OFK Jabalpur Achievment : मजबूत टैंक की चादर को भेदकर परखच्चे उड़ा देता है मैंगो बम, जबलपुर की खमरिया फैक्ट्री में होगा उत्पादन

इंडो-रशियन टेक्नालाजी पर आधारित मैंगो प्रोजेक्ट के विध्वंसकारी बमों का जल्द उत्पादन फिर गति पकड़ेगा।

कमलेश मिश्रा, जबलपुर। इंडो-रशियन टेक्नालाजी पर आधारित मैंगो प्रोजेक्ट के विध्वंसकारी बमों का जल्द उत्पादन फिर गति पकड़ेगा। इस प्रोजेक्ट के 125 एमएम बम किसी भी मजबूत टैंक के पलभर में परखच्चे उड़ाने में सक्षम है। इसके लिए जो अनिवार्य आवश्यकताएं रहीं उनको एक दो महीने में पूरा कर लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।भारत और रूस के बीच टीओटी करार के तहत आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया के मैंगो-प्रोजेक्ट में 125 एमएम एफएसएपीडीएस (फिन इस्टेबलाइज्ड आर्मर पियरसिंग डिसकार्डिंग सवोट) बम का उत्पादन शुरू हुआ था। कुछ तकनीकी कारणों एवं कच्चे माल की सप्लाई में बाधा की वजह से इसका उत्पादन लंबे समय से थमा रहा। इसके लिए ओएफके में एक पृथक सेक्शन का निर्माण कराया जा रहा है। इस सेक्शन का निर्माण कार्य पूर्ण होने की डैडलाइन नवंबर तक है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बम के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कुछ कम्पोनेंट उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। जल्द उनकी सप्लाई भी सामान्य होने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस बम की खासियत

मैंगो-प्रोजेक्ट का 125 एमएम बम टैंक विध्वंसक बम है। यह किसी भी टैंक पर गिरकर पहले तो उसकी मोटी चादर को भेदता है। इसके बाद बम का सेकेंडरी पार्ट उसके भीतर ब्लास्ट करके टैंक के परखच्चे उड़ा देता है। इस काम में चंद सेकेंड का समय लगता है।ऐसे होता है इस्तेमाल इस बम को टी-72 टैंक, राकेट लांचर और हवाई जहाज से चलाया जा सकता है। इस बम की सटीक मारक क्षमता तीन किलोमीटर तक होती है। ओएफके के जानकारों ने बताया कि यह बम बैलेस्टिक मिसाइल की तरह मूवमेंट करता है।

बम का परीक्षण हो चुका इस बम की सेना को सप्लाई करने से पहले, रूस से आए करीब एक दर्जन इंजीनियर्स की टीम ने यहां के प्रशिक्षित स्टाफ के साथ बम का निर्माण किया। इस बम का पोखरण में परीक्षण किया गया। इसके लिए फ्रांस से मिश्रित धातु की डेढ़ मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी एक खास प्लेट मंगवाई गई, जिसका वजन तीन टन रहा।मैंगो बम जल्द बनेंगे मैंगो प्रोजेक्ट के बमों का उत्पादन जल्द शुरू हो सकता है। इसके कम्पोनेंट्स की सप्लाई में कुछ दिक्कतें आ रही थीं। इसके अलावा इसके लिए नया सेक्शन बनाया जा रहा है। अक्टूबर-नवंबर तक ये काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।-दिनेश कुमार, डीजीएम, ओएफके जबलपुर।

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