रेलवे की नाकामी?: चार महीनों में 730 डिब्बों की जगह केवल 53 का निर्माण, यूक्रेन युद्ध को बताया वजह

सार

फैक्टरियां तय समयसीमा में उत्पादन लक्ष्य पूरा करने में नाकाम रही है। रेलवे ने इसके लिए यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति शृंखला में आए व्यवधान को जिम्मेदार ठहराया है।

विस्तार

भारतीय रेल में डिब्बों के निर्माण को लेकर एक निराश करने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, रेलवे ने बताया है कि उसकी प्रमुख फैक्टरियां तय समयसीमा में उत्पादन लक्ष्य पूरा करने में नाकाम रही है। रेलवे ने इसके लिए यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति शृंखला में आए व्यवधान को जिम्मेदार ठहराया। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि रेलवे की फैक्टरियों ने इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में लोकल ट्रेन के लिए महज 53 डिब्बों का निर्माण किया, जबकि इनका लक्ष्य 730 डिब्बों का निर्माण करना था। अधिकारिक बयान में आगे कहा गया है कि आईसीएफ-चेन्नई का काम 20 प्रतिशत, आरसीएफ-कपूरथला का 10 प्रतिशत और एमसीएफ-रायबरेली का 56 प्रतिशत काम अधूरा है।

यूक्रेन युद्ध के कारण आई बाधा

दस्तावेजों से पता चलता है कि जुलाई की बैठक में चर्चा की गई थी कि कैसे यूक्रेन युद्ध के कारण प्रोपल्शन सिस्टम, ट्रैक्शन मोटर और लोकोमोटिव व्हील्स की कम आपूर्ति उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा के रूप में काम कर रही थी। दस्तावेजों से यह पता चलता है कि आपूर्ति प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करने के बावजूद, अत्यधिक उच्च वितरण अवधि वाली उन्हीं फर्मों को नए ऑर्डर दिए जा रहे हैं। दस्तावेजों में कहा गया है कि रेलवे व्हील फैक्ट्री द्वारा व्हीलसेट का उत्पादन आनुपातिक लक्ष्य से 21.96 प्रतिशत और रेल व्हील प्लांट, बेला द्वारा लक्ष्य से 64.4 प्रतिशत कम है। इसी तरह, इस वित्त वर्ष के दौरान जुलाई तक लोकोमोटिव का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से लगभग 28 प्रतिशत कम है, जैसा कि दस्तावेज में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि जून तक 100 दिनों के भीतर 40 लोकोमोटिव कम बने हैं।

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