Deputy Chief Minister Rajendra Shukla

  • रीवा एयरपोर्ट लोकार्पण पर विशेष : विन्ध्य की उड़ान को लगे सुनहरे पंख!

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब कहते थे कि वह दिन भी अब दूर नहीं जब हमारे देश के ‘हवाई चप्पल वाले लोग भी हवाई जहाज में उड़ान भरेंगे’ तब विरोधी इसे महज जुमला कहकर बात हवा में उड़ा देते थे। ऐसे लोगों को आज रीवा आकर देखना चाहिए कि सपना किस तरह यथार्थ के धरातल पर उतरकर चरितार्थ होता है।

    20 अक्टूबर 2024 की तारीख विन्ध्यक्षेत्र के लिए ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनने जा रही है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी चिरप्रतीक्षित रीवा हवाई अड्डे का लोकार्पण करने जा रहे हैं। इस अवसर पर लोकप्रिय मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, रीवा के प्रभारी मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल साथ ही विन्ध्य के सांसद-विधायक गण, उद्यमी व नागरिक गण हवाई अड्डे पर आयोजित गौरवमयी ऐतिहासिक समारोह के साक्षी रहेंगे।

    माननीय प्रधानमंत्री जी रीवा में एक ऐसे हवाई अड्डे को लोकार्पित करने ने जा रहे हैं जो भविष्य में उत्तरमध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयर ट्रैफिक डेस्टिनेशन बनकर उभरेगा ही इस क्षेत्र को विकास के उच्च पायदान पर स्थापित करेगा। औद्योगिक निवेश और पर्यटन के लिए वैश्विक संभावनाओं का पथ प्रशस्त होगा।

    दो वर्ष पूर्व इंदौर में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में विश्वभर के उद्यमियों के बीच माननीय ज्योतिरादित्य सिंधिया जी(तत्कालीन नागरिक विमानन व उड्डयन मंत्री) ने सगर्व यह घोषणा की थी कि हम मध्यप्रदेश का छठवे  हवाईअड्डे को निर्मित और विकसित करने जा रहे हैं। उनकी इस घोषणा ने दुनियाभर के उन उद्योगपतियों के ध्यान को आकृष्ट किया जो यहाँ पावर व माइनिंग सेक्टर, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म, फूड प्रोसेसिंग इन्डस्ट्रीज की संभावनाओं को देखते हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने वालों के लिए यह अवसरों का दरवाजा खोलने वाला है। यह सुयोग है कि 23 अक्टूबर को रीवा में विन्ध्य में इन्वेस्टर समिट और रीजनल इन्डस्ट्रियल कान्क्लेव का आयोजन है। यह हवाई अड्डा विन्ध्यक्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से एक्सीलेटर की भूमिका निभाएगा यह मेरा दृढ़ विश्वास है।

    मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि रीवा का हवाईअड्डा कई चरणों में विकसित हो रहा है। प्रथम चरण में 72 सीटर यात्री विमान के उड़ान की सुविधा प्रारंभ हो रही है। पाँच साल में रीवा का हवाईअड्डा बोइंग की लैंडिंग और अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए बनकर तैय्यार रहेगा। वह दिन दूर नहीं जब यहां से विदेशों के लिए भी हवाई जहाज उड़ने लगेंगे।

    रीवा एयरपोर्ट शिलान्यास के बाद रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है, इस उपलब्धि के लिए भारतीय विमान प्राधिकरण व स्थानीय प्रशासन अभिनंदन का पात्र है। हवाई यातायात की सुविधा की दृष्टि से रीवा अब भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया है। भविष्य में हम और भी आगे बढ़ेंगे।

    देश में श्री मोदी जी और प्रदेश में डा. मोहन यादव के कुशल और फलदायी नेतृत्व के अनुभव को देखते हुए मैं यह विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि अगले पाँच वर्षों के भीतर हम-सब का सपना पूर्णरूपेण यथार्थ के धरातल पर उतर जाएगा। यह विन्ध्य की आशाओं के केन्द्र रीवा के विकास का श्रेष्ठ व उन्नत दौर है जो  स्वतंत्रता के अमृतकाल में प्रारंभ हो हुआ है।

    मैं जब कहता हूँ कि अब रीवा मध्यप्रदेश के ही नहीं देश के समुन्नत और श्रेष्ठ महानगरों की श्रेणी में कदमताल मिलाकर चल पड़ा है तो इसके पीछे ठोस आधार है। 1956 तक रीवा विन्ध्यप्रदेश की राजधानी रहा है और तब इसकी हैसियत भोपाल, लखनऊ, पटना और भुवनेश्वर जैसे शहरों के समकक्ष थी। कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक द्वेषवश रीवा से एक प्रदेश की राजधानी का गौरव छीन लिया।

    1956 से 2004 तक यह उपेक्षित और अभिशप्त पड़ा रहा। विन्ध्य में आज जो प्राकृतिक संसाधन हैं वो कल भी थे। आम नागरिकों में विकास की ललक और अपेक्षाएं कल भी वैसी ही थीं। केन्द्र में अटलजी और उसके बाद मोदीजी की नेतृत्व की व प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और अब डा.मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आहत और उपेक्षित विन्ध्यवासियों की पीड़ा और भावनाओं को समझा है। आज यह क्षेत्र कई मामलों देश में अग्रगण्य है।

    जब मैं कहता हूँ कि रीवा एयरपोर्ट उत्तरमध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयरपोर्ट होगा तो मेरी दृष्टि के सामने सिंगरौली का पावर काम्प्लेक्स उभरकर सामने आता है। सिंगरौली में  थर्मल प्लांटस में 20,000 मेगावाट से ज्यादा विद्युत उत्पादन होता है। देश का यह सबसे बड़ा पावर काम्प्लेक्स है। रीवा से सिंगरौली तक विश्वस्तरीय सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होकर पूर्णता के करीब है। जो यात्री पाँच घंटे में बनारस पहुँचते थे वे दो घंटे में रीवा एयरपोर्ट के लाउंज में होंगे। विन्ध्य की 29 बड़ी औद्योगिक इकाईयां 225 किमी की परिधि में फैली हैं और प्रायः सभी नेशनल हाइवेज से जुड़ी हैं। अपने रीवा का हाइवेज  जंक्शन पहले ही विकसित हो चुका है। इन औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों के लिए रीवा एयरपोर्ट कितनी बड़ी सहूलियत बनने जा रहा है यह अब उनसे ही पूछ सकते हैं। विन्ध्य की वाइल्डलाइफ टूरिज्म का विश्व में स्थान है। यहाँ। का सफेद बाघ दुनियाभर के चिड़ियाघरों में दहाड़ रहा है। टीवी में दिखने वाला हर दूसरा बाघ या तो बांधवगढ़ का है या कि पन्ना का। पर्यटकों के लिए यह कितना आसान हो जाएगा। रीवा में 750 मेगावाट का सोलर पावर काम्प्लेक्स एशिया के बड़े पावर प्रोडक्शन यूनिट में शामिल है। रीवा में खूबसूरत प्रपातों की श्रृंखला है। भगवान राम का तपोवन चित्रकूट और माँ शारदा के धाम मैहर कौन नहीं आना चाहेगा।

    बाणसागर का वृस्तित जल प्रक्षेत्र और उसके द्वीप विकसित होने पर हनुवंतिया के आकर्षण से आगे का प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करेंगे। अपना विन्ध्य पावर हब की तरह सीमेंट का भी प्रोडक्शन काम्प्लेक्स है। प्रायः सभी बड़े औद्योगिक घरानों का निवेश यहां आया है। रीवा में नागपुर की तरह मेडिकल फैसिलटी और कोटा की तरह एकडमीज का विस्तार हो रहा है। हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं कि देश का हर दसवां घर विन्ध्य में उत्पादित बिजली से रोशन हैं। देश के हर दसवें घर की बुनियादें यहां की फैक्ट्रियों से बनी सीमेंट से बेजोड़ और मजबूत हुई हैं।

    अभी तीन लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है, बाणसागर का पानी जब 9 लाख हेक्टेयर तक पहुँचेगा तब यहाँ के किसानों की स्थिति क्या बनेगी कल्पना की जा सकती है। विन्ध्यवासियों की क्रयशक्ति बढ़ी है और यही सब क्षमता मिलकर रीवा को उत्तरमध्य भारत के सबसे विकसित महानगर बनाने का काम करेगी।

    रीवा इंदौर की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। शहरी विकास की रेटिंग एजेंसियां रीवा को संभावनाओं का महानगर बता रहे हैं। इन्हीं सबके आधार पर मैं यह कहता हूँ कि रीवा एयरपोर्ट विन्ध्य के उन्नत उडान के लिए स्वर्णिम पंख लगाने जा रहा है।

    रीवा एयरपोर्ट के फलितार्थ होने में भी परिश्रम की पराकाष्ठा शामिल है। मैं आभारी हूँ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज जी का, मुझे वह तारीख 13 जनवरी 2015 आज भी याद है जब उन्होंने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को रीवा में एयरपोर्ट की संभावनाओं के अध्ययन के लिए पत्र लिखा। इसके बाद वह सिलसिला चल निकला। प्रधानमंत्री जी ने किफायती दरों वाली उडान योजना लांच की तो उन्हीं की कृपा से रीवा ‘उडान’ में शामिल हो गया। श्री सिंधिया जी ने जब से उड्डयन विभाग की कमान सँभाली रीवा एयरपोर्ट उनकी प्राथमिकता में सर्वोपरि रहा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने प्रदेश सरकार से कहा कि हमें रीवा के लिए 258 एकड़ भूमि और चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने बिना वक्त गँवाए इसके लिए 209 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए।

    जब जनसेवा का भाव और संकल्प प्रबल होता है तब दैवयोग से सभी कार्य ऐसे ही सधते जाते हैं जैसे कि रीवा एयरपोर्ट की कल्पना और उसे अब यथार्थ के धरातल पर उतरते हुए देखना। मैं विन्ध्यजनों की ओर से, रीवा के नागरिकों की ओर विनयवत हूँ, आभारी और कृतज्ञ हूँ।

    (लेखक- राजेन्द्र शुक्ल, मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं)

  • जन्मदिन विशेष : डिप्टी CM राजेंद्र शुक्ल का सादगी, प्रेम और सरलता से सम्पन्न असाधारण व्यक्तित्व

    Birthday Special Deputy CM Rajendra Shukla: मध्यप्रदेश के राजनीतिक क्षितिज में दैदीप्यमान वह प्रकाशपुंज हैं जो उज्जवल भविष्य, चहूँओर विकास को प्रदर्शित करता है। उनका नाम, विकास का भविष्योन्मुखी सोच का परिचायक है। उनकी दूरदर्शी सोच और उस सोच को धरातल में लाने की दृढ़ इच्छाशक्ति और जुझारू व्यक्तित्व उन्हंो विशेष बनाता है। जन-जन के विकास के लिए बिना-रुके, बिना- थके सतत प्रयासरत श्री शुक्ल की विनम्रता उनके व्यक्तित्व को असाधारण बनाती है। शिखर पर पहुँचने के बाद भी विनम्र बने रहना सबसे बड़ा गुण है।

    जहां तक राजेन्द्र शुक्ल जी का सवाल है, उन्हें विनम्रता का पर्याय कहना किसी भी तरह की अतिशयोक्ति नहीं होगी।निःस्वार्थ सेवा, अथक परिश्रम, गहन समर्पण, अटूट निष्ठा, जरूरतमंदों की सहायता के लिए सदा तत्परता और लक्ष्य की ओर निरंतर यात्रा ने उन्हें भीड़ में अलग पहचान दिलाई है। वे नवोन्मेषी विचारक हैं। उनके अंतरात्मा में विचारों की निरंतरता हमेशा गतिशील रहती है। उनके नवाचार की ऊष्मा हर पल नए और विशिष्ट विचारों का जन्म देती रहती है। चुनौतियों और लक्ष्यों से लड़ने की दृढ़ शक्ति उनमें निहित है। सौंपे गए दायित्वों को कुशलता से निभाने की क्षमता का आकलन कर विरोधी भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहते हैं। कैसी भी बाधाएँ समस्याएँ आ जायें, बिना समय व्यर्थ किए, बिना विचलित हुए वे सदैव समाधान के लिए प्रयास करते हैं। उनका मानना है कि “अगर आप समाधान का हिस्सा नहीं है, तो आप ख़ुद एक समस्या हैं।”

    वे मानते हैं कि “श्रमेण सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः” अर्थात श्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं, मात्र इच्छाओं से नहीं। लक्ष्य प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करना सोच से भी महत्वपूर्ण है। सतत प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ रश्मिरथी का यह उद्धरण प्रासंगिक है:

    “खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़,
    मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है…”

    राजेन्द्र शुक्ल जी का जीवन संघर्ष और सेवा का जीवंत उदाहरण है, जो हमें प्रेरणा देता है कि कैसे कठिनाईयों और संघर्षों के बीच भी एक व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और समाज के लिए आदर्श बन सकता है। श्री राजेन्द्र शुक्ल के व्यक्तित्व की उदारता, सहृदयता, संवेदनशीलता और सज्जनता के अद्भुत संयोजन में ऐसा व्यक्तित्व निर्मित हुआ है, जिसने सरल, सहज, उदार, स्नेही व्यक्तित्व की नई इबारत लिखी है। विशाल व्यक्तित्व के धनी का सशक्त पहलू व्यापक विचारधारा है। उनकी चिंतन क्षमता ने उनके व्यक्तित्व में व्यवहारिकता और अध्यात्मिकता का अनूठा संयोजन किया है। उनकी सफलताओं का आधार उनके करिश्माई व्यक्तित्व और अनूठी सोच है। विचारों की व्यापकता का रूचि-नीति में भी परिलक्षित होती है। उनका यहीं सेवा-भाव जरूरतमंद की मदद करने में दिखता है।

    श्री शुक्ल में सेवा-संकल्प का समर्पित भाव, चुनौतियों की जिद और जूनून के साथ सामना करने का जज्बा उनके व्यक्तित्व के ऐसे पहलू हैं, जिन्होंने राजनीति को सेवा नीति में बदल दिया है। एक योगी की तरह हर आम-खास की बात, समस्या सुनना, मनन करना और जरूरतमंदों की सेवाभाव से मदद करना उनकी प्राथमिकता में रहता है। उनका यह ऐसा गुण है, जिसमें आम “जन” के “मन” से उनका एक गहरा और आत्मीयता पूर्ण रिश्ता बन जाता है।

    श्री राजेन्द्र शुक्ल को कभी अपनी छवि निर्माण के लिए प्रयास नहीं करने पड़े। उनके कर्मठ व्यक्तित्व और सरल विनम्र स्वभाव ने उनकी छवि को इतना पुख्ता कर दिया है कि उसे धुंधला कर पाना संभव नहीं है। श्री शुक्ल के व्यक्तित्व का प्रभावी पहलू उनकी विशिष्ट संवाद क्षमता है। वे सीधे और सहज भाव से श्रोताओं के साथ सीधा सम्पर्क स्थापित कर उनकी समस्याओं का निदान करते हैं। सीधे संवाद की विशिष्ट क्षमता, विचारों की व्यापकता व्यवहार की सहजता, व्यक्तित्व की विशालता का अद्भुत संयोजन का ही नाम श्री राजेन्द्र शुक्ल हैं।

    राजेंद्र शुक्ल असाधारण व्यक्ति वाले आम आदमी

    श्री राजेन्द्र शुक्ल असाधारण व्यक्ति वाले आम आदमी है। वे दिखते साधारण है लेकिन उनका व्यक्तित्व असाधारण रूप से विशाल और प्रतिभा संपन्न हैं। मानवीय संवेदनाओं, अनुभूतियों से उदार गुणों से भरा दिल है जो हर पल पीड़ित मानवता की सेवा के लिए धड़कता है। वे कार्यों पर जितनी चौकस निगाह रखते हैं, उतनी उनको चिंता है कि दरवाजे पर आए गंभीर रोग से पीड़ित और हर दुखियारे की मदद कर उसका दुःख-दर्द दूर किया जाए।सहजता, सरलता, सौम्यता, शुचिता के साथ ही तत्परता और त्वरित गति से जन-समस्याओं का निराकरण; ये वे गुण होते हैं जो राजनीति के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को एक ऊँचे मुकाम तक पहुँचाते हैं। विन्ध्य की धरती पर जन्में श्री राजेन्द्र शुक्ल के जीवन और उनके व्यक्तित्व-कृतित्व में ऐसे ही गुणों का समावेश है, जो सार्वजनिक जीवन में और राजनीति में काम करने की विशेषताएँ होती है, राजनीति उनके लिए सेवा का भाव रही है।

    मानव-सेवा के लक्ष्य शिरोधार्य

    श्री शुक्ल ने पिता समाजसेवी स्व. श्री भैयालाल शुक्ल के गुणों और संस्कारों का अनुसरण करते हुए स्वयं को ढाला। धीर-गंभीर ऋषि-मुनि मानव सेवा के लक्ष्य में एक तपस्वी की तरह लीन रहना उनका लक्ष्य है। उनकी सेवा भावना की तपस्या को कभी किसी पद का लालच भंग करने का साहसी ही नहीं जुटा पाया है। मानव-सेवा के लक्ष्य को शिरोधार्य कर अनवरत प्रयासरत हैं।

    कर्मयोगी की साधना

    श्री राजेंद्र शुक्ल का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा रीवा, मध्यप्रदेश में हुई। रीवा में 3 अगस्त 1964 को जन्में श्री राजेन्द्र शुक्ल ने युवा अवस्था में ही राजनीति के प्रति अपनी रुचि बता दी थी, जब वे वर्ष 1986 में रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1992 में युवा सम्मेलन का आयोजन करने में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही। वे लायंस क्लब रीवा के लंबे समय से सदस्य रहे हैं। भाजपा मध्यप्रदेश की कार्य समिति के सदस्य और मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के डायरेक्टर भी रहे हैं। श्री शुक्ल ने वर्ष 1998 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाए गए। व्यवसाय कृषि, तैराकी के शौकीन पहली बार वर्ष 2003 में विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आवास एवं पर्यावरण रहे। उसके बाद उन्होंने निरंतर अपनी विजय को बरकरार रखा। योग्य, कुशल प्रबंधन और प्रशासनिक क्षमता के धनी श्री शुक्ल को जब भी जो जिम्मेदारी सौंपी गई, उन्होंने प्रबंधन कौशल का बेहतर प्रदर्शन कर उसे परिणाममूलक बनाया। अपने बेहतर प्रबंधन से राजनेताओं के सामने श्री शुक्ल ने अपनी पहचान को नए-नए आयाम दिए। विवादों से दूर रहकर बिना शोरगुल के काम करते रहने की नीति पर वे चले। राजनीति को राष्ट्र हित में रखते हुए वे राष्ट्रवादी चिंतन के साथ अपने कदम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। श्री शुक्ल को तीन कार्यकाल में मंत्रीमंडल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली। वे मंत्री पद की कसौटी पर भी सदैव खरे उतरे। नेतृत्व के प्रति निष्ठा और राज्य सरकार के लक्ष्यों और कार्यक्रमों को पूरा करने की प्रतिबद्धता श्री शुक्ल की विशेषता है। उनकी कर्मठता और लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्धता को शब्दों के रूप में पिरोने के लिए बशीर बद्र की यह ग़ज़ल प्रासंगिक है-

    जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है,
    आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा …”

    श्री शुक्ल वर्ष 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन, जैव विविधता तथा जैव प्रौद्योगिकी, खनिज साधन, विधि और विधायी कार्य और ऊर्जा मंत्री रहे। वर्ष 2009 में ऊर्जा एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार संभालने के पश्चात्, श्री शुक्ल ने गुजरात की ग्राम ज्योति योजना से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश में भी अटल ज्योति योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के माध्यम से प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति के लक्ष्य को हासिल किया गया। ऊर्जा मंत्री के रूप में बिजली संकट जूझते हुए मध्यप्रदेश को रोशन करने की उन्हें चुनौती मिली। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप उन्होंने प्रदेश को बिजली संकट से उबारा। आज मध्यप्रदेश सरप्लस बिजली राज्य के रूप में खड़ा है। वर्ष 2012 में उन्हें मंत्री ऊर्जा, खनिज साधन बनाया गया। वर्ष 2013 में चौदहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मंत्री, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, खनिज साधन, जनसम्पर्क, वाणिज्य, उद्योग और रोजगार, प्रवासी भारतीय विभाग का मंत्री बनाया गया। श्री शुक्ल ने जनसंपर्क मंत्री के रूप में भी एक अलग पहचान स्थापित की। पत्रकारों के हित में अनेक योजनाओं को अमली जामा पहनाया। श्री शुक्ल ने उद्योग तथा खनिज विभाग के दायित्व को बखूबी निभाया। वे प्रदेश में औद्योगिक क्रांति का संकल्प लेकर राज्य में उद्योगों का जाल बिछाने का पर कार्य किया। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना तथा राजस्व वृद्धि करने में सफलता पायी। वर्ष 2018 में चौथी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। श्री शुक्ल ने 26 अगस्त 2023 को कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ ग्रहण की। मंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जनसंपर्क विभाग रहे। वर्ष 2023 में पांचवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए और 13 दिसम्बर 2023 को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वर्तमान में प्रदेश के हर क्षेत्र हर नागरिक तक सुलभ और उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच स्थापित करने के लिए वे कार्यरत हैं।स्वास्थ्य क्षेत्र में अधोसंरचना विस्तार, चिकित्सकीय और सहायक चिकित्सकीय मैनपॉवर और उपकरणों की उपलब्धता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उनका लक्ष्य मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य के विभिन्न मानकों पर देश में शीर्ष पर ले जाना है। यह लक्ष्य बड़ा चुनौतीपूर्ण हैं पर कहते हैं न…
    “कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता,
    एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों”
    निःसंदेह कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था ज़िम्मेदार और कुशल हाथों में है। इसके सुखद परिणाम शीघ्र ही परिलक्षित होंगे।

    विंध्य क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए हर क्षेत्र में किए प्रयास

    रात-दिन विन्ध्य के विकास का सपना देखने वाले श्री राजेन्द्र शुक्ल ने अपनी जन्म-भूमि विन्ध्य के विकास के प्रति अपने दायित्व को बखूबी निभाया। उन्होंने विन्ध्य क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा पर्यटन विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है। अपने क्षेत्र के विकास के लिए उनके ड्रीम प्रोजेक्ट्स मुकुन्दपुर व्हाईट टाईगर सफारी, चाकघाट से इलाहाबाद और हनुमना से बनारस फोर-लेन का निर्माण, हवाई पट्टी अथवा गुढ़ में विश्व का सबसे बड़े 750 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना हो। श्री शुक्ल ने रीवा के चौतरफा विकास में विशेष रुचि ली है। इसी के चलते रीवा विकास शहर के रूप में उभरा है। रीवा सहित पूरे विन्ध्य को यातायात और संचार के साधन मिलने के लिए उन्होंने कायाकल्प करने का संकल्प लिया है। रीवा बायपास न होने से यातायात अव्यवस्था से दुर्घटनाएँ होती थीं। चोरहटा से रतहरा बायपास बनवाकर रीवा में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया। श्री शुक्ल ने अपने समाजसेवी पिता स्व. श्री भैयालाल शुक्ल की प्रेरणा से रीवा में स्थित लक्ष्मण बाग गौ-शाला को आदर्श गौशाला बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी तमाम व्यस्तता के बाद भी श्री शुक्ल लक्ष्मण बाग गौ-शाला में जाकर गायों की सेवा कर अपने पिता स्व. श्री भैयालाल शुक्ल जी को सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित करते हैं।

    उनके नेतृत्व और प्रयासों से रीवा और विन्ध्य क्षेत्र को नई पहचान मिली है और वे निरंतर अपने क्षेत्र के विकास के लिए कार्यरत हैं। नवकरणीय ऊर्जा मंत्री रहते हुए, उन्होंने रीवा में एशिया के सबसे बड़े सोलर प्लांट की स्थापना की और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पित किया। श्री शुक्ल ने व्हाइट टाइगर को विन्ध्य क्षेत्र के मुकुन्दपुर वन क्षेत्र में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह क्षेत्र 46 वर्षों से व्हाइट टाइगर से वंचित था, जो कि विन्ध्य क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण राजनैतिक और भावनात्मक मुद्दा रहा है। वर्ष 2014 में स्थापित इस जू में आज भी हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है।

    श्री शुक्ल रीवा सहित विंध्य क्षेत्र के विकास के कार्यों में सदैव सक्रिय रहे हैं। रीवा में एयरपोर्ट सुविधा के लिए उनके प्रयास फलीभूत हुए और विध्य की देश के अन्य हिस्सों से कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। वे संभागीय मुख्यालय को महानगर बनाने की दिशा में भी सक्रिय हैं। उनके मंत्रिमंडल कार्यकालों के दौरान, वाणसागर के पानी से रीवा और विंध्य क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा में सतत वृद्धि हुई है। श्री शुक्ल के प्रयासों से रीवा में तालाबों और जल संरचनाओं का सौंदर्यीकरण और पुनरुद्धार हुआ है। उन्होंने सड़क, पुल, रिंग रोड, मठ, मंदिर, तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार भी करवाया है। उन्होंने खाली पड़ी एवं अनुपयोगी जमीनों में पार्क और बागों का निर्माण करवाया है। रीवा विधानसभा के 41 गांवो को डी.पी.आई.पी. से जोड़कर करीब 42 स्वसहायता समूह के माध्यम से 41 गांवो में मछली पालन, सब्जी उत्पादन, दुग्ध डेयरी सहित अन्य रोजगार हेतु करीब 20 करोड़ से अधिक की राशि ग्रामीणों को उपलब्ध कराई गयी। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में तेज गति से विकास हुआ।
    पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी विशेष अभिरुचि रही है।

    जगह-जगह वृक्षारोपण और ईको-पार्क, नगर वन तथा एपीएस वन का निर्माण करवाया है। युवाओं के खेलकूद के लिए उन्होंने विश्व स्तरीय मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया। बीहर नदी में रिवर फ्रंट का निर्माण भी उनके प्रयासों का परिणाम है। श्री शुक्ल के प्रयासों से संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। माखनलाल विश्वविद्यालय के रीवा परिसर की स्वीकृति, भवन निर्माण एवं संचालन के कार्य को मूर्तरूप देने का कार्य किया। रीवा विधानसभा में करीब 50 से अधिक विद्यालय भवन विहीन थे विद्यालय पेड़ो के नीचे संचालित थे। अभियान चला कर भवन निर्माण करवाया। 50 वर्ष से उन्नयन की बाट जोह रहे 5वीं से 8वीं करीब 25 विद्यालयों का उन्न्यन कराया गया। शिक्षा और संस्कृति के प्रति यह उनका समर्पण प्रदर्शित करता है। श्री राजेंद्र शुक्ल गौ-सेवा के कार्यों के लिए सदैव प्रयासरत रहे हैं। उनके द्वारा गौ-सेवा में जनमानस की सहभागिता एवं प्रयासों को आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने की दिशा में प्रयास किए गये हैं। बसामन मामा गौ-अभयारण्य गायों की देखभाल और संरक्षण के उत्कृष्ट प्रयासों का मूर्त मॉडल है।

    श्री शुक्ल स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता के महत्व को जानते हैं और सदैव इस दिशा में प्रयास करते रहे हैं। श्री शुक्ल के नेतृत्व में स्वच्छ रीवा-स्वस्थ रीवा मिशन के तहत नगर पालिक निगम रीवा में करीब 20 से अधिक सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया है, साथ ही अभियान चलाकर नगर नगर पालिक निगम रीवा के अन्तर्गत जितने भी शुष्क शौचालय थे उनके स्थान पर जलरहित शौचालय निर्माण आन्दोलन चलाया गया था। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए उन्होंने ज़िला चिकित्सालय का उन्नयन, सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण और चिकित्सकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किये हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए वे सतत प्रयास कर रहे हैं, ताकि हर क्षेत्र के नागरिकों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभता से प्राप्त हो सकें।और अंत में श्री शुक्ल की सोच और संकल्प को रेखांकित करती हुई दो पंक्तियाँ –

    भीड़ में भीड़ बनकर रहे तो क्या रहे
    भीड़ में अपनी निजी पहचान होनी चाहिए।

    लेखक ताहिर अली सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक जनसम्पर्क अधिकारी रह चुके है। 

  • Rewa News :रेलवे लाइन के लिए 15 मई तक भू-अर्जन अनिवार्य रूप से पूरा करें , उप मुख्यमंत्री ने की रेल परियोजनाओं की समीक्षा

    Rewa News : कमिश्नर कार्यालय सभागार रीवा में शनिवार को आयोजित बैठक में उप मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन निर्माण की समीक्षा की। उप मुख्यमंत्री ने कहा यह रेलवे लाइन विन्ध्य के विकास की जीवन रेखा है। विन्ध्य नैसर्गिक संसाधनों से भरपूर है। ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के निर्माण, रीवा एयरपोर्ट के निर्माण तथा विन्ध्य में नर्मदा नदी का पानी पहुंचने से पूरे क्षेत्र के विकास को पंख लग जाएंगे। इस क्षेत्र में इतना तेजी से विकास होगा कि कोई क्षेत्र इसकी बराबरी नहीं कर पाएगा।

    सतना टाइम्स डॉट इन

    कलेक्टर सीधी और सिंगरौली रेलवे लाइन के लिए आवश्यक जमीनों का 15 मई तक अनिवार्य रूप से भू अर्जन करें। भू अर्जन के संबंध में राजस्व अधिकारी तथा रेलवे के अधिकारी संयुक्त रूप से सर्वे करके भू स्वामियों की आपत्तियों का निराकरण करें। शासन के मापदण्डों के अनुसार जो व्यक्ति पात्र हैं उन्हें मुआवजा राशि का तत्काल भुगतान करें।उप मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे लाइन के निर्माण में देरी के कारण सभी को नुकसान हो रहा है। परियोजना की लागत लगातार बढ़ रही है। रेलवे लाइन का निर्माण समय पर पूरा हो जाता तो इस पूरे क्षेत्र में उद्योग, पर्यटन, चिकित्सा तथा सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास होता। भू अर्जन की कार्यवाही पूरा होने तक रेलवे के अधिकारी निर्माण कार्यों के टेण्डर की कार्यवाही पूरी कर लें।

    रेलवे लाइन में बनने वाली टनल, बड़ी पुल, रेलवे स्टेशन तथा अन्य बड़े निर्माण कार्यों के टेण्डर की कार्यवाही तीन माह में पूरा कर लें जिससे जमीन का अधिग्रहण होते ही निर्माण कार्य  तेजी से शुरू हो जाए। भू अर्जन में किसी भी तरह की बाधा आने पर संबंधित जिले के कलेक्टर को सूचना दें। यदि कोई भी व्यक्ति अवैध तरीके से निर्माण कार्यों में बाधा पहुंचाने का प्रयास करता है तो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें।बैठक में रीवा संभाग के कमिश्नर गोपालचन्द्र डाड ने कहा कि रेलवे के अधिकारी गोविंदगढ़ से सीधी तक का निर्माण कार्य तेजी से कराएं।

    कलेक्टर सिंगरौली चार गांव के छूटे हुए किसानों के भू अर्जन की कार्यवाही 31 मार्च तक पूरी कर दें। कलेक्टर सिंगरौली धारा 11 की कार्यवाही की तिथि को आधार मानते हुए रेलवे के अधिकारियों के साथ मिलकर शेष 6 गांवों में जमीनों का सत्यापन करा लें। इन गांवों में 15 मई तक भू अर्जन की कार्यवाही अनिवार्य रूप से पूरी कर लें। बैठक में कलेक्टर सीधी साकेत मालवीय ने बताया कि जिले में रेलवे के लिए कुल 258 हेक्टेयर जमीन का भू अर्जन किया जाना है। इनमें से केवल 24 हेक्टेयर का भू अर्जन शेष है। इसे मई माह तक पूरा कर लिया जाएगा। कलेक्टर सिंगरौली ने बैठक में वीडियो कान्फ्रेंसिंग से शामिल होकर बताया कि भू अर्जन की जाने वाली जमीनों में धारा 11 की स्थिति में जो परिसम्पत्तियां हैं उनका मुआवजा देते हुए भू अर्जन के प्रकरण तैयार किए जा रहे हैं। भू अर्जन की कार्यवाही 15 मई तक पूरी हो जाएगी।

    बैठक में रेलवे के मुख्य अभियंता जीएस मीणा ने कहा कि ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के निर्माण के लिए प्रशासन पूरा सहयोग कर रहा है। सतना और रीवा जिले में निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। सीधी जिले में निर्माण कार्य तेजी से जारी है। पन्ना से सतना के बीच भी निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस परियोजना का कार्य वर्ष 2026-27 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भू अर्जन अधिकारी द्वारा जिन व्यक्तियों को पात्र माना जाएगा उन सभी को निर्धारित मुआवजा राशि प्रदान की जा रही है। बड़े निर्माण कार्यों के टेण्डर की कार्यवाही अगस्त माह तक पूरी कर ली जाएगी। परियोजना में 15 सितम्बर से पूरी तेजी के साथ कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। बैठक में नगर निगम के अध्यक्ष श्री व्यंकटेश पाण्डेय, कलेक्टर रीवा श्रीमती प्रतिभा पाल, कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा, सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक तथा रेलवे के अधिकारी आरके स्वाई, सुनील कुमार, जोन सिंह मीणा उपस्थित रहे।

  • सतना पहुंचे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला का भाजपा नेता शुभम तिवारी ने सैकड़ो युवाओ के साथ किया जोरदार स्वागत

    सतना।। आज सतना पधारे मध्य प्रदेश शासन के नव नियुक्त उपमुख्यमंत्री, विंध्य के विकास पुरुष, माननीय श्री राजेंद्र शुक्ला जी का बायपास तिराहा भाजपा नेता श्री शुभम तिवारी जी ने अपने सैकड़ों साथियों के साथ भव्य स्वागत किया।

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    कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष मान.श्री सतीश शर्मा जी,प्रदेश सह- संयोजक श्री पारसनाथ तिवारी जी,जितेंद्र शुक्ला जी,नारेन्द्र परौहा जी,शिवांश सिंह बघेल,अंकित गुप्ता,अमित सिंह ,अजय वाधवानी ,चंद्रेश सिंह, अविनाश चौधरी, रूपेश सिंह, ऋषभ त्रिपाठी, दर्श सिंह तिवारी,रुद्र त्रिपाठी,अभिमन्यु सिंह,

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    सागर सिंह,संदीप वर्मा, अनुपम वर्मा, दिव्यम सिंह तिवारी, वीरेश पांडेय, विक्रांत सिंह,हिमांशु सिंह, सुशांत सक्सेना, बृजेश तिवारी, संजीव तिवारी, शदाब ख़ान,

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    मो शाहबाज़,शशांक तिवारी,राकेश नाथानी,शशांक हलवा, प्रबल गौतम,शुभम गर्ग,राहुल शुक्ला,राहुल छाबरिया,आलोक पंडित,पंकज मिश्रा, पिंटू गर्ग,दुर्गेश जैसवाल,जिगर सिंह, छोटू सिंह, अनी सिंह,अजय तिवारी, कुमार संत,देवकांत शुक्ला, प्रवीण तिवारी, ऋषभ शुक्ला,शिवांश तिवारी, समीर द्विवेदी,सचिन सेन,साहिल सिंह, दिनेश वर्मा, राजीव आर्या,रामभुमन सतनामी, कांशू पटेल, शक्ति सिंह, विकास साकेत, प्रिंशु सिंह अन्य सैकड़ों की संख्या शहरवासी उपस्थित रहे ।

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