एनसीएल के आवासों से सेवानिवृत्त कर्मियों का नहीं हो रहा मोहभंग, प्राचार्य ने जारी किया नोटिस

SINGRAULI TODAY NEWS ।। यहां सरकारी आवासों के अतिक्रमण का खेल वर्षों से चला आ रहा है। जिसका पीडि़त अब एनसीएल खुद हो गया है। इसमे सरकारी शिक्षकों के नाम की चर्चा अब जोरों पर है।
जानकारी के मुताबिक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पंजरेह व शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय पंजरेह के शिक्षक जो अब इन स्कूलों में पदस्थ नहीं हैं, वे आवास छोडऩे को तैयार नहीं हैं। ये शिक्षक वर्षों पहले यहां से स्थानान्तरित या सेवानिवृत हो चुके हैं। नतीजतन अब एनसीएल प्रबंधक को आवास खाली कराने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।

वहीं दूसरी ओर संबंधित विद्यालयों के नए कर्मचारियों को आवास नहीं मिल पा रहे हैं। नई नियुक्ति या स्थानान्तरित होकर सिंगरौली आए कर्मचारियों के लिए ये अब बड़ी समस्या बन चुकी है। यही हाल शाला विकास के तहत शाउमावि पंजरेह में बने क्वाटर का भी है। इनमें भी स्थानांतरित हो चुके कर्मचारियों का ही कब्जा बना हुआ है। इन कर्मचारियों के आवासों को खाली कराने को लेकर अब एक बार फिर नोटिस दी गई है। साथ ही 31 जनवरी को एनसीएल प्रशासन व स्कूल आवास आबंटन समिति की संयुक्त बैठक बुलाई गई है। जिसमें संबंधित सभी विवादित आवासधारी को बैठक में आने के लिए कहा गया है।

सेवानिवृत्त एवं स्थानांतरित कर्मियों का है कब्जा

जानकारी के अनुसार एनसीएल के आवासों में निवासरत व विद्यालय में पूर्व में कार्यरत राम सुभग सिंह, त्रिवेणी सिंह, ईश्वर प्रताप सिंह, मीरा देवी सिंह वर्षों पहले रिटायर हो चुके हैं। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि न ही एनसीएल द्वारा निर्धारित बिल का भुगतान कर रहे हैं और न ही रूम खाली कर रहे हैं। इधर बताया जा रहा है कि गीता कोरी, संदीप त्रिपाठी, रामलाल कोरी, रामदुलारे पनिका, देवप्रताप सिंह का स्थानांतरण हो चुका है, फिर भी एनसीएल के आवासों से मोहभंग नहीं हो रहा है।

क्या कहता है नियम

आवास आबंटन के लिए संकुल प्राचार्य को जिम्मेदारी दी गई है कि ये अपने विद्यालयों में पदस्थ कर्मचारियों को आवश्यकता के हिसाब से आवास दें। एनसीएल एक निर्धारित नियमों के साथ आवास विद्यालय को दे चुका है। इन आवासों का लाइट, पानी व मासिक रेंट को जमा करने का नियम है। लेकिन कर्मचारी इनका भुगतान लगातार नहीं कर रहे हैं। जिसका कुल बकाया लाखों में शेष है। जिसको लेकर एनसीएल व स्कूल प्रबंधन परेशान है।

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