सिंगरौली ।। जनपद पंचायत देवसर के ग्राम पंचायत खंधौली में आवास घोटाला के मामले में पुलिस विवेचना तेज कर दी है। ग्राम रोजगार सहायक के अलावा पुलिस अन्य को भी आरोपी बनाने की कवायद शुरू कर दी है। पुलिस के इस विवेचना से जनपद के अमले में हड़कम्प मचा हुआ है।
गौरतलब हो कि जनपद पंचायत देवसर के ग्राम पंचायत खंधौली में पीएम आवास में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। हितग्राहियों के शिकायत के आधार पर जनपद पंचायत की टीम ने जांच करते हुए को-आर्डिनेटर पीएम आवास की रिपोर्ट पर जियावन पुलिस ने ग्राम रोजगार सहायक के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि जांच में टीम द्वारा सबसे बड़ा गुनाहगार संविदा ग्राम रोजगार सहायक को माना है। यहां पूर्व में पदस्थ दो सचिवों एवं उपयंत्री व पीसीओ की लापरवाही मानकर इनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर औपचारिक कार्रवाई की गयी।
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इस तरह के आरोप भी लगाये जा रहे हैं। जांच दल ने अन्य को ज्यादा दोषी नहीं माना है और न ही किसी पर विशेष जबावदेही थोपी गयी। तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ साकेत मालवीय के द्वारा गठित की गयी जांच टीम पर ही शुरू से ही आरोप लगाये जा रहे थे। जांच टीम में शामिल अतिरिक्त जिला पंचायत सीईओ एवं प्रभारी जनपद सीईओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा जा रहा था कि जनपद के अन्य अमले पर दरियादिली दिखाई है। जांच में प्रभारी सीईओ की भूमिका संदिग्ध है। हालांकि अतिरिक्त जिला पंचायत सीईओ साल भर से अपने क्रियाकलापों को लेकर सुर्खियों में हैं।
सामाजिक न्याय विभाग सहित पंचायतों की जांच को लेकर सवालों में घिरे रहते हैं। खंधौली पंचायत में भी इसी तरह के आरोप लगाये गये हैं। सूत्र बता रहे हैं कि पुलिस एक-एक बिंदुओं की जांच विवेचना शुरू की है। चर्चाएं हैं कि पुलिस का मानना है कि पीएम आवास योजना के घोटाले में अकेले ग्राम रोजगार सहायक शामिल नहीं हैं इसमें जनपद पंचायत के अन्य अधिकारियों की भी जबावदेही बनती है। जनपद पंचायत क्षेत्र में चल रहे विभिन्न कार्यों एवं योजनाओं के क्रियान्वयन की मानीटरिंग व देख-रेख करने का जिम्मा जनपद के अधिकारियों, कर्मचारियों की होती है। आवास बन रहे थे कि नहीं इसकी मानीटरिंग करनी चाहिए। किन्तु पुलिस सूत्रों का मानना है कि जनपद देवसर के अधिकारियों ने अपनी जबावदेही से किनारा करते हुए सब कुछ एक ही व्यक्ति पर थोपा गया है। पुलिस पूरे मामले की तह तक जा रही है। सूत्र बता रहे हैं कि इसमें रोजगार सहायक के अलावा अन्य को भी पुलिस आरोपी बना सकती है ऐसी चर्चाएं जोर-शोर से शुरू हैं।
चार महीने से सीईओ का पद रिक्त
जनपद पंचायत देवसर को करीब चार महीने से सीईओ विहीन है। जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जनपद पंचायत का प्रभार सौंपा गया है। जनपद का ही अमला बताता है कि प्रभारी सीईओ का आना-जाना कभी-कभार होता है। जिस कारण से जनपद पंचायत देवसर क्षेत्र के पंचायत विभाग की व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त एवं पस्त हो चुकी हैं। नवनिर्वाचित सरपंच भी अपने किस्मत को कोस रहे हैं। साढ़े तीन महीने बाद भी जनपद पंचायत को सीईओ नहीं मिला है। जिस कारण यहां के अमला भी मनमौजी हो गया है। जब मन आया तभी दफ्तर पहुंचते हैं। यहां आने वाले हितग्राही भी निराश,हताश होकर प्रदेश सरकार को कोसने में कोई कोर-कसर नही छोड़ रहे हैं।
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एक और ग्राम पंचायत में पीएम आवास घोटाले की आहट
देवसर जनपद पंचायत के एक अन्य पंचायत में भी व्यापक पैमाने पर प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा किये जाने की आहट सुनाई दे रही है। सूत्र बता रहे हैं कि इसकी जानकारी जनपद के अमले को भी है। लेकिन मामला मीडिया तक न पहुंचे इसलिए उस पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि संबंधित ग्राम पंचायत में दो-चार नहीं करीब एक सैकड़ा से अधिक हितग्राहियों की राशि को डकार ली गयी है। हालांकि अभी खुलकर कोई भी कर्मचारी बताने को तैयार नहीं है। लेकिन इशारो-इशारो में बताया है कि जनपद पंचायत के इर्द-गिर्द की पंचायत है।