Hostels built at a cost of crores in two big colleges of Satna are locked

  • Satna News :सतना के दो बड़े कॉलेजों में करोड़ो की लागत से बने छात्रावास में लटक रहे ताले

    Satna News :सतना जिले के दो बड़े कॉलेजों में करोड़ों की लागत से बने छात्रावास बिना उपयोग के खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। सतना के डिग्री कॉलेज और गर्ल्स कॉलेज में बने छात्रावास का न तो आज तक निर्माण होने के बाद से आज तक ताला ही लटक रहा है।

    दरअसल, सतना जिले के गहरानाला स्थित शासकीय महाविद्यालय में सात साल पहले छात्रावास का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज दिनांक तक छात्राओं को छात्रावास की सुविधा नहीं मिल पाई है।

    करोड़ो के भवन खड़ंहर में तब्दील

    इसी प्रकार शासकीय इंदिरा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्राओं को छात्रावास सुविधा देने के लिए 13407 लाख की लागत से निर्माण कराया गया जिसका लाभ उन्हें आज भी नहीं मिल पा रहा। ऐसी स्थिति में करोड़ों के भवन और संसाधन खंडहर में तदील होने लगे है।

    स्वीकृत नही है वार्डन सहित तमाम पद

    इसके अलावा यहां भी वार्डन सहित तमाम पद स्वीकृत नहीं है, जिससे छात्रावास संचालित होने में असुविधा हो रही है। वहीं छात्राएं दूर-दराज के क्षेत्रों से रोजाना आवागमन करने के लिए विवश हैं। छात्रावास संचालित नहीं हो पाने के पीछे कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि अभी तक संपूर्ण संसाधन उपब्लध नहीं हो सके।



    छात्रावास में छात्रों के लिए बेड और गद्दे उपलब्ध लेकिन लटक रहा ताला

    प्रमोद कुशवाहा ने जानकारी देते हुए बताया इंदिरा कन्या कॉलेज के कैंपस में मप्र पुलिस आवास एवं अधोसरंचना विकास विभाग भोपाल के द्वारा 50 सीटर छात्रावास का निर्माण किया गया। छात्रावास की बिल्डिंग वर्ष 2023 में बनकर तैयार हो गई। तिमंजिला भवन में छात्राओं के रहने के लिए बेड और गद्दे भी उच्च शिक्षा विभाग ने उपलब्ध करा दिए। जिसके बाद 5 अगस्त 2023 को तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में छात्रावास का उद्घाटन भी करा दिया गया। उसके बाद से आज तक ताला नहीं खुल पाया।

    एनएसयूआई छात्र नेता मयंक वर्मा ने बताया कि कॉलेज कैंपस में छात्रावास बनकर तैयार है। इसके बाद भी छात्राओं को सुविधा नहीं मिल पाने से छात्र संगठनों में नाराजगी है। चूंकि हर रोज आवागमन से छात्राओं के रोजना सौ से डेढ़ सौ रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें कॉलेज की फीस से अधिक पैसा कॉलेज के ट्रांसपोर्ट में खर्च करना पड़ रहा है। बेहद साधारण परिवारों की बालिकाएं यहां अध्ययनरत हैं।

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