नवरात्रि विशेष: सूर्य की दिशा के साथ घूमती हैं मां की आंखें, बदलते हैं चेहरे के भाव,अनिष्ट होने पर मूर्ति से निकलता है पसीना, भटनवारा देवी की मौर्यकालीन मूर्ति का रहस्य

सतना,मध्यप्रदेश।।मध्य प्रदेश के सतना जिले में देवी मां की एक ऐसी प्रतिमा भी है, जो सूर्य के दिशा बदलने की साथ वह अपनी आंखें घूमा लेती हैं। जी हां, सूर्य की दिशा के संग आंखों को घुमाने वाली यह प्रतिमा जिला मुख्यालय से तकरीबन 13 किलोमीटर दूर भटनवारा गांव में स्थापित है। 

पुजारी प्रभात शुक्ला ने बताया कि भटनवारा की देवी को मां कालिका के रूप में जाना जाता हैं। यह मूर्ति करीब 600 साल पुरानी बताई जाती है। पहले यह मूर्ति गांव के नजदीक से बहने वाली करारी नदी के किनारे स्थापित कराई गई थी। आज जहां है यहां 70 के दशक में स्थापित की गई थी। खास बात यह है कि मां के नेत्र सूर्य की दिशा के साथ परिवर्तित होते हैं। यह परिवर्तन पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। पुनीत ने बताया कि मां के चेहरे के भाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। वह कभी वात्सल्य, कभी रौद्र तो कभी एकदम शांत भाव में दिखती हैं। 

तब के राजा को नदी किनारे मिली थी मूर्ति
भटनवारा की मां कालिका के बारे में मान्यता है कि तब के राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी। तब उन्होंने नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर बना कर स्थापित करने का प्रयास किया था लेकिन कहते हैं मां उस मंदिर में नहीं घुस पाईं। अंत में बिना मंदिर के ही मां की मूर्ति नदी किनारे रखी रही। इसके बाद 70 के दशक में यहां लाई गई।

 कई बार आए पुरातत्व विभाग के अधिकारी
मां कालिका की मूर्ति के बारे में ग्रामीण एक दूसरे से जो कुछ सुनते आ रहे हैं उसी आधार पर बताते चले आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह मूर्ति मौर्य- शुंग वंश कालीन है। ग्रामीण बताते हैं कि कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारी लोग यहां आए हैं। उन्होंने बताया था कि यह मूर्ति यक्षिणी है। 

रिपोर्ट जयदेव विश्वकर्मा 9584995363

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