पद तक सीमित नहीं होती है.

    संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास करके देश की टॉप सरकारी नौकरी हासिल की जा सकती है यूपीएससी सीएसई रिजल्ट जारी होने के बाद रैंक और वरीयता के आधार पर आईएएस, आईपीएस व आईआरएस आदि सेवाओं में सरकारी नौकरी मिलती है.

    आईएएस अधिकारी ज़िम्मेदारी

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    एक आईएएस अधिकारी का काम उसे दिए गए असाइनमेंट के प्रकार के आधार पर भिन्न होता है। एक आईएएस अधिकारी को तीन प्रकार के कार्य प्रदान किये जाते हैं। इसमें क्षेत्र, राज्य सचिवालय, या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और केंद्रीय सचिवालय के कार्य शामिल हैं।

    एक आईएएस अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं, दंगों और बड़ी दुर्घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने के लिए जिम्मेदार होता है। वह राहत गतिविधियों के समन्वय के लिए जिम्मेदार है। काम के घंटे आम ​​तौर पर सुबह 9:00 बजे से शुरू होते हैं और रात 9:00 बजे तक चलते हैं। इसे आपदा प्रबंधन और संकट प्रबंधन जैसी कई आपातकालीन घटनाओं तक भी विस्तारित किया जाता है। एक आईएएस अधिकारी सुबह से देर रात तक काम करता है।एक आईएएस अधिकारी की कार्य जिम्मेदारियां कार्यस्थल के अनुसार अलग-अलग होती हैं। वह कार्यालय के माहौल में और मैदान पर भी काम करता है।

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  • सीएम मोहन यादव की सख्ती, आईएएस के बाद अब भरोसेमंद आईपीएस अफसरों को सौंपी गई ये बड़ी जिम्मेदारी

    CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के बाद से ही सीएम मोहन यादव (Mohan Yadav) फुल एक्शन मोड में हैं. कानून व्यवस्था को लेकर सीएम मोहन यादव का टाइट रवैया नजर आ रहा है. उन्होंने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है. सीएम यादव ने लॉ एंड आर्डर के लिए एडीजी स्तर के आईपीएस अफसरों को संभागों का जिम्मा सौंपा है.

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    CM यादव ने पहले सीनियर आईएएस अफसरों को संभागवार जिम्मेदारी दी थी और अब इन संभागों में कानून व्यवस्था की समीक्षा करने और दौरे करने की जिम्मेदारी सीनियर आईपीएस अफसरों को सौंपी गई है. एडीजी रैंक के अफसरों को मध्यप्रदेश के 10 संभागों में कानून व्यवस्था की देखरेख करने और पुलिस कार्यप्रणाली की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी गई है.

    IPS अफसरों को सौंपा बड़ा जिम्मा

    एक दिन पहले अपर मुख्य सचिव स्तर के IAS अधिकारियों को संभागों का प्रभार देने के बाद अब लॉ एंड आर्डर के लिए एडीजी स्तर के आईपीएस अफसरों को भी संभागों का जिम्मा दे दिया गया है. भोपाल की जिम्मेदारी IPS विजय कटारिया, वहीं इंदौर संभाग की जिम्मेदारी IPS जयदीप प्रसाद को सौंपी गई है. सभी दस संभागों में चु​निंदा आईपीएस अफसरों को लॉ एंड ऑर्डर की निगरानी की जवाबदारी सौंपी गई है.

    इन IPS अफसरों को सौंपी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी

    भोपाल संभाग- विजय कटारिया

    नर्मदापुरम संभाग- आलोक रंजन

    ग्वालियर संभाग- प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव

    शहडोल संभाग- योगेश मुदगल

    चंबल संभाग- पवन श्रीवास्तव

    रीवा संभाग- अनिल कुमार

    सागर संभाग- संजीव शमी

    जबलपुर संभाग- चंचल शेखर

    इंदौर संभाग- जयदीप प्रसाद

    उज्जैन संभाग- योगेश देशमुख

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    कानून व्यवस्था को लेकर सख्त हैं मोहन यादव

    सीएम मोहन यादव शुरुआत से ही लॉ एंड ऑर्ड को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं. इस प्रशासनिक फेरबदल से पहले उन्होंने 2 अन्य शहरों में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू करने का भी ऐलान किया था. अब भोपाल और इंदौर के बाद ग्वालियर और जबलपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होगा.

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