Satna News Crime :सिटी कोतवाली पुलिस ने एमपी के सतना जिले में बढ़ती साइबर ठगी की घटनाओं पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश से दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी कियोस्क सेंटर संचालकों को चकमा देकर हजारों की ठगी करते थे। पुलिस ने इनके कब्जे से दो मोबाइल फोन और 40 हजार रुपये नकद जब्त किए हैं।

यह कार्यवाही सिटी कोतवाली थाना प्रभारी रावेंद्र द्विवेदी के नेतृत्व में हुई है गिरफ्त में आए आरोपियों की पहचान पवन कुमार सिंह (34 वर्ष) निवासी बांसगांव, बाराबंकी और अंकुर सिंह (25 वर्ष) निवासी दुरौनी, गोंडा (उ.प्र.) के रूप में हुई है।
ऐसे देते थे ठगी को अंजाम
24 मई को कियोस्क संचालक त्रिवेणी प्रसाद वर्मा की दुकान पर एक व्यक्ति ग्राहक बनकर पहुंचा। उसने खुद को पवन कुमार सिंह बताया और 1,000 रुपये एक खाते में ट्रांसफर करवाए। इस दौरान वह ट्रांजैक्शन करते समय दुकानदार का फोन पे पिन देख चुका था।कुछ देर बाद वह वापस लौटा और कहा कि ट्रांजैक्शन फेल हो गया है। उसने दोबारा मोबाइल मांगा और दुकानदार के व्यस्त होने का फायदा उठाते हुए फोन पे के जरिए 60 हजार रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद वह मौके से फरार हो गया।
रीवा से ली थी बाइक, सतना में दिया वारदात को अंजाम
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे ट्रेन से सतना पहुंचे थे और यहां बाइक किराए पर लेने की कोशिश की, लेकिन असफल रहने पर उन्होंने रीवा में ऑनलाइन बाइक बुक की और सतना लौटकर वारदात को अंजाम दिया। आरोपी हर बार जिस जिले से बाइक किराए पर लेते थे, वहां अपराध नहीं करते थे ताकि उनकी पहचान उजागर न हो।
अब तक 10 दुकानदारों से कर चुके हैं ठगी
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने कबूला है कि उन्होंने सतना और रीवा जिले के लगभग 8 से 10 कियोस्क संचालकों को इसी तरीके से ठगा है। पुलिस को शक है कि यह ठगों का बड़ा गिरोह है और अन्य जिलों में भी इनका नेटवर्क फैला हो सकता है।
कैश से भरा बैग दिखाकर जीतते थे भरोसा
आरोपी पहले कैश से भरा बैग दिखाकर दुकानदार का भरोसा जीतते थे। फिर 2 हजार रुपये ट्रांसफर करवाने की बात कहते थे और मोबाइल की जानकारी चुपचाप देख लेते थे। ट्रांजैक्शन के बाद वे नोटिफिकेशन डिलीट कर देते थे ताकि दुकानदार को फौरन ठगी का पता न चल सके।
क्रिकेट सट्टा वेबसाइट से जुड़े खाते का करते थे इस्तेमाल
साथ ही ये ठग ऑनलाइन कैसिनो और क्रिकेट सट्टा वेबसाइट से जुड़े खाते का इस्तेमाल करते थे। इससे अगर पीड़ित शिकायत कर भी देता था तो खाता ब्लॉक होने पर पहचान उजागर नहीं होती थी, जिससे गिरफ्तारी टल जाती थी।फिलहाल पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ कर यह पता लगाने में जुटी है कि इनके तार किन-किन जिलों और ठगी गैंगों से जुड़े हैं।