Satna times: झूठ बोल कर अदालत को गुमराह करने की कोशिश गवाह को भारी पड़ गई। सतना अदालत ने झूठ बोलने पर गवाह को एक साल के कारावास और एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेश कुमार ने मिथ्या साक्ष्य के मामले के आरोपी राजेश प्रसाद कुशवाहा पिता भूरा कुशवाहा 46 साल निवासी हरदुआ तिघरा तहसील बिरसिंहपुर सतना को भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के तहत दोषी करार दिया है। जेएमएफसी कोर्ट ने आरोपी को 1 साल की कैद और 1 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। जुर्माना अदा न करने पर अभियुक्त को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा प्रकरण में अभियोजन की
तरफ से पैरवी करने वाले एडीपीओ हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि सतना के द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 की अदालत में लंबित एक प्रकरण में आरोपी राजेश प्रसाद 28 अगस्त 2009 को बतौर गवाह उपस्थित हुआ था। अदालत में उसने खुद को निरक्षर बताया था और उसके समर्थन में अंगूठा निशानी लगा एक शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया था। उसने प्रश्न पूछे जाने पर भी खुद को अनपढ़ बताते हुए प्रकरण से सम्बंधित किसी भी दस्तावेज में अपने हस्ताक्षर होने से इंकार किया था। इसी मामले में शंकर दास कुशवाहा को आरटीआई से प्राप्त जानकारी के दस्तावेज भी पेश किए गए थे लिहाजा शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय तिघरा के शिक्षक बृजमोहन कोरी को बतौर गवाह तलब किया गया था। शिक्षक बृजमोहन कोरी ने अदालत के समक्ष स्कूल का स्कॉलर रजिस्टर प्रस्तुत करते हुए बताया कि राजेश प्रसाद कुशवाहा स्कूल में कक्षा 8 वीं का छात्र रहा है। उसका स्कॉलर रजिस्टर नंबर 151/ 637 है।
अदालत ने राजेश प्रसाद कुशवाहा को खुद को निरक्षर बताए जाने और झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत कर गुमराह करने के मामले में उसे दोषी करार दिया और दंडादेश पारित कर दिया।