सिंगरौली, मध्यप्रदेश।। आज शाम शहर में दसवीं मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। हजरते इमामे हुसैन की याद में अलम झंडो के साथ नारेए तकबीर, नारए हैदरी , हुसैन जिंदाबाद के नारों के साथ विन्ध्यनगर रोड से मरहूम छेदी मास्टर की ताजिया चौक से जुलूस शुरू हुआ।तत्पश्चात रास्ते में कई मोहल्ले के जुलूस अखाड़े मिलते गए और सभी एक साथ होकर हुसैनी मोहल्ले टॉकीज रोड जेठी ताजिया के पास पहुंचे । वहाँ पर युवाओं ने लाठी-डंडे खेल का प्रदर्शन किया। उसके बाद जुलूस आगे बढ़ते हुए अब्दुल अहद, रब्बुल अहमद की ताजिया के पास पहुंचा।
उसके बाद इस्माईल, जिब्राइल की ताजिया के पास जुलूस पहुंचा । फिर अंबेडकर चौक पर हिर्रवाह , शान्ति नगर, गनियारी से आये हुए अखाड़े में शामिल हुए मगरिब का वक्त होते-होते जुलूस मस्जिद के पास पहुंचा और जो लोग रोजेदार थे वहां उनके अफ्तार के लिए व्यवस्था की गई थी । शकील अहमद सिद्दीकी ने हजरते इमामे हुसैन पाक की शान में मनकबत शरीफ पढ़े, हजरत मौलाना हाफिजों कारी मुश्ताक अहमद साहब ने नमाजेे मगरिब पढ़ाई । बाद नमाजे मगरिब भी जुलूस अखाड़ा चलता रहा और कर्बला शरीफ के पास हजारों दिवानये हुसैन मौजूद रहे और फिर ईशा के नमाज के वक्त जुलूस अपने-अपने झंडो अलम के साथ अपने-अपने मोहल्लों को वापस लौटे ।
वही लंगर का इंतजाम जिलानी मोहल्ले , हुसैनी मोहल्ले, ईदगाह मोहल्ले , गनियारी मोहल्ले सहित कई जगहों पर किया गया। बहुत सारे लोगों ने लंगर को इफ्तार के लिए मस्जिद में भेजा। वहीं कई जगहों पर शर्बत, पानी पिलाया गया । लंगर में भी छोटे से लेकर बड़ेे तक बढ़चढ़ कर शामिल हुए ।
गोरबी व मोरवा में पूरे अकीदत से निकला मोहर्रम का जुलूस
बुधवार को शिया समुदाय ने शहीद-ए-कर्बला हजरत इमाम हसन हुसैन की शहादत की याद में मातमी जूलूस निकाला। यह जुलूस गौसुलवारा जामा मस्जिद से चलकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस बड़ी मस्जिद पर ही समाप्त होगा। मातमी जुलूस में समुदाय के बच्चों से लेकर युवा-बुजुर्ग शामिल रहे। मोरवा के मुस्लिम समुदायों की कमेटी के साथ ग्रामीण अंचलों के अखाड़े भी झंडे तथा पीछे से बड़ी ताजिया साथ जुलूस में शामिल हुए। मंगलवार शाम से ही मोरवा स्थित गौसुलवारा जामा मस्जिद बड़ी मस्जिद पर सभी कमेटियों ने बनाई गई ताजिया का एकत्रीकरण हुआ। इस दौरान लोगों ने अपनी कला बाजी का बखूबी प्रदर्शन किया। जिसे देख कर उपस्थित लोग अचंभित रह गये। इसी प्रकार गोरबी में भी छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 11 ताजिया बनाये गए थे।