सतना।। एकेएस विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ग्रीन केमिस्ट्री एंड सस्टेनेबिलिटी का तीसरा पेटेंट प्लास्टिक कचरे को रंग रहित हाइड्रोकार्बन तेल में बदलने के लिए संयोजन और विधि प्रकाशित हुआ है। यह एकल उपयोग वाले प्लास्टिक कचरे के उपयोग का अधिक कुशल और परिष्कृत तरीका है।
इस असेंबली और विधि का आविष्कार एकेएस के प्रो-चांसलर अनंत कुमार सोनी और डॉ. शैलेन्द्र यादव, रसायन विज्ञान विभाग द्वारा किया गया है। यह मशीन 1 किलो ग्राम एकल उपयोग प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके लगभग 1 लीटर रंगहीन हाइड्रोकार्बन तेल का उत्पादन कर सकती है।मशीन की खास बात यह है कि यह सिंगल स्टेप पायरोलायसिस के द्वारा रंगहीन हाइड्रोकार्बन तेल निकाल सकती है जिसका उपयोग इमल्शन पेंट तैयार करने में किया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस उल्लेखनीय कार्य की प्रशंसा की है।