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  • झारखंड : लाखों के इनामी नक्सली बच्चन दा ने किया आत्मसमर्पण 

    झारखंड : झारखंड पुलिस के हाथों बड़ी कामयाबी लगी है, यहां नक्सली रामदयाल महतो उर्फ बच्चन दा जिसपर 10 लाख रुपए का ईनाम था उसने आत्मसमर्पण कर दिया है. दरअसल रामदयाल महतो कुछ दिनों से बीमार चल रहा था ऐसे में गिरिडीह पुलिस की पहल के तहत उसने आत्म समर्पण करना स्वीकार कर लिया है.

    बच्चन दा उर्फ नक्सली रामदयाल महतो झारखंड के गिरिडीह जिले का रहने वाला है. विगत दिनों पहले ही बच्चन दा के करीबियों और रिश्तेदारों से एसपी दीपक शर्मा ने संपर्क किया था. उन्होने ने उनलोगो से कहा की नक्सलवाद की राह पर चल रहे अपने लोगों को मुख्यधारा से जुड़ने के लिए कहें. एसपी दीपक शर्मा की यह पहला कामयाब हुई और नक्सली रामदयाल महतों उर्फ बच्चन दा पुलिस के आगे आत्म समर्पण करने को मान गया.

    बता दे आसपास के इलाकों पर बच्चन दा के नाम की जोरदार दहशत थी, ऐसे में नक्सली के आत्म समर्पण से आस–पास के लोगों राहत की सांस और पुलिस को बड़ी सफलता मिली है.

  • MP में कांग्रेस को एक और झटका, 6 बार के विधायक रामनिवास रावत बीजेपी में शामिल होंगे.

    लोकसभा चुनावों के बीच कांग्रेस को लगातार एक के बाद एक लग रहे झटकों के बीच अब मध्य प्रदेश की राजनीति में अपना एक अलग मुकाम रखने वाले श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत अंततः पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे. उनके भाजपा में स्वागत के लिए पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है और वह पूरे साजो सम्मान के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अगुआई में भाजपा में शामिल हो जाएंगे.

    Ramniwas ravat mla
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    रामनिवास रावत विजयपुर सीट से 6 बार के विधायक हैं तो वहीं पूर्व में कांग्रेस से ही सांसदी का चुनाव भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के सामने लड़ चुके हैं. प्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा बनाने वाले रामनिवास ओबीसी नेता के रूप में बड़ा चेहरा हैं और वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी नाराजगी का मुख्य कारण कांग्रेस आलाकमान द्वारा  अनदेखी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ना बनाया जाना भी माना जा रहा है.

    रामनिवास रावत के भाजपा में जाने की खबरों ने विजयपुर से लेकर श्योपुर तक के भाजपा और कांग्रेस नेताओं में खलबली मचा दी है, क्योंकि उनके जाने के बाद लोकसभा चुनाव में नए समीकरणों का बनना तय माना जा रहा है.

    बहराहल, चुनावी मौसम में नेताओं के दलबदल का सिलसिला अभी बदस्तूर जारी बना हुआ है. बीते दिन ही इंदौर कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी के लिए मैदान खुला छोड़ दिया. अब मुरैना-श्योपुर लोकसभा में भी कांग्रेस के कद्दावर नेता और विजयपुर विधायक रामनिवास रावत भाजपा में आने वाले हैं.

    सूत्रों की मानें तो प्रदेश भाजपा कार्यालय से एक फरमान जिला संगठन को भी मिल गया है. श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा के मंडी प्रांगण में होने वाली सभा में रामनिवास भाजपा में शामिल हो जाएंगे. विधायक रावत मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ ही हेलीकॉप्टर से विजयपुर पहुंचेंगे. इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर मौजूद रहेंगे.

    एक महीने से लिखी जा रही थी पटकथा 

    विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की बातें तो बीते एक महीने से आग की तरह फैल रही है लेकिन उनके जाने की स्क्रिप्ट फाइनल एंडिंग तक नहीं पहुंच सकी. लेकिन अब लगभग यह पूरी पटकथा लिखी जा चुकी हैं. रामनिवास रावत की नाराजगी का एक बड़ा कारण इस सीट से नीटू सिकरवार को लोकसभा टिकट देना भी है क्योंकि वे कांग्रेस से स्वयं सांसदी का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें पार्टी ने अनदेखा कर दिया. इसके साथ ही कांग्रेस हाईकमान ने भी उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वे पूरी तरह कांग्रेस से मोह भंग कर चुके थे और आखिरकार मंगलवार को रावत भाजपा के बेड़े में शामिल हो जाएंगे.

  • विन्ध्य के सियासी बियाबान में कांग्रेस की पतझड़ और ‘राहुल भैया’ की उलझन!

    मध्यप्रदेश के दो दिग्गज कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने-अपने क्षेत्रों में उलझे हैं। तीसरे अजय सिंह राहुल चुनाव तो नहीं लड़ रहे पर उनकी पेशानी में गहरी उलझन साफ देख सकते हैं।

    विन्ध्य में कांग्रेस के खानदानी घरानों में सिर्फ वही एकमात्र चश्मो-चिराग बचे हैं। अबतक चुरहट के अलावा सभी कांग्रेसी घराने ध्वस्त हो चुके हैं और सबके कुलदीपक अब भाजपाई हैं।

    विन्ध्य के सियासी बियाबान मेंकांग्रेस की पतझड़ और
'राहुल भैया' की उलझन!
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    अजय सिंह राहुल की उलझन का सबब सीधी और सतना के लोकसभा उम्मीदवार तो हैं ही कांग्रेस के बूढ़े दरख़्त में मची पतझड़ भी है, जो हरे भरे विन्ध्य की राजनीति को बियाबान में बदल रही है।

    लगभग तीन चौथाई छोटे, मझोले, बड़े नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं और यह सिलसिला अभी थमा नहीं..।

    कांग्रेस से टूटकर भाजपा के पाले में गिरने वाले ज्यादातर वे हैं जिन्हें अजय सिंह राहुल का समर्थक माना जाता है। अजय सिंह चुप हैं, वे इस मसले पर ज्यादा खुलकर बोल भी नहीं रहे।

    सबसे बड़ा दलबदल सतना में हुआ जिसे ‘राहुल भैया’ का सबसे प्रभावी क्षेत्र माना जाता रहा है। लोकसभा के 2009 के कांग्रेस प्रत्याशी सुधीर सिंह तोमर और प्रवक्ता अतुल सिंह समेत सैकड़ों तो गए ही अजय सिंह राहुल के लेफ्टिनेंट समझे जाने वाले नागौद के पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह ने सपरिवार और समर्थकों की भीड़ के साथ भाजपा की सदस्यता स्वीकार की।

    ये वही यादवेन्द्र सिंह हैं जिन्हें 2023 के चुनाव में टिकट वितरण के समय चैनलों पर आपने रोते हुए देखा होगा।

    दबंग छवि के यादवेन्द्र 2014 के विधानसभा चुनाव में ‘बाघ की मांद’ से नागौद की सीट छीन कर लाए थे। हां बाघ की मांद, यह नागौद के राजसी खानदान की सीट है नागौद के बिटलू महाराज नागेन्द्र सिंह जैसे कद्दावर का वर्चस्व है।

    तब यादवेन्द्र ने सिर्फ एक ही सवाल किया था – टिकट काट दी, मेरा गुनाह क्या था? टिकट में अजय सिंह राहुल का जोर नहीं चला। यहां सोनकच्छ के नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कमलनाथ से कहकर डा.रश्मिपटेल को टिकट दिलवा दी थी।

    यादवेन्द्र सिंह बसपा से चुनाव लड़ें और रश्मि को जीतने नहीं दिया। वे अब खुले मन से भाजपा में हैं।

    अजय सिंह राहुल भले ही मीडिया में दिग्गज दिख रहे हों, पर वास्तव में उनसे ज्यादा बेबस और लाचार कोई नहीं ।

    कांग्रेस से भाजपा गए एक नेता से मैंने पूछा- क्या राहुल भैय्या ने नहीं रोका? उसने प्रतिप्रश्न किया कि डंके की चोट पर राहुल भैय्या को गाली देने वाले, कार्यक्रमों में अपमानित करने वाले सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू को कांग्रेस की लोकसभा टिकट देते वक्त क्या कांग्रेस नेतृत्व ने राहुल भैय्या से पूछा था?

    इन दिनों कांग्रेस की राजनीति यहां सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू से शुरू होकर वहीं खत्म होती है। विधानसभा की टिकट डब्बू को, मेयर की टिकट डब्बू को और अब लोकसभा की टिकट भी डब्बू को। कांग्रेस में पिछले पांच साल से सिर्फ डब्बू का डब्बा बज रहा है।

    ये सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू और कोई नहीं परिस्थितिवश उत्पन्न हुए उन्हीं सुखलाल कुशवाहा के बेटे हैं जिन्होंने सतना से कांग्रेस की संभावनाओं पर ताला जड़ दिया था, वे बसपा के नेता थे।

    इतिहास को पलटें तो सुखलाल कुशवाहा का चेहरा 1996 के लोकसभा की सतना समर भूमि में एक गेम चेंजर की तरह उभरता है। इस चुनाव में अर्जुन सिंह तिवारी कांग्रेस से, तोषण सिंह कांग्रेस से और वीरेंद्र कुमार सखलेचा भाजपा से मैदान पर थे।

    सुखलाल कुशवाहा ने दो दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्रियों को हराकर देशभर में सुर्खियां बटोरीं।

    1991 में अर्जुन सिंह की यहां से लोकसभा सदस्य बने इसके बाद से कांग्रेस का खाता नहीं खुला।

    कभी सतना सीट अर्जुन सिंह के लिए ऐसी थी कि यहां से उन्होंने यहां के लिए अनजान भोपाली अजीज कुरैशी को लड़ाया जो नामांकन भरने और जीत का सर्टीफिकेट लेने आए थे।

    रीवा की एक चुनावी जनसभा में कभी अर्जुन सिंह ने कहा था- रीवा मेरा प्रिय है और यहां से लड़ने की साध भी रही पर यहां अन्नदाता (महाराज मार्तण्ड सिंह) हैं, तिवारी जी भी(श्रीनिवास तिवारी)यहीं से राजनीति करते सो इसलिए संसदीय राजनीति के लिए मैंने सतना चुना।

    अर्जुन सिंह ने रीवा और सीधी के मुकाबले सतना को ज्यादा वरीयता दी और समर्पित कार्यकर्ताओं का कुनबा खड़ा किया। 2014 के लोकसभा चुनाव में अगर मैहर के कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी रातोंरात पलटी न मारते तो अजय सिंह राहुल यहां से सांसद होते। मोदी लहर में भी वो बमुश्किल 10 हजार वोट से हारे।

    अजय सिंह राहुल की उलझन अब यह कि सतना के उनके ज्यादातर कार्यकर्ता भाजपा में जा मिले हैं। सिद्धार्थ कुशवाहा राहुल को अपना नेता मानते नहीं, तो ऐसे में करें तो करें क्या?

    और पिछले लोकसभा का स्मरण करें तो राहुल समर्थकों ने कांग्रेसी सिद्धार्थ कुशवाहा पर पार्टी के खिलाफ गणेश सिंह को मदद देने का आरोप लगाया था, मैदान पर अजय सिंह समर्थक राजाराम त्रिपाठी मैदान पर थे।

    विन्ध्य के दिग्गज अजय सिंह राहुल की सीधी लोकसभा को लेकर उलझन और भी पेचीदा है। सीधी उनका गृह जिला है जहां से वे एक मात्र विधायक हैं।

    सीडब्ल्यूसी सदस्य और कमलनाथ सरकार के सबसे प्रभावी मंत्रियों में शुमार रहे कमलेश्वर पटेल यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

    सीधी में चुरहट का सिक्का 70 के दशक से ही रहा। 72 के चुनाव में उनके ताऊ रणबहादुर सिंह निर्दलीय चुनकर लोकसभा पहुंचे। बीच की कुछ जीत-हार छोड़ दें तो अर्जुन सिंह के अनुयाई मोतीलाल सिंह, माणिक सिंह जैसे नेता यहां से चुनकर जाते रहे हैं।

    कमाल तो 1996 में हुआ जब तिलकराज सिंह तिवारी कांग्रेस से जीत कर देशभर में सनसनी फैला दी जबकि उनके नेता अर्जुन सिंह यही चुनाव सतना से गंवा चुके थे।

    चुरहट विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2019 में अजय सिंह राहुल यहां से लोकसभा उम्मीदवार बने। उल्लेखनीय यह कि यहां से वे 2 लाख से ज्यादा मतों हारे। सतना लोकसभा 2014, चुरहट विधानसभा 2018, सीधी लोकसभा 2019 हार की हैट्रिक के बाद अजय सिंह राहुल के पांच साल पार्टी के भीतर सिर्फ़ उपेक्षा और अपमान के रहे।

    कमलनाथ ने राहुल के समानांतर सीधी से कमलेश्वर पटेल और सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा को न सिर्फ बढ़ाना शुरू किया अपितु समय-कुसमय अजय सिंह राहुल को ठिकाने लगाने की कोशिश भी की।

    स्मरण के लिए कमलनाथ का वो चर्चित बयान- विन्ध्य ने बंटाधार न किया होता तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कभी न गिरती। यह संकेत अजय सिंह राहुल के लिए था, राहुल इससे आहत भी हुए।

    अब इस लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के दोनों पट्ठे कमलेश्वर व डब्बू जीतते हैं तो यह विन्ध्य की राजनीति का अब तक का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट होगा।

    और फिर कांग्रेस के आखिरी घराने चोरहट और उसके चश्मो-चिराग का क्या होगा जब यह अनुमान ठेले पर गुटखा फांकने वाला वोटर बयान कर सकता है तो अजय सिंह राहुल और उनके समर्थकों को राजनीति के समुंदर में तैरने का अनुभव है।

    और अंत में
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    बघेली में कहनूत है- ‘सत्तर पूत बहत्तर नाती, ओके घर मां दिया न बाती’। ये वही विन्ध्य है जो कांग्रेस की हर विपरीत परिस्थिति पर सीना तानकर खड़ा रहता था और आज हाल यह। कभी भाजपा को उम्मीदवार हेरे नहीं मिलते थे। अब स्थितियां उलट है.. रात को सोया कांग्रेसी कल सुबह भाजपा का भगवा दुपट्टा पहनकर निकल पड़े, कौन जान सकता है..चिरहुला वाले पंड्डिज्जी भी नहीं।
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    लेखक – जयराम शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार

     

  • कांग्रेस के राणा सुजीत सिंह पटना साहिब से ठोकेंगे ताल , BJP के रविशंकर को देंगे टक्कर

    Loksabha Election 2024 :आगामी लोकसभा चुनावों में अब बस चंद दिन गिनती के बचे हुए हैं, अभी बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबन्धन में फाइनल समझौता आज हुआ है। इस समझौते के अंतर्गत पटना साहिब सीट कांग्रेस के हिस्से आई है। कांग्रेस पार्टी यहां से अपने कद्दावर युवा नेता राणा सुजीत सिंह को चुनावी मैदान में उतार रही है। राणा सुजीत सिंह कांग्रेस पार्टी के एक तेज तर्रार युवा नेता हैं, इन्होंने राजनीति के साथ साथ फ़िल्म मेकिंग में भी बतौर निर्माता हाथ आजमाया हुआ है।

    Satna times

    कांग्रेस की तरफ से अपनी उम्मीदवारी को लेकर बोलते हुए राणा सुजीत सिंह कहते हैं कि पार्टी उन्हें जहां से भी उम्मीदवार बनाये वो वहीं से जीतकर लोकसभा में पहुंचेंगे। इसबार राहुल गाँधी के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबन्धन को हराकर हम बहुत बड़े बहुमत से सरकार बनाने जा रहे हैं। पटना साहिब की जनता हमें इसबार चुनकर लोकसभा में भेजेगी, क्योंकि भाजपा के नेता लोग यहां से चुनकर जाने के बाद दुबारा से कभी क्षेत्र में भ्रमण करने भी नहीं आते, और जब आप अपने क्षेत्र के जनता की इस तरह से उपेक्षा करेंगे तो लोग क्यों आपको वोट देंगे ? राणा सुजीत सिंह कहते हैं कि इसबार पटना साहिब की जनता ने बदलाव को लेकर दृढ़संकल्प ले लिया है और बदलाव होकर रहेगा।

    बिहार की जनता आगामी लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर इंडिया गठबन्धन के उम्मीदवारों को विजयश्री दिलाने का संकल्प ले चुकी है और हम इसबार केंद्र में भी श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहे हैं । भाजपा सरकार ने जमकर जनता का खून चूसा है और महंगाई , बेरोजगारी से पूरे देश की जनता और युवा परेशान हैं। किसी भी युवा के पास रोजगार के अवसर नहीं हैं और ना ही सरकार इनकी कोई मंदद कर रही है ऐसे में हम इनको उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हैं ।

     

  • रविवार को MP दौरे पर गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा का रण जीतने बनेगी रणनीति..

    MP News : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कल 25 फरवरी को मध्य प्रदेश के दौरे पर आने वाले हैं, अपन इक दिवसीय प्रवास के दौरान वे भोपाल, ग्वालियर और खजुराहो के कार्यक्रमों में शामिल होंगे, भाजपा संगठन अमित शाह के कार्यक्रम की तैयारियों में जुटा हुआ है उधर शासन ने भी गृह मंत्री की अगवानी के लिए मिनिस्टर इन वेटिंग नियुक्त कर दिए हैं।

    ग्वालियर चंबल की चारों लोकसभा सीटों को जीतने करेंगे मंथन 

    लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं, वे ग्वालियर में लोकसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर चर्चा करेंगे  यहाँ वे ग्वालियर चंबल संभाग की चार लोकसभा सीटों के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे, बैठक में हर लोकसभा से सीट से करीब 80-80 प्रमुख कार्यकर्ता शामिल होंगे ये बैठक सुबह 11 बजे होटल आदित्यज में होगी , ग्वालियर में गृह मंत्री की अगवानी प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर पर रहेगी, बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, शामिल होंगे।

     

    करीब 350 नेताओं के शामिल होने की उम्मीद

    ग्वालियर में अमित शाह ग्वालियर, भिंड, मुरैना और गुना लोकसभा सीटों पर जीत की रणनीति बनायेंगे , बैठक में सभी लोकसभा सीटों के सांसद (चारों भाजपा के हैं), विधायक, प्रदेश पदाधिकारी , लोकसभा विधानसभा प्रभारी , सह प्रभारी सहित कुल 350 नेताओं और कार्यकर्ताओं के शामिल होने की उम्मीद है , बैठक की तैयारियों को लेकर क्लस्टर प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह ग्वालियर में कल नेताओं से चर्चा कर चुके हैं।

    राजधानी में प्रबुद्धजन सम्मेलन को संबोधित करेंगे

    ग्वालियर के बाद अमित शाह खजुराहो जायेंगे, वहां  लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके उनका स्वागत करेंगी, गृह मंत्री शाम 6 बजे राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में प्रबुद्धजन सम्मेलन को संबोधित करेंगे, भोपाल एयरपोर्ट पर अमित शाह की अगवानी का जिम्मा खेल एवं सहकारिता मंत्री विश्वास को सौंपा गया है, सम्मेलन में केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा के विजन पर चर्चा करेंगे , सम्मेलन के लिए डॉक्टर्स, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, उद्योगपति, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक नेता सहित अन्य विभिन वर्गों के प्रबुद्धजनों को आमंत्रित किया गया है।

  • आपकी बात, कांग्रेस के नेता लगातार भाजपा में क्यों शामिल हो रहे हैं?

    आपकी बात, कांग्रेस के नेता लगातार भाजपा में क्यों शामिल हो रहे हैं?

    आपकी बात, कांग्रेस के नेता लगातार भाजपा में क्यों शामिल हो रहे हैं?

    कांग्रेस से बना रहे दूरी

    वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस के अनेक नेताओं को लगने लगा है कि इस दल का कोई भविष्य नहीं है। राजनीति में प्रभाव कायम रखने के लिए कांग्रेस के नेता लगातार भाजपा में शामिल हो रहे हैं। स्वाभिमान आहत होने की वजह से भी कुछ नेता दलबदल रहे हैं।

     

    -नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र. 

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    स्वार्थी हैं नेता 

    ज्यादातर नेता स्वार्थी होते है। जिस दल में स्वार्थ सिद्ध होता है, उसी में शामिल हो जाते हैं। नेताओं को केवल सत्ता की चाशनी दिखाई देती है। आज कल यह प्रवृत्ति कुछ ज्यादा ही बढ़ रही है।

    -निशा बाकोलिया, चूरू 

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    सत्ता ही लक्ष्य 

    राजनेताओं में दलीय निष्ठा की बजाय सत्ता सुख भोगने की चाह होती है। इसीलिए सालों तक दूसरे दल को कोसकर सत्ता पाने वाले नेता सत्ता में बने रहने के लिए उसी दल में शामिल हो जाते है जिससे वे सालों तक लड़ाई लड़ते हैं। -शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर

    ………….. 

    विचारधारा के अनुकूल 

    कांग्रेस के पुराने अनुभवी हिन्दू नेताओं को भाजपा की विचारधारा अनुकूल लग रही है। ऐसे हालात में भाजपा में शामिल होना स्वाभाविक है। यह सिलसिला कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व परिवर्तन बिना रुकने वाला भी नहीं है।

    मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़ 

    …………. 

    दलबदल नई बात नहीं 

    राजनीति में कोई किसी का नहीं होता। आज इसके साथ तो कल उसके साथ। नेता कांग्रेस छोड़कर किसी अन्य पार्टी मे जा रहे हैं, यह कोई आज का मुद्दा नहीं है। नेता उगते सूरज को सलाम करते हंै। अपने लाभ के लिए दलबदल की राजनीति नई बात नहीं है। अशोक कुमार शर्मा, जयपुर

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    कार्रवाई से बचना है लक्ष्य 

    जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बचने और भविष्य सुरक्षित करने के लिए कांग्रेस नेता भाजपा में जा रहे हैं। दिशाहीन नेतृत्व एवं पार्टी में स्वयं की अवहेलना भी कारण हैं।

    डा.ॅ कमल थधानी, कोटा 

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    टिकट सुनिश्चित करने के लिए जैसे- जैसे लोकसभा चुनाव निकट आ रहे हैं, कांग्रेस के नेता तेजी से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। दलबदल कर भाजपा में जाने के पीछे कांग्रेस नेताओं का यह डर है कि पार्टी से टिकट मिलेगा या नहीं मिला। कांग्रेस से टिकट मिल भी गया तो वे क्या जीत जाएंगे? जांच एजेंसियों का डर भी एक कारण है।

    -हरिप्रसाद चौरसिया, देवास ,मध्यप्रदेश 

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    सत्ता सुख की खातिर 

    कांग्रेस के नेता लगातार भाजपा में इसलिए शामिल हो रहे हैं क्योंकि उन्हें येन केन प्रकारेण सत्ता का सुख चाहिए। जो नेता अपनी मूल पार्टी के प्रति समर्पित नहीं रह सकता वह भला दूसरी पार्टी का क्या भला करेगा और क्या देश का भला करेगा। ऐसे दल बदलुओं से सावधान रहना चाहिए।

    -सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
  • MP News: कमलनाथ की एंट्री पर बढ़ा सस्पेंस, MLA, मेयर का रुख नहीं साफ, नेता ले रहे फीडबैक

    MP News: जिले के कांग्रेसी एवं भाजपाइयों की नजरें दिल्ली में चल रहे राजनैतिक घटनाक्रम पर लगी हुई है। पहले यह बात सामने आ रही थी कि रविवार को पूर्व सीएम नाथ एवं सांसद नकुलनाथ भाजपा ज्वॉइन कर सकते हैं। ऐसे में सुबह से ही उहापोह की स्थिति बनी रही, यहां तक की शहर कांग्रेस एवं महिला कांग्रेस द्वारा रविवार को तय अपने प्रस्तावित कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए, लेकिन दोपहर के बाद से हलचल नहीं होने पर एक बार फिर इस बात को लेकर सस्पेंस बरकरार हो गया कि आखिर पूरे मामले में चल क्या रहा है।

     

    Suspense increased on entry of former CM Kamal Nath in Madhya Pradesh

    विस्तार  

    छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा सियासी हलचल नजर आ रही है। दरअसल यह तय है कि यदि नेताद्वय की भाजपा में एंट्री होती है, तो भाजपा एवं कांग्रेस में इसका सीधा असर पड़ना तय है। ऐसे में नाथ के भाजपा में प्रवेश से राजनैतिक नजारा बदलने की भी बात हो रही है। वहीं भाजपा एवं कांग्रेस के नेता भी अपने स्तर पर मंथन करने में जुटे हुए है।

    भाजपा नेताओं को जहां यह चिंता सता रही है, कि लोकसभा की दौड़ पर विराम लग जाएगा, वहीं अन्य पदों के लिए भी नेताद्वय के साथ आने वाले कांग्रेस नेताओं के कारण संघर्ष बढ़ सकता है। वहीं कांग्रेस खेमे से जुड़े कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को यह चिंता सता रही है कि यदि वे भाजपा में जाते है, तो उनका अस्तित्व क्या रहेगा। इन सबके बीच सोशल मीडिया में भी जमकर चर्चा हो रही है। एक बात यह भी सामने आ रही है, कि यदि कांग्रेस का बड़ा धड़ा शामिल होता है, तो कांग्रेस के इंफ्रास्ट्रक्चर का क्या होगा। नाथ के बिना कांग्रेस में कौन से नेता रहेंगे।

    पूर्व मंत्री, जिलाध्यक्ष महापौर नाथ के साथ, विधायकों की स्थिति नहीं स्पष्ट
    इस मामले में पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना का बयान पूर्व में ही आ चुका है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा है कि यदि श्री नाथ भाजपा में आते है, तो वे भी भाजपा ज्वॉइन करेंगे। जिलाध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे ने भी कहा कि हम सब नाथ के साथ है। जब महापौर विक्रम अहाके से प्रतिक्रिया जानी गई तो उनका कहना था कि छिंदवाड़ा के विकास के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ एवं सांसद नकुलनाथ जो भी निर्णय लेगें, हम उसका स्वागत करते है। भाजपा में नाथ परिवार के साथ जाने पर महापौर विक्रम अहाके ने कहा कि नेताद्वय का जो भी निर्णय होगा, वे उनके साथ होंगे, हालांकि जिले के अन्य विधायकों एवं जिपं अध्यक्ष को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।

    मोदी के मिशन में जो आए, उसका स्वागतः बंटी साहू
    पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्र को विश्वगुरू बनाने एवं भारतमाता के परमवैभव की आकांक्षा रखता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस लक्ष्य में जो भी अपनी सहभागिता प्रकट करना चाहता है, उसका भाजपा में स्वागत है।

     

  • Rajasthan Assembly Election :राजस्थान के 4 सांसदों ने दिया इस्तीफा, जानें वजह और अब क्या करेंगे?

    Rajasthan Assembly Election. भारतीय जनता पार्टी के चार सांसदों ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। चारों सांसदों ने हाल ही में राजस्थान विधानसभा चुनाव जीते हैं और अब वे राज्य की राजनीति में योगदान देंगे। सांसद दिया कुमारी, बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौर ने लोकसभा से और किरोड़ी लाल मीणा ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया है।

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    सभी सांसदों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। यह भी चर्चा है कि इनमें से कम से कम तीन लोग सीएम और डिप्टी सीएम की दौड़ में भी हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से चुनाव जीतने वाले सांसदों ने भी इस्तीफा दे दिया है।


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    राजस्थान में सीएम की रेस में कौन-कौन

    राजस्थान प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष सीपी जोशी और राजस्थान प्रभारी अरूण सिंह को सीएम का नाम तय करने की जिम्मेदारी दी गई है और दोनों नेता जयपुर पहुंचे हैं। वे नए विधायकों से मिल रहे हैं ताकि विधायकों का मन टटोला जा सके। माना जा रहा है कि इन नेताओं के पास सीएम पद के लिए 10 से ज्यादा नाम हैं लेकिन सीएम की रेस में वसुंधरा राजे सिंधिया, बाबा बालकनाथ और दिया कुमारी की नाम प्रमुखता से चल रहा है। चर्चा यह भी है कि सीएम के लिए तीन नामों का पैनल बन गया है। यानी तीन नाम अरुण सिंह और सीपी जोशी को बताए गए हैं। उनके बारे में विधायकों से बातचीत और चर्चा की जा रही है। इन तीन नामों में से ही एक सीएम हो सकता है।


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    इन सांसदों ने भी दिया इस्तीफा

    मध्य प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप, रीति पाठक ने इस्तीफा दिया है। छत्तीसगढ़ से अरुण साव और गोमती साई ने भी इस्तीफा दे दिया है।

    राजस्थान में बीजेपी को पूर्ण बहुमत

    राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल चुका है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 115 सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस पार्टी 69 सीटों पर सिमट गई। वहीं बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिली हैं।


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    199 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 101 का है जबकि बीजेपी ने इससे 14 सीटें ज्यादा जीती हैं। राजस्थान में भाजपा ने कई सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया था जिनमें से 4 सांसद चुनाव जीते हैं। अब माना जा रहा है कि इन्हीं में से किसी एक नेता को राजस्थान की कमान दी जा सकती है।

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  • Madhya Pradesh: कौन हैं कांग्रेस प्रत्याशी को 36 हजार वोटों से मात देने वाली प्रतिमा बागरी, मंत्री की रेस में हैं पार्टी की ओर से प्रबल दावेदार?

    Madhya Pradesh News/ जयदेव विश्वकर्मा :रैगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी श्रीमती प्रतिमा बागरी (pratima bagri)ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। भाजपा(bjp) की श्रीमती बागरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की श्रीमती कल्पना वर्मा को करारी शिकस्त देते हुये 36060 मतों से हरा दिया।

    IMAGE CREDIT BY SATNA TIMES

    भाजपा प्रत्याशी ने मतगणना के पहले राउण्ड से बढ़त बनानी शुरू कर दी जो अंत तक कायम रही। भाजपा को यहां कुल 77626 मत प्राप्त हुये । जबकि कांग्रेस (congress) की श्रीमती कल्पना वर्मा(kalpana verma) को 41566 मत प्राप्त हुये । तीसरे नंबर पर बसपा (bsp) प्रत्याशी देवराज अहिरवार (devraj ahirwar) रहे और उन्हें कुल 27743 मत प्राप्त हुये।

    उल्लेखनीय होगा कि भाजपा प्रत्याशी श्रीमती बागरी उपचुनाव में कांग्रेस की श्रीमती कल्पना वर्मा से हार गयी थीं। इस विधानसभा चुनाव (election) में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करते हुये पिछले चुनाव के नतीजों को न सिर्फ पलट दिया बल्कि ऐतिहासिक जीत भी दर्ज की। वही माना जाए कांग्रेस प्रत्याशी को इतने ज्यादा वोटो से हराकर कही न कही मंत्री पद की भी दावेदार मानी जा रही है।

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  • MP ELECTION : शिवा बसपा में शामिल, एक दिन पहले ही सतना में बीजेपी से दिया था इस्तीफा

    सतना। भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष एवं भाजयुमो के दो बार जिलाध्यक्ष रह चुके सतना के युवा नेता रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा ने सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ले ली है। शिवा ने कल (रविवार को) ही भाजपा से त्याग पत्र दिया था। माना जा रहा है कि सतना विधानसभा से शिवा बसपा प्रत्याशी के तौर नजर आएंगे।

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    सवर्ण मतदाताओं की सतना विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट वितरण से नाराज

    सवर्ण मतदाताओं की सतना विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट वितरण से नाराज रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा ने रविवार को भाजपा छोड़ने के बाद सोमवार को बसपा की सदस्यता ले ली। अब माना जा रहा है कि भाजपा-कांग्रेस के ओबीसी चेहरों पर भरोसा जताने के बाद शिवा बसपा से सवर्ण चेहरे के रूप में चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे। हालांकि अभी बसपा की तरफ से ऐसा कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।

    अब तक हुए 15 चुनावों में 13 बार सवर्ण प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है

    सतना विधानसभा सीट पर अब तक हुए 15 चुनावों में 13 बार सवर्ण प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस के टिकट पर एक-एक बार अल्पसंख्यक समुदाय के सईद अहमद और ओबीसी के सिद्धार्थ कुशवाहा जीते हैं। इस सीट पर सवर्ण मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं।

    पार्टियां भी सवर्ण प्रत्याशी ही उतारती रही हैं लेकिन इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों ने टिकट के सवर्ण दावेदारों को किनारे कर पिछड़ा कार्ड खेला है जिसे लेकर गैर पिछड़ा मतदाताओं में असंतोष है।

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