सतना।। एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के विवेकानंद सभागार में 24 जुलाई को कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर करिकुलम डेवलपमेंट एंड टीचिंग एंड लर्निंग विषय पर विमर्श करते हुए अतिथियों ने सारगर्भित विचार रखे। यह कार्यक्रम एकेएस यूनिवर्सिटी ,सतना, इंटरनल क्वालिटी एसेसमेंट सेल और फैकल्टीज ऑफ नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेंनिंग एंड रिसर्च ,भोपाल, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया,न्यू दिल्ली के कोलैबोरेशन से आयोजित हो रहा है ।कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण करने के बाद वंदना की गई।
इसके पश्चात अतिथियों ने संक्षिप्त कार्यक्रम की जानकारी बाबत उद्बोधन दिए। 24 जुलाई के कार्यक्रम में प्रोफेसर एस.के. सोनी, पूर्व डायरेक्टर एनआइटीटीटीआर,भोपाल ने लर्निंग डिजाइन फॉर आउटकम बेस्ड एजुकेशन पर फैकल्टी से क्रमवार चर्चा की। राइटिंग इंस्ट्रक्शनल ऑब्जेक्टिव्स कोर्स कंटेंट एंड यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निंग पर उन्होंने विस्तृत जानकारी दी ।इसके पश्चात राइटिंग इंस्ट्रक्शनल ऑब्जेक्टिव्स कोर्स कंटेंट और फैकल्टीज के साथ असाइनमेंट डॉक्यूमेंट ऑन इंस्ट्रक्शनल ऑब्जेक्टिव कोर्स कंटेंट पर उन्होंने जानकारी दी।उद्बोधन की कड़ी में वरिष्ठ जनों के व्याख्यान हुए।
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आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और व्याख्यान करता एस.के. सोनी ने फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम की अवधारणा पर चर्चा करते हुए बताया की आउटकम बेस्ड एजुकेशन 2007 में ही अस्तित्व में आ गया था और आज न्यू एजुकेशन पॉलिसी के दौर में शिक्षा के साथ कई चीजें बदलाव भी लेकर आ रही हैं ।उन्होंने लर्निंग टू डू,लर्निंग टू बी लाइव टुगेदर,पेडागॉगी और एंड्रयूगोगी पर चर्चा की ।उन्होंने कहा की लर्निंग बाय डूइंग आज की जरूरत है। प्रोफेसर सोनी ने कहा कि टीचर्स में विनम्रता होनी चाहिए और स्टूडेंट्स को भी रिस्पेक्ट मिलना चाहिए इसका कारण है। टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट। उन्होंने कहा की जैसा की एकेएस विश्वविद्यालय में है वैसा ही इंडस्ट्री की जरूरत के अनुसार एकेडमिक्स की जरूरत के अनुसार स्टूडेंट्स का डेवलपमेंट सुनिश्चित होना चाहिए।
अगली कड़ी में व्याख्यान देते हुए विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी ने कहा की रामायण आज सदियों के बाद भी प्रासंगिक है उसके पीछे उसकी विषय वस्तु और समग्रता है उन्होंने कहा कि आज 24 घंटे के अंदर ही कई बदलाव स्थान ले लेते हैं जैसे एप्पल के स्मार्ट वॉच, इन स्मार्ट वॉचेस से डायबिटीज की रेगुलर मॉनिटरिंग पल में होने लगी है ।वर्तमान में बदलती परिस्थितियों के तहत हमें परिवर्तनों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है ।वोट आफ थैंक्स प्रोफेसर आर.एन. त्रिपाठी ने करते हुए कहा की कार्यक्रम से विकास होगा और विश्वविद्यालय के करिकुलम को एक नई ऊंचाई भी मिलेगी।उन्होंने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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विश्वविद्यालय के कुलपति बी. ए. चौपडे ने फैकेल्टी डेवलपमेंट की उपादेयता,उसकी रूपरेखा, उसकी पृष्ठभूमि के साथ कार्यक्रम की सारगर्भित जानकारियां मंच के माध्यम से शेयर की ।कार्यक्रम का संचालन फैकेल्टी डॉ दीपक मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम के इनॉगरेशन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. आर.एस. त्रिपाठी ,डॉ. हर्षवर्धन ,प्रोफेसर जी.सी.मिश्रा के साथ विश्वविद्यालय के समस्त संकायों के डीन,डायरेक्टर और फैकेल्टी मेंबर्स खास तौर पर उपस्थित रहे।