स्वतंत्रता दिवस : “हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर बंद न रह पाएंगे” शिवमंगल सिंह सुमन जी की यह रचना बतलाती है की स्वतंत्रता का महत्व क्या होता है. भारत के लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं की स्वतंत्रता क्या होती है? और स्वतन्त्रता की कीमत क्या होती है? क्यूंकि 190 साल से बंधी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ आज से 78 वर्ष पहले यानि 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिशों से आजाद हुआ था भारत. स्वतंत्रता प्राप्ति के यज्ञ में भारत के कई बेटों ने अपनी आहुति दे स्वतंत्रता प्राप्ति के यज्ञ को पूर्ण किया था.
15 अगस्त 1947 की जब सुबह हुई तो तो उस नजारे को देखने वाली आंखें सदैव के लिए धन्य हो गईं. सुबह का सूर्य उग रहा था पंछी चह चहा रहे थे और धीरे-धीरे शान से आजाद भारत का तिरंगा भारत के सभी सरकारी दफ्तरों पर लहरा रहा था. सुबह की चाय के साथ जब भारत के लोगों ने अखबार पढ़ना शुरू किया तो देश के सभी अखबारों की शुरुआत स्वतंत्रता की खुशी के शीर्षक और लेखों के साथ थी. इस दिन लोगों की चेहरे पर जो खुशी थी उसे शब्दों में बयां कर पाना असंभव है स्वतन्त्रता की उस खुशी को तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे पास बहुत सी चुनौतियां थी जैसे विभाजन,भुखमरी, आर्थिक तंगी, छुआछूत, अशिक्षा इसके बाद भी हमने हार नहीं मानी और हम निरंतर आगे बढ़ते चले आए और देखिए आज हम विकसित देश बनने की भी राह पर निकल गए हैं. आज के नवयुवकों को स्वतंत्रता की कीमत की समझ नहीं है. उन्हे स्वतंत्रता की कीमत समझने के लिए भारत की स्वंत्रता की पूरी यात्रा को पढ़ना और महसूस करना होगा.
आज भारत को आजाद हुए 78 वर्ष हो गए हैं पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में हम सभी भारतीयों का कर्तव्य बनता है की स्वतन्त्रता के महत्व को समझते हुए स्वतंत्रता के इस राष्ट्रीय त्यौहार पर अपनी हिस्सेदारी निभाएं. अंत में नमन है भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के नायकों को साथ ही आप सभी को स्वतंत्रता के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.